चीन ने अपने रक्षा बजट (China Defence Budget) में जोरदार बढ़ोतरी की है. ड्रैगन ने अपना डिफेंस बजट बढ़ाकर 7.2 फीसदी कर दिया है. पिछले साल उसका डिफेंस बजट 7.1 फीसदी रहा था. इस बार हुई बढ़ोतरी के बाद उसका रक्षा बजट 1.55 ट्रिलियन युआन (लगभग 224 बिलियन अमेरिकी डॉलर) हो गया है.
चीन के वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी ड्रॉफ्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं. चीन की सरकार ने ये फैसला संसद में बैठक के दौरान लिया है. हालांकि, आर्थिक मोर्चे पर अभी भी चीन की स्थिति बेहतर नहीं हुई और उसने इस साल के लिए विकास दर का लक्ष्य महज पांच फीसदी रखा है. लेकिन साथ ही डिफेंस पर उसने खर्च बढ़ाने का भी ऐलान किया है.
क्यों रक्षा बजट बढ़ा रहा चीन?
14वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPS) के पहले सत्र के प्रवक्ता वांग चाओ ने कहा कि मुश्किल सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए चीन अपना रक्षा बजट बढ़ा रहा है. चीन ने पिछले साल अपने रक्षा बजट के लिए 1.45 ट्रिलियन युआन का प्रावधान किया था. इस साल डिफेंस खर्च बढ़ाकर 1.55 ट्रिलियन युआन कर दिया गया है. यह लगातार आठवां साल है जब चीन ने अपने सैन्य बजट में सिंगल डिजिट में बढ़ोतरी का ऐलान किया है.
मौजूदा प्रीमियर ली केकियांग ने सशस्त्र बलों से युद्ध की तैयारियों को बढ़ावा देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि चीन के सशस्त्र बलों को 2027 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की शताब्दी के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सैन्य अभियान चलाने, युद्ध की तैयारियों को बढ़ावा देने और सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए जिससे उन्हें सौंपे गए कार्यों को पूरा किया जा सके.
रक्षा पर दूसरा सबसे अधिक खर्च करने वाला देश
ली ने कहा कि सशस्त्र बलों को पूरे बोर्ड में सैन्य प्रशिक्षण और तैयारियों को तेज करना चाहिए. नई सैन्य रणनीति विकसित करनी चाहिए और युद्ध की परिस्थिति में प्रशिक्षण के लिए अधिक ऊर्जा समर्पित करनी चाहिए. बता दें कि चीन अमेरिका के बाद रक्षा पर दूसरा सबसे अधिक खर्च करने वाला देश है. हालांकि, भारत के नजरिए से चीन का रक्षा बजट तीन गुना अधिक रहा है. 2023-24 के लिए भारत का रक्षा बजट 5.94 लाख करोड़ रुपये (लगभग 72.6 अरब अमेरिकी डॉलर) था.
NPS सत्र से पहले इसके प्रवक्ता वांग चाओ ने शनिवार को वार्षिक रक्षा बजट में चीन की लगातार वृद्धि का बचाव करते हुए कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के हिस्से के रूप में देश का रक्षा खर्च विश्व औसत से कम था. माना जा रहा है कि वैश्विक प्रभाव के लिए अमेरिका के साथ होड़ करने के कारण चीन अपना रक्षा खर्च बढ़ा रहा है.