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OPS vs NPS: पुरानी और नई पेंशन स्कीम में क्या है अंतर, कर्मचारियों को किसमें अधिक फायदा?

केंद्र सरकार ने नई पेंशन स्कीम के रिव्यू के लिए कमेटी गठित करने का ऐलान किया है. केंद्र सरकार और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के बीच लंबे समय से इसको लेकर टकराव देखने को मिल रहा है. नई और पुरानी पेंशन स्कीम में कुछ अंतर हैं.

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NPS और OPS में क्या है अंतर?
NPS और OPS में क्या है अंतर?

केंद्र सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के रिव्यू के लिए कमेटी बनाने का ऐलान किया है. देश में लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) और नई पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान चल रही है. गैर-बीजेपी राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम अहम मुद्दा रही है. कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान पुरानी पेंशन स्कीम को बड़ा मुद्दा बनाया था. कांग्रेस जब जीतकर सत्ता में आई, तो उसने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का ऐलान किया.

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केंद्र सरकार रुख इस स्कीम को लेकर हमेशा विपक्ष से उलट रहा है. मोदी सरकार इसे लागू करने के पक्ष में अभी तक नजर नहीं आई है. लेकिन अब सरकार ने नई पेंशन स्कीम को रिव्यू करने के लिए कमेटी गठित करने का ऐलान किया है. तो ऐसे में आइए समझ लेते हैं कि नई और पुरानी पेंशन स्कीम अंतर क्या है. 

दिवालियापन की रेसिपी

इस साल जनवरी के महीने में योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया (Montek Singh Ahluwalia) ने OPS को लेकर बड़ी बात कही थी. उनका कहना था कि  कुछ राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करना वित्तीय दिवालियापन की रेसिपी है. मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा था कि इस कदम को आगे बढ़ाने वालों के लिए बड़ा फायदा यह है कि दिवालियापन 10 साल बाद आएगा.  

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कब से लागू है नई पेंशन स्कीम?

देश में नई पेंशन स्कीम एक जनवरी 2004 से लागू है. पुरानी और नई पेंशन स्कीम में काफी अंतर है. दोनों के कुछ फायदे और नुकसान हैं. पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रकम का भुगतार सरकार के खजाने से होता है. वहीं, पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है.

OPS के तहत रिटायरमेंट के समय वेतन की आधी राशि कर्मचारियों को पेंशन के रूप में दी जाती है. क्योंकि पुरानी स्‍कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के मुताबिक होता है. जबकि नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है. क्योंकि ये शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है. 

शेयर मार्केट पर आधारित है NPS

पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है. नई पेंशन स्कीम में GPF की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि पुरानी पेंशन स्कीम में ये सुविधा कर्मचारियों को मिलती है. अगर नई पेंशन स्कीम की बात करें, तो इसमें रिटर्न बेहतर रहा, तो प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) और पेंशन (Pension) की पुरानी स्कीम की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अच्छा पैसा मिल सकता है. चूंकि ये शेयर मार्केट पर आधारित स्कीम है. इसलिए कम रिटर्न की स्थिति में फंड कम भी हो सकता है.

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पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है. वहीं, रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है. सबसे अहम बात ये है कि पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है, यानी जब सरकार नया वेतन आयोग (Pay Commission) लागू करती है, तो भी इससे पेंशन की रकम में बढ़ोतरी होती है.

क्या सरकारी खजाने पर बढ़ेगा बोझ?

केंद्र सरकार अब तक कहती रही है कि ओल्ड पेंशन स्कीम सरकार पर भारी बोझ डालती है. यही नहीं, पुरानी पेंशन स्कीम से सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ बढता है. रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने से राजकोषीय संसाधनों पर अधिक दबाव पड़ेगा और राज्यों की सेविंग पर नेगेटिव प्रभाव पड़ेगा.
 

 

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