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'बैंड बाजा बारात और मार्केट्स...', 35 लाख शादियां दहलीज पर, खूब बिकेंगे गहने!

भारतीय शेयर बाजार में भी त्योहारों और शादियों के मौसम में उछाल देखने को मिलता है, जिसकी मुख्य वजह कंज्यूमर स्पेंडिंग में आने वाली तेजी है.  

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अक्टूबर-दिसंबर तिमाही भारतीय इकोनॉमी के लिए हमेशा ही फायदेमंद रहती है. इस दौरान त्योहारी सीजन होने से लोग जमकर खर्च करते हैं, घर-गाड़ी समेत इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स से लेकर तमाम तरह के सस्ते और महंगे सामानों की इन दिनों जमकर बिक्री होती है. 

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अनुमान है कि देश में सालभर होने वाली कुल बिक्री का एक तिहाई हिस्सा इस त्योहारी सीजन के दौरान किया जाता है. इस सीजन के तुरंत बाद शादियों का सीजन आता है, जो इकोनॉमी को एक और बूस्टर डोज देने का काम करता है. इस बार शादियों को लेकर प्रभुदास लीलाधर की रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि भारत में नवंबर से मिड-दिसंबर तक 35 लाख शादियों पर सवा 4 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं.

त्योहारी सीजन में खपत बढ़ने की उम्मीद 

बीते साल इस अवधि के दौरान देश में 32 लाख शादियां हुई थीं. 'बैंड बाजा बारात और मार्केट्स' टाइटल की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई के बजट में सोने की इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती से त्योहारों और शादी के मौसम में बड़े खर्च को बढ़ावा मिलेगा. सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के साथ ही गोल्ड निवेश के तौर पर भी लोगों को बेहद पसंद आता है.

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रिपोर्ट में कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी CAIT के एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा गया है कि 15 जनवरी से 15 जुलाई के बीच भारत में 42 लाख से ज्यादा शादियां हुईं. इन शादियों में साढ़े 5 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.

किन-किन चीजों की बढ़ सकती हैं डिमांड

भारतीय शेयर बाजार में भी त्योहारों और शादियों के मौसम में उछाल देखने को मिलता है, जिसकी मुख्य वजह कंज्यूमर स्पेंडिंग में आने वाली तेजी है.  

रिटेल, हॉस्पिटैलिटी, ज्वेलरी और ऑटोमोबाइल... भारत में शादी और त्योहारी सीजन में एयरलाइन और होटल बुकिंग जैसी प्रीमियम गुड्स एंड सर्विसेज पर ज्यादा खर्च होता है. इस बढ़ी हुई डिमांड से कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन में ग्रोथ होती है, जिससे देश की ओवरऑल इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट मिलता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 25 मुख्य-डेस्टिनेशंस को वेडिंग साइट्स के तौर पर स्थापित करने से भारत को इंटरनेशनल वेडिंग्स के लिए टॉप चॉइस में शामिल हो सकता है. सरकार के इस प्लान से देश में विदेशी मुद्रा भी आ सकती है. 'मेक इन इंडिया' अभियान की सफलता के आधार पर इस रणनीति का टारगेट करीब 12.1 अरब डॉलर यानी 1 लाख करोड़ रुपये हासिल करना है. फिलहाल ये रकम विदेशों में डेस्टिनेशन वेडिंग्स पर खर्च की जा रही है.
 

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