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भीख मांगने वाले बन रहे कारोबारी... इस शख्स ने शुरू किया Beggars Corporation, जानें कैसे करता है काम?

Beggars Corporation के जरिए आज चंद्र मिश्रा 14 भिखारी परिवारों को उद्यमी बना चुके हैं. 12 परिवार उनके साथ बैग आदि बनाने का काम कर रहे हैं तो दो परिवारों ने मंदिरों के पास अपनी पूजा-सामग्री और फूल आदि की दुकानें शुरू की हैं. ये सभी लोग आज पूरे सम्मान के साथ एक अच्छी आजिविका कमा रहे हैं और बेहतर जीवन जी रहे हैं.

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चंद्र मिश्रा, Beggars Corporation के फाउंडर
चंद्र मिश्रा, Beggars Corporation के फाउंडर

भारत में दानवीरों की कमी नहीं है, इसके पीछे उद्देश्य दरअसल दूसरों की मदद ही होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर साल 34,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम चैरिटी में जाती है. इसके बावजूद देश में गरीबी का आंकड़ा बड़ा है और भीख मांगकर गुजारा करने वालों की भी कमी नहीं है. अब एक शख्स ने भिखारियों को कारोबारी बनाने की पहल शुरू की है और इस काम को अंजाम देने के लिए Beggars Corporation की स्थापना की है. साल 2021 में शुरू की गई इस संस्था के जरिए उन्होंने भीख मांगने वालों को कारोबारी बनाने का जिम्मा उठाया है. 

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भीख मांगने वाले बन रहे कारोबारी
Beggars Corporation के फाउंडर चंद्र मिशा है, जो करीब दो दशकों से ज्यादा समय से सामाजिक कार्यों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं. आजतक की सहयोगी वेबसाइट gnttv.com से खास बातचीत में जब उनसे सवाल किया गया कि लोगों द्वारा दान देने से भी भिक्षावृत्ति दूर नहीं हो रही है आखिर क्या कारण है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हमारे देश में दान देने की आदत ने कुछ ठीक नहीं होने दिया है. हमने सिर्फ दान पर ध्यान दिया, जबकि समस्या का समाधान रोजगार में छिपा हुआ है. रोजगार के जरिए ही लोग एक सही और सम्मान के साथ जीवन गुजार सकते हैं. 

'दान नहीं, इन्वेस्ट करें' का दिया नारा
चंद्र मिश्रा के मुताबिक, उन्होंने Beggars Corporation की शुरुआत करते हुए Don't Donate, Invest का नारा दिया और भिखारियों को उद्यमी बनाने की मुहिम शुरू की है. मूल रूप से ओड़िशा के रहने वाले चंद्र मिश्रा पिछले कई सालों से रोजगार के मुद्दे पर काम कर रहे हैं. भीख मांगने वाले लोगों का जीवन बदलने की पहल करने वाले मिश्रा ने कहा कि जब वह गुजरात में थे, तब उन्हें पहली बार भिखारियों के साथ काम करने का ख्याल आया.

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गुजरात के अपने दौरे के दौरान, उन्होंने देखा कि अहमदाबाद के पास एक सरकारी कौशल्य-संवर्धन केंद्र है. यहां लोगों को स्किल ट्रेनिंग दी जाती है. लेकिन उसी केंद्र के पास बने मशहूर हनुमान मंदिर के परिसर में बहुत से भिखारी बैठते हैं. तब उन्हें लगा कि इन लोगों को पैसे देने की बजाय स्किल ट्रेनिंग देकर इनका रोजगार शुरू करवाने में मदद करनी चाहिए. 

चंद्र मिश्रा ने बताया कि इस काम की शुरुआत करने के लिए पूरे देश का सर्वे करना मुश्किल था, इसलिए मैंने पीएम मोदी के विधानसभा क्षेत्र, वाराणसी में सर्वे करने का फैसला किया. इसके बाद Beggars Corporation के फाउंडर ने फेसबुक के जरिए एक गुगल फॉर्म शेयर किया और उन्हें 20 हजार से ज्यादा लोगों से रिस्पॉन्स मिला. इनमें छात्र, छोटे उद्यमी (जिनका कोरोना काल में काम बंद हो गया था) या फिर ऐसे लोग थे जिनकी नौकरी चली गई थी. वाराणसी में मिश्रा ने देखा कि यहां घाट से लेकर मंदिरों तक भीख मांगने वालों की कोई कमी नहीं है. 

2021 में इस मुहिम ने पकड़ी रफ्तार
इसके बाद Beggars Corporation ने अपने कदम आगे बढ़ाए और इन भिखारियों से उनके बारे में पूछताछ शुरू कर दी. साल 2021 में जब दूसरी बार लॉकडाउन लगा तो बहुत से भिखारियों ने उन्हें मदद के लिए संपर्क किया. अगस्त, 2021 में एक महिला ने उनके साथ काम करना शुरू किया. यह महिला अपने बच्चे के साथ घाट पर भीख मांगती थी क्योंकि उसके पति ने उसे घर से निकाल दिया था. और उसके पास कोई दूसरी जगह नहीं थी जाने के लिए. मिश्रा ने बताया कि उस महिला को उन्होंने समझाया कि एक स्थिर रोजगार से जुड़कर वह अपने बच्चे को बेहतर जिंदगी दे सकती है. उन्होंने महिला को बैग बनाने की ट्रेनिंग दिलवाई और फिर काम भी दिया.

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14 भिखारी परिवारों की जिंदगी बदली
आज चंद्र मिश्रा 14 भिखारी परिवारों को उद्यमी बना चुके हैं. 12 परिवार उनके साथ बैग आदि बनाने का काम कर रहे हैं तो दो परिवारों ने मंदिरों के पास अपनी पूजा-सामग्री और फूल आदि की दुकानें शुरू की हैं. ये सभी लोग आज पूरे सम्मान के साथ एक अच्छी आजिविका कमा रहे हैं और बेहतर जीवन जी रहे हैं.

मिश्रा के मुताबिक, उन्होंने जुलाई 2022 में एक कैंपेन शुरू की थी और लोगों से बस 10-10 हजार रुपये इंवेस्ट करने के लिए कहा था ताकि भिखारियों की जिंदगी बदल सके. इस कैंपेन के तहत उन्हें 57 लोगों ने डोनेशन दिया. इसी रकम से उन्होंने भिखारियों की स्किल ट्रेनिंग और फिर रोजगार सेट-अप करने में मदद की. साथ ही, उन्होंने अपनी कंपनी को रजिस्टर कराकर Innovative Startups कॉम्पिटीशन में हिस्सा लिया. 

चंद्र मिश्रा के मुताबिक, हमारे देश में लगभग पांच लाख भिखारी हैं जिनमें सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में और फिर उत्तर प्रदेश में हैं. उनके मुताबिक, ये डाटा सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है. वहीं, India Philanthropy Report 2022 के मुताबिक, हमारे देश में सिर्फ आम आदमी हर साल 28 हजार करोड़ पैसा चैरिटी में देते हैं. चंद्र मिश्रा का कहना है कि उनका मॉडल बहुत स्पष्ट है. उन्हें हर एक भिखारी के लिए मात्र डेढ लाख रुपए चाहिएं. इस डेढ लाख में से 50 हजार रुपए उस भिखारी को तीन महीने की स्किल ट्रेनिंग देने और उन्हें रिलॉकेट करने में खर्च होंगे. बाकी बचे एक लाख रुपए उस भिखारी को अपना रोजगार शुरू करने के लिए दिए जाएंगे. 

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