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प्रीपेड-पोस्टपेड ट्रांसफर पर अब बार-बार KYC के झंझट से मिलेगा छुटकारा, टेलीकॉम सेक्टर में छाई बदलाव की बहार

सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में ढेर सारे सुधार किए हैं. अब से अगर आपको कोई नया मोबाइल नंबर या टेलीफोन कनेक्शन लेना है तो आपका KYC पूरी तरह से डिजिटल होगा. पढ़ें पूरी खबर...

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अब बार-बार KYC के झंझट से छुटकारा (सांकेतिक फोटो)
अब बार-बार KYC के झंझट से छुटकारा (सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नए कनेक्शन के लिए अब सिर्फ डिजिटल KYC होगी
  • सरकार करेगी AGR की परिभाषा में बदलाव
  • ऑटोमेटिक रूट से 100% एफडीआई को मंजूरी

लंबे समय से देश में टेलीकॉम सेक्टर कई परेशानियों से जूझ रहा है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में टेलीकॉम सेक्टर से जुड़े कई सुधारों पर मुहर लगा दी गई. इससे इंडस्ट्री के साथ-साथ आम-आदमी को भी कई सहूलियतें मिलने जा रही हैं.

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अब सिर्फ डिजिटल KYC होगी

अब से अगर आपको कोई नया मोबाइल नंबर या टेलीफोन कनेक्शन लेना है तो आपका KYC पूरी तरह से डिजिटल होगा. यानी KYC के लिए आपको किसी तरह का कोई कागज जमा नहीं करना होगा. 

प्रीपेड-पोस्टपेड ट्रांसफर के लिए बार-बार KYC नहीं

मौजूदा समय में यदि कोई ग्राहक अपने प्रीपेड नंबर को पोस्टपेड में या पोस्टपेड नंबर को प्रीपेड में कन्वर्ट करता है तो उसे हर बार KYC की प्रक्रिया से गुजरना होता है. लेकिन सरकार ने अब इस झंझट से छुटकारा देने के लिए नियम बदल दिए हैं. वहीं डिजिटल KYC को ही मान्य बनाए जाने से KYC की प्रक्रिया भी आसान हुई है.

100% एफडीआई को मंजूरी

सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में 100% एफडीआई को मंजूरी दे दी है. ये एफडीआई ऑटोमेटिक रूट से आएगी और सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाएगा. एफडीआई से सेक्टर में निवेश बढ़ेगा, जिससे कंपनियां नई टेक्नोलॉजी विशेषकर 5जी पर निवेश कर पाएंगी और इससे ग्राहकों को नई और आधुनिक सुविधाएं मिलने की उम्मीद है. 

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AGR की परिभाषा में बदलाव

Adjusted Gross Revenue (AGR) का मुद्दा टेलीकॉम सेक्टर के लिए लंबे समय से परेशानी खड़ा करने वाला रहा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियां AGR बकाया चुकाने के बोझ तले दब गई थीं और टेलीकॉम सेक्टर में परेशानियों का एक नया दौर शुरू हुआ. लेकिन अब सरकार ने इसकी परिभाषा को बदलकर तर्कसंकत बनाने का निर्णय किया है. संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए इसकी जानकारी दी.उन्होंने कहा कि AGR की परिभाषा में से गैर-टेलीकॉम सेवाओं से कंपनियों को होने वाली आय को अलग किया जाएगा.

सेक्टर में होंगे ये सुधार भी

सरकार ने स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क, लाइसेंस शुल्क इत्यादि को तर्कसंगत बनाने का भी निर्णय किया है जिस पर अभी भारी ब्याज लगता है. वहीं भविष्य में स्पेक्ट्रम की जो भी नीलामी होगी, उसका होल्डिंग पीरियड 30 साल होगा. इससे कंपनियों की लागत कम होगी और वो ग्राहकों को सस्ती सेवाएं दे पाएंगी. इतना ही नहीं 1953 के कस्टम नोटिफिकेशन में भी सरकार ने संशोधन किया है जिससे अब इस सेक्टर में लाइसेंस राज को समाप्त किया जाएगा

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