फाइनेंशियल ईयर 2021-22 आज समाप्त हो रहा है. गुरुवार को इस फाइनेंशियल ईयर का आखिरी दिन है. एक अप्रैल से नए फाइनेंशियल ईयर (2022-23) की शुरुआत होगी. हर फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत काफी अहम होती है. इस दिन से इनकम, टैक्स और अन्य फाइनेंशियल टर्म से जुड़े कई नियम बदल जाते हैं. आइए जानते हैं कि भारत में किस तरह वित्त वर्ष का आकलन किया जाता है और एक अप्रैल से किन चीजों में बड़ा बदलाव आने वाला हैः
एक अप्रैल से 31 मार्च तक का फाइनेंशियल ईयर
दुनिया के हर देश का सालभर का बजट (Budget), कंपनियों की बैलेंस शीट (Balance Sheet) और इनकम स्टेटमेंट (Income Statement) को एक साल के हिसाब से तैयार किया जाता है. दुनिया के कई देशों में इस एक साल की गणना एक जनवरी से 31 दिसंबर तक की जाती है. लेकिन भारत में इस एक साल का कैलकुलेशन एक अप्रैल से 31 मार्च तक किया जाता है. इसे वित्त वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) कहते हैं.
असेसमेंट ईयर के बारे में जानिए
अगर आपने अब तक असेसमेंट ईयर (Assessment Year) के कैलकुलेशन पर गौर नहीं किया है, तो आपको इस बारे में ध्यान देना चाहिए. आप इसे उदाहरण के जरिए इस तरह समझ सकते हैं.
जब आप 2021-22 का इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने जाएंगे तो इनकम टैक्स की वेबसाइट पर आपको असेसमेंट ईयर में 2022-23 दिखेगा. ऐसा इस वजह से होता है कि 2021-22 के इनकम, और टैक्स देनदारी का ब्योरा आपको 2022-23 में देना होता है.
एक अप्रैल से होंगे बड़े बदलाव
बजट में किए गए प्रावधान नए वित्त वर्ष के पहले से लागू हो जाते हैं. एक अप्रैल, 2022 से भी इनकम टैक्स से जुड़े कई बदलाव प्रभावी होने जा रहे हैं. क्रिप्टो एसेट्स (Crypto Assets), अपडेटेड रिटर्न फाइलिंग, ईपीएफ पर ब्याज दर से संबंधित नए टैक्स नियम, कोविड-19 के उपचार पर टैक्स रिलीफ जैसे कई बड़े बदलाव एक अप्रैल, 2022 से प्रभावी हो जाएंगे.