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आपके पास भी है बिना Hallmark वाली गोल्ड ज्वैलरी? जानें- अब उसका क्या होगा

देश की बड़ी आबादी अपनी अपनी मेहनत की कमाई जोड़कर सोने के गहने खरीदती है. ऐसे में उन्हें किसी भी तरह के ठगी का शिकार न होना पड़े, इसलिए सरकार ने हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाया है. अगर कोई चाहे तो अपने ज्वेलर के जरिए अपने गहनों की हॉलमार्किंग करवा सकता है.

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गोल्ड की ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग जरूरी
गोल्ड की ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग जरूरी

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है. अगर आप त्योहारी सीजन में सोना (Gold) खरीद रहे हैं, तो हॉलमार्किंग (Hallmarking) का ध्यान रखें. अगर घर में रखे पुराने गोल्ड की ज्वैलरी (Gold Jewellery) की साफ-सफाई और पॉलिश करवाने जा रहे हैं, तो भी हॉलमार्किंग का काम करवा सकते हैं. अगर आपके पुराने गहने पर हॉलमार्क का निशान नहीं है, तो भी आप इसे बेच सकते हैं. अगर आप पुराने गहने पर ही हॉलमार्किंग का निशान लगवाना चाहते हैं, तो ये भी काम भी हो सकता है.

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भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग को 23 जून 2021 से अनिवार्य कर दिया था. तो अगर आप इस त्योहारी सीजन बाजार जा रहे हैं, तो अपने पुराने सोने की सफाई के साथ हॉलमार्किंग भी करवा सकते हैं.

ज्वैलर्स के लिए बाध्य है हॉलमार्किंग

भारत सरकार ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा की जरूरतों का ध्यान रखते हुए सोने के आभूषणों और कलाकृतियों में हॉलमार्क को अनिवार्य बनाने का फैसला किया था. BIS की हॉलमार्किंग स्कीम के तहत ज्वैलर्स को हॉलमार्क वाले आभूषण बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता है. अगर आपके पास पुराने गहने हैं, जिनपर हॉलमार्किंग के निशान नहीं है, तो भी ज्वैलर्स ऐसे गोल्ड को खरीद लेंगे. हॉलमार्किंग की बाध्यता सिर्फ ज्वेलर्स के लिए है.

हॉलमार्किंग के लिए शुल्क

अगर कोई चाहे तो अपने ज्वेलर के जरिए अपने गहनों की हॉलमार्किंग करवा सकता है. इसके लिए उसे एक निश्चित शुल्क अदा करना पड़ेगा. सरकार के आंकड़ों के अनुसार, एक अप्रैल 2022 से 31 जुलाई 2022 तक लगभग 3.7 करोड़ ज्वैलरी को हॉलमार्क किया गया है. वहीं, वर्ष 2021-2022 में कुल 8.68 करोड़ आभूषणों की हॉलमार्किंग हुई थी.

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 बता दें, गोल्ड हॉलमार्किंग के नियम केवल ज्वेलर्स के लिए हैं. वो ग्राहकों को बिना हॉलमार्किंग वाली गोल्ड ज्वेलरी नहीं बेच सकते. अगर ग्राहक के पास पहले से बिना हॉलमार्किंग वाली ज्वेलरी है तो उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा और उसे पहले की तरह बेचा जा सकता है. अगर कोई ज्वेलर ग्राहक से सोना खरीदने या एक्सचेंज करने से मना करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है.

क्यों किया गया अनिवार्य?

देश की बड़ी आबादी अपनी अपनी मेहनत की कमाई जोड़कर सोने ज्वैलरी खरीदती है. ऐसे में उन्हें किसी भी तरह के ठगी का शिकार न होना पड़े, इसलिए सरकार ने हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाया है. अब ज्वैलर्स को सोने के गहने पर हॉलमार्क का निशान रखना अनिवार्य है.

अगर कोई ग्राहक हॉलमार्क के बावजूद सोने की शुद्धता से असंतुष्ट है, तो वह हॉलमार्किंग सेंटर में खुद से इसकी जांच करा सकता है. अगर ग्राहक की चुनौती सही साबित होती है, तो ज्वैलर ग्राहक की चुनौती सही पाए जाने पर ज्वैलर के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान है. साथ ही ग्राहक को मुआवजा भी दिया जाएगा. इसके लिए देशभर के शहरों में हॉलमार्किंग सेंटर भी खोले जा रहे हैं.

पिछले साल हुई थी शुरुआत

हॉलमार्क को अनिवार्य करने का पहला चरण 23 जून 2021 से प्रभावी हुआ था. नियम को हॉलमार्क केंद्र वाले 256 जिलों में हॉलमार्क को अनिवार्य किया गया था. दूसरे चरण एक जून 2022 से प्रभावी हुआ था. दूसरे चरण में अनिवार्य हॉलमार्क व्यवस्था के तहत 32 अतिरिक्त जिलों को शामिल किया गया था. 

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