हमारे देश में दिवाली (Diwali) और धनतेरस (Dhanteras) के मौके पर सोना-चांदी (Gold-Silver) खरीदना शुभ माना जाता है. इस बार भी लोग खरीदारी की तैयारी में जुटे हैं. लेकिन सवाल उठता है कि सोना खरीदें या चांदी? आज हम आपको बताएंगे कि इस दिवाली आपको क्या खरीदना चाहिए?
वैसे सोने और चांदी की कीमतों में धरती-आसमान का फर्क है. लेकिन धनतेरस पर अधिकतर लोग सोने-चांदी के सिक्के खरीदते हैं. मौजूदा हालात में देखें तो देश-दुनिया में महंगाई लगातार बढ़ रही है. इकोनॉमी (Economy) पर दबाव है और शेयर बाजार (Share Market) लगातार एक दायरे में कारोबार कर रहा है.
संकट में सोना-चांदी सहारा
ऐसे में एक मध्यवर्गीय परिवार को अपनी जमापूंजी को ध्यान में रखकर फैसला करना चाहिए, कि उन्हें इस दिवाली सोना खरीदना चाहिए या फिर चांदी. वैसे जब भी राजनीतिक या आर्थिक संकट गहराता तो सोना-चांदी निवेश के लिए सबसे बेहतर और सुरक्षित विकल्प बनकर उभरता है. पिछले एक साल में अगर दोनों के प्रदर्शन को देखें तो चांदी की उल्टी चाल रही है. जबकि सोने में मामूली तेजी दर्ज की गई है.
पिछले धनतेरस के मुकाबले इस धनतेरस पर सोने में 6 फीसदी की तेजी देखी गई है. जबकि इस दौरान चांदी की कीमतों में करीब 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. यही नहीं, मेटल (Metal) सेगमेंट में चांदी का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है. केवल इस साल में चांदी की कीमतों में 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. इसके मुख्य कारण डॉलर में मजबूती और महंगाई बढ़ने से लगातार ब्याज दरों में इजाफा है.
चांदी में अगले साल तेजी का अनुमान
Mehta Equities लिमिटेड के Commodities सेगमेंट के वाइस प्रसीडेंट Rahul Kalantri का कहना है कि इस त्योहारी सीजन में चांदी को पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं. सोने के मुकाबले चांदी में अगले साल तेजी का अनुमान है. Gold-Silver Ratio (GSR) के मुताबिक चांदी से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि निवेश के लिए सोने के मुकाबले चांदी सही स्तर पर है.
बता दें, चांदी एक औद्योगिक धातु है और इसका इस्तेमाल ग्रीन टेक्नोलॉजी में भी होता है, इस नजरिये से निवेश के लिए चांदी बेहतर विकल्प है. दुनिया के कई देश हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं. यही नहीं, अगले कुछ वर्षों में डीकार्बोनाइजेशन और विद्युतीकरण परियोजनाओं में निवेश बढ़ता रहेगा. इन सभी में सेक्टर में चांदी का इस्तेमाल होने वाला है.
वहीं 5G के बढ़ते इस्तेमाल से भी मेटल सेक्टर को सपोर्ट मिलने वाला है, जिसमें चांदी भी एक बड़ा प्लेयर है. इस हिसाब से साल 2023 में भौतिक मांग में 5 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद है.
महंगाई की वजह से सोने पर दबाव
इसके अलावा चांदी की विदेशी कीमतें हाल के दिनों में अधिक बढ़ सकती हैं, लेकिन 22.40 डॉलर प्रति औंस और इससे ऊपर 27.00 डॉलर प्रति औंस पर रुकावट (Resistance) का सामना करना पड़ सकता है. जबकि $16.00 से नीचे जाने पर और दबाव बढ़ सकता है. भारत में चांदी की कीमतें 51,600 रुपये से ऊपर रहने की संभावना है, और 75,000 रुपये पर एक Resistance है. अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में उछाल से सोने की कीमतों पर असर पड़ सकता है. इसलिए सोने से ज्यादा चांदी से रिटर्न मिलने की उम्मीद है.
(नोट: कहीं भी निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)