पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वाली संस्थाओं की जवाबदेही तय होने वाली है. जन सुविधाओं को तय समय पर जारी करने को लेकर सरकार ने कमर कस ली है. सरकार की ओर से एक फ्रेमवर्क बनाया जा रहा है. जन सुविधाओं में पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर स्वास्थ्य बीमा तक शामिल होगा और इसमें देरी होने पर जुर्माने का प्रावधान भी होगा.
प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत विभाग और क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया ने इसके लिए कमर कस ली है. इस फ्रेमवर्क को सबसे पहले हरियाणा और नागालैंड में लागू किया जाएगा. क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया की स्थापना सरकार और तीन औद्योगिक संगठनों ने मिलकर की थी.
जुर्माने के अलावा एक ऐसी व्यवस्था भी लागू की जाएगी, जिसमें शिकायत का निपटारा तीन दिन भीतर ना होने पर वह शिकायत अपने आप किसी सीनियर अधिकारी के पास चली जाएगी उनके पास भी शिकायत के निपटारे के लिए तीन दिन होंगे. अधिकारियों को बताना होगा कि किसी सर्विस में कमी क्यों है और वह समय पर मुहैया क्यों नहीं कराई गई.
नागरिकों को शिकायत पर नजर रखने में मदद के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा और उनको मोबाइल पर स्टेटस अपडेट मिलेगा. मध्य प्रदेश 2010 में राइट टू सर्विस ऐक्ट लागू करने वाला पहला राज्य था.
इसके बाद बिहार, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और झारखंड ने भी अपने यहां यह ऐक्ट लागू किया. पहले दौर में सरकार पासपोर्ट सेवा, आईआरसीटीसी, सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम, इम्युनाइजेशन ऐंड हेल्थ इंश्योरेंस जैसी 10 सेवाओं को इसमें शामिल किया जाएगा.