आर्थिक संकट (Financial Crisis) से जूझ रही बजट एयरलाइंस गो फर्स्ट (Go First) के दिन सुधरते नजर नहीं आ रहे हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहले कंपनी ने 3 से 5 मई तक के लिए अपनी सभी उड़ानों को कैंसिल कर दिया था, लेकिन अब इसे और बढ़ा दिया गया है. एयरलाइंस की ओर से शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, अब 9 मई तक गो फर्स्ट की सभी फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गई हैं. यही नहीं डीजीसीए (DGCA) ने इसके टिकटों की बुकिंग को 15 मई तक के लिए रोक दिया है.
एनसीएलटी में दिया है आवेदन
DGCA के मुताबिक, एयरलाइन टिकट बुकिंग का पैसा लौटाने या फिर मौजूदा टिकट पर भविष्य में यात्रा के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति देने पर भी विचार कर रही है. इससे पहले गो फर्स्ट की ओर से खुद एनसीएलटी (NCLT) में वॉलंटरी इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग (Voluntary Insolvancy Proceedings) के लिए आवेदन दिया गया है. फ्लाइट्स पर रोक की तारीख में बढ़ोतरी की जानकारी देते हुए एयरलाइन चीफ कौशिक खोना ने कहा कि Go First के बेड़े में मौजूद कुल विमानों में से आधे ग्राउंडेड हैं. खोनो के मुताबिक, ये एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है. लेकिनहमें कंपनी के हितों की रक्षा के लिए इस तरह का निर्णय लेना पड़ा है.
संकट के लिए सबसे बड़ा कारण
Go First की ओर से कहा गया है कि ऑपरेशनल कारणों से एयरलाइंस की फ्लाइट्स को कैंसिल किया गया है. सीईओ कौशिक खोना ने इस संबंध में कहा है कि एयरलाइंस को इंजन मुहैया कराने वाली अमेरिकी फर्म प्रैट एंड व्हिटनी (P&W) की ओर से सप्लाई रोकने की वजह से आज एयरलाइन के समक्ष यह संकट पैदा हुआ है. उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा है कि गो फर्स्ट मैनेजमेंट इस संकट की स्थिति से निपटने के लिए भी उचित कदम उठा रही है और हमें कर्मचारियों की चिंता है.
2005 में शुरू हुई थी एयरलाइंस
वाडिया ग्रुप की एयरलाइन कंपनी Go First ने 2005 में एविएशन सेक्टर में एंट्री की थी. शुरुआत में महज दो विमान पट्टे पर लिए गए थे, जो अब बढ़कर 61 विमान हो गए हैं. इनमें 56 A320 नियो और 5 विमान A320 CEO शामिल हैं. शुरुआत में वाडिया ग्रुप ने Go Air लॉन्च करके विमानन उद्योग में प्रवेश किया था, जिसे बाद में Go First के रूप में रि-ब्रांडेड किया गया था. पिछले तीन सालों में प्रमोटरों ने एयरलाइन में भारी भरकम निवेश किया है. ये आंकड़ा 3,200 करोड़ रुपये का है. इसमें बीते दो सालों में बी 2,400 करोड़ रुपये का इन्वेस्ट किया गया है.
फिलहाल, गो फर्स्ट Cash & Carry मोड पर चल रही है. यानी इसे जितनी फ्लाइट संचालित करनी हैं, कंपनी को उनके लिए डेली पेमेंट करना होगा. कंपनी ने दिवालिया होने के लिए जो आवेदन किया है, उनके मुताबिक कंपनी पर 6,527 करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है. एयरलाइंस को इजन मुहैया कराने वाली कंपनी प्रैटी एंड एंड व्हिटनी (Pratt & Whitney)ने सप्लाई बंद कर दी है और कंपनी ऑपरेशनल क्रेडिटर्स की पेमेंट में भी चूक गई है. तेल कंपनियों के बकाया का भुगतान न कर पाने के चलते सभी उड़ानों को रद्द करना पड़ा है.
रिफंड की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश
गौरतलब है कि कंपनी ने दिवालिया कार्रवाई के तहत सरकार से संकट से निकालने की भी मांग रखी है. इसके बाद एयरलाइंस के यात्रियों ने अपने टिकट रिफंड की मांग का मुद्दा उठाया है. अब विमानन नियामक डीजीसीए ने इसे लेकर एक आदेश जारी किया है और कहा है कि गो फर्स्ट यात्रियों को रिफंड की प्रक्रिया शुरू कर दे.
इससे पहले डीजीसीए ने एयरलाइन को तीन मई से पांच मई तक के लिए उड़ानें रद्द करने को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया था और 24 घंटे में इसका जवाब मांगा था. इस नोटिस का जवाब मिलने के बाद नियामक ने कहा है कि गो फर्स्ट की ओर से अचानक ऑपरेशन बंद किए जाने के बाद वह यात्रियों की समस्याओं को कम से कम करने के लिए प्रतिबद्ध है.