सरकार की नई योजना यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) से केंद्र सरकार के 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को तुरंत फायदा मिलना तय है. इस स्कीम का मकसद रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारियों को एक तयशुदा पेंशन रकम तय करना है. UPS के तहत, कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक न्यूनतम पेंशन दी जाएगी, जो उनके सेवा के वर्षों और उनके औसत वेतन पर आधारित होगी. ये स्कीम महंगाई भत्ते (DA) से जुड़ी हुई है, यानी जैसे ही महंगाई बढ़ेगी तो पेंशन की रकम में भी इजाफा की होगा. UPS में सरकार का कंट्रीब्यूशन 18.5% होगा, जो NPS के 14% के मुकाबले ज्यादा है.
ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS)
ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) पुराना सिस्टम था, जिसमें कर्मचारियों को उनके आखिर वेतन के आधार पर एक फिक्स पेंशन मिलती थी. इस स्कीम में कर्मचारियों को किसी तरह के कंट्रीब्यूशन की जरूरत नहीं थी, जिससे सरकार पर ज्यादा वित्तीय बोझ पड़ता था. OPS में कर्मचारियों को उनके आखिरी मूल वेतन + महंगाई भत्ते का 50% पेंशन के रूप में मिलता था. इसके अलावा OPS के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद महंगाई भत्ते में होने वाली बढ़ोतरी का भी पेंशन में इजाफे के तौर पर फायदा मिलता था.
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
NPS एक निवेश-आधारित पेंशन स्कीम है, जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों का कंट्रीब्यूशन होता है. इसमें पेंशन की रकम बाजार में निवेश किए गए फंड्स की परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है, यानी इसमें निश्चित पेंशन नहीं होती है. NPS में सरकार का कंट्रीब्यूशन 14% और कर्मचारी का 10% होता है. इस योजना में टैक्स छूट के फायदे भी मिलते हैं जैसे कि 2 लाख रुपये तक की टैक्स छूट और 60% रकम निकालने पर टैक्स से छूट.
UPS vs OPS vs NPS:
1. पेंशन की गारंटी- UPS और OPS दोनों में ही निश्चित पेंशन दी जाती है, जबकि NPS में पेंशन रकम बाजार की परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है.
2. कंट्रीब्यूशन- OPS में कोई कंट्रीब्यूशन नहीं होता था, जबकि UPS और NPS में कर्मचारी और सरकार दोनों का कंट्रीब्यूशन होता है. UPS में सरकार का कंट्रीब्यूशन 18.5% है, जो NPS के 14% से ज्यादा है.
3. महंगाई राहत- OPS और UPS दोनों में ही महंगाई भत्ते के हिसाब से पेंशन में बढ़ोतरी होती है, जबकि NPS में ये सुविधा नहीं है.
4. टैक्स छूट- NPS में टैक्स छूट के कई फायदे मिलते हैं, जबकि UPS में टैक्स छूट के बारे में अभी कुछ साफ नहीं किया गया है.
इस तरह UPS कुछ मामलों में NPS से बेहतर है. लेकिन OPS के मुकाबले ये अभी भी कई मामलों में कमतर है.
बता दें, UPS को 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा. इस स्कीम को लागू करने के बाद हर साल सरकारी खजाने पर 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. सरकार की तरफ से कहा गया है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यह निर्णय लेने का अधिकार होगा कि वे NPS में बने रहें या UPS में शामिल हों. यह योजना उन सभी पर लागू होगी, जो 2004 के बाद से NPS के तहत रिटायर हो चुके हैं.