फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के बजट में भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारी-भरकम टैक्स (Tax on Cryptocurrency) का ऐलान किया गया. फाइनेंस बिल 2022-23 में अन्य प्रावधानों के साथ-साथ कहा गया है कि इनकम टैक्स एक्ट में एक नया सेक्शन (115BBH) जोड़ा जाएगा. यह सेक्शन वर्चुअल डिजिटल करेंसी से होने वाली इनकम पर 30 फीसदी की दर से इनकम टैक्स (Income Tax) की वसूली से संबंधित है. इसकी घोषणा को लेकर देशभर में क्रिप्टो के फ्यूचर और नए टैक्स को लेकर कई तरह के सवाल पैदा हो गए.
'बिजनेस टुडे' टेलीविजन के सिद्धार्थ जराबी और साक्षी बत्रा ने इस बारे में फाइनेंस मिनिस्ट्री के सीनियर ऑफिसर्स के साथ इन विषयों पर विस्तार से चर्चा की. पेश है बातचीत का संपादित अंश
सवालः सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाकर क्या उसे वैध कर रही है?
सीबीडीटी के चेयरमैन जे.बी. महापात्र का जवाबः आपके इस सवाल का जवाब है - ना. टैक्स लगाने का मतलब क्रिप्टो ट्रेडिंग या उससे होने वाले किसी तरह के फायदे या नुकसान को कानूनी रूप से वैध बनाना नहीं है. एक विभाग के तौर पर हम किसी बिजनेस या किसी भी सेक्टर के बिजनेस, किसी प्रोफेशन या फिर ट्रांजैक्शन की वैधता पर सवाल नहीं उठा सकते हैं. हमें ट्रेड के बाद टैक्सेशन के पहलू को देखने का अधिकार प्राप्त है.
सवालः भारत के क्रिप्टोकरेंसी का इकोसिस्टम कितना बड़ा है?
महापात्रः हमें भारत में काम कर रहे कुछ एक्सचेंज के बारे में जानकारी है. ऐसा कहा जा रहा है कि इनकी संख्या 40 है. इनमें से 10 बड़े एक्सचेंज हैं. सबसे बड़े एक्सचेंज का टर्नओवर 34,000 करोड़ रुपये है. ऐसे में कहा जा सकता है कि मार्केट का आकार काफी बड़ा है. अपुष्ट रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 10 करोड़ लोगों ने किसी-ना-किसी रूप में क्रिप्टो में इंवेस्ट किया है. यह रकम काफी कम से काफी अधिक है. हमें यह जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है कि निवेश की रकम छोटी है या बड़ी है. हमें क्वालिटी और इंवेस्टमेंट के सोर्स को लेकर इंटरेस्ट है. हम ऐसा यह देखते हैं कि इनकम का सोर्स वैध है या अवैध. अगर अवैध सोर्स से हुई कमाई को निवेश किया गया है तो ना सिर्फ ट्रेड से होने वाले फायदे पर टैक्स लगता है बल्कि पूरे अवैध इंवेस्टमेंट पर भी टैक्स लग जाता है. इस तरह इनकम टैक्स से क्रिप्टो मार्केट में एक तरह का ऑर्डर या अनुशासन लाया जा सकता है.
सवालः वर्चुअल डिजिटल एसेट्स क्या हैं?
महापात्रः आईटी एक्ट के 247A में डिजिटल एसेट्स (Digital Assets) को परिभाषित किया गया है. सिंपल शब्दों में कहा जा सकता है कि क्रिप्टोग्राफिक तरीके से जेनरेट किया गया कोई भी कोड या कोई भी इंफॉर्मेशन या कोई भी फॉर्मूला जिसमें कोई निहित मूल्य है और जिसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रांसमिट या स्टोर किया जा सकता है, उसे डिजिटल एसेट्स कहा जा सकता है. इसमें NFT भी शामिल है.
सवालः क्या 30 फीसदी टैक्स की दर बहुत ज्यादा नहीं है?
महापात्रः मुझे नहीं लगता है कि टैक्स की यह दर बहुत ऊंची है. कंपनियों से भी 30 फीसदी का टैक्स लिया जा रहा है. फर्म और एलएलपी से भी इसी रेट से टैक्स लिया जाता है.
सवालः कानून के बिना क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स क्यों?
वित्त सचिव टी. वी. सोमनाथनः इनकम टैक्स एक्ट में कृषि से होने वाली इनकम को छोड़कर किसी भी अन्य इनकम को टैक्स के दायरे से बाहर नहीं रखा गया है. क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली इनकम इस कानून से पहले भी टैक्सेबल है, आज भी है और एक अप्रैल के बाद भी रहेगी. केवल टैक्स का रिजीम बदल रहा है. यह एक अप्रैल से पहले भी टैक्सेबल है लेकिन 30 फीसदी की दर से नहीं है. अभी यह बिजनेस इनकम या कैपिटल गेन जैसे इनकम के क्लासिफिकेशन पर बेस्ड है. ऐसे में टैक्स को लेकर स्पष्टता लाने के लिए इसमें यह बदलाव किया गया है. लीगल और अनरेग्युलेटेड इनकम दोनों टैक्सेबल है. यहां तक कि अवैध आय भी टैक्सेबल है. अगर कोई आईएएस अधिकारी रिश्वत लेता है तो वह भी टैक्सेबल है. हालांकि, क्रिप्टो अवैध नहीं है.