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कोई ऐसे ही Ratan Tata नहीं हो जाता! फोर्ड के मालिक से मिले रिजेक्शन का अपने अंदाज में लिया था बदला

Happy Birthday Ratan Tata: 90 के दशक में टाटा मोटर्स की इंडिका के फ्लॉप होने की वजह से नौबत यहां तक आ गई थी कि रतन टाटा ने पैसेंजर कार डिविजन बेचने का फैसला कर लिया था और इसके लिए Ford Motors से बात की थी.

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रतन टाटा (फाइल फोटोः इंस्टाग्राम)
रतन टाटा (फाइल फोटोः इंस्टाग्राम)

दिग्गज भारतीय उद्योगपति Ratan Tata आज 85 साल के हो गए. उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 में मुंबई में हुआ था. एक सफल बिजनेसमैन, दरियादिल इंसान रतन टाटा बेहद शांत स्वाभाव के हैं, लेकिन उनसे जुड़ा एक किस्सा ऐसा भी जो किसी से बदला लेने के मामले में एक मिसाल कायम करता है. दरअसल, उन्होंने Ford Motors के चेयरमैन से अपने अपमान का बदला बड़े ही दिलचस्प अंदाज में लिया था. 

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यहां से शुरू हुई थी बदले की कहानी
ये बात साल, 90 के दशक की है, जब TATA Sons के चेयरमैन रहते हुए रतन टाटा (Ratan Tata) के नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने अपनी कार टाटा इंडिका (Tata Indica) तो लॉन्च किया था. लेकिन, उस समय टाटा की कारों (Tata Car's) की सेल उस हिसाब से नहीं हो पा रही थी, जैसा रतन टाटा ने सोचा था. टाटा इंडिका को ग्राहकों का खराब रिस्पांस मिलने और लगातार बढ़ते घाटे के चलते ऐसा समय आया कि उन्होंने पैसेंजर कार डिवीजन (Passenger Car Business) को बेचने का ही फैसला कर लिया. इसके लिए उन्होंने अमेरिकन कार निर्माता कंपनी Ford Motors से बात की थी. 

फोर्ड चेयरमैन ने कहा, 'तुम कुछ नहीं जानते' 
जब रतन टाटा ने अपने पैसेंजर कार बिजनेस को Ford Motors को बेचने का फैसला किया. तो लग्जरी कार निर्माता कंपनी Ford के चेयरमैन Bill Ford ने उनका मजाक उड़ाया था. फोर्ड ने अपमान करते हुए कहा था, 'तुम कुछ नहीं जानते, आखिर तुमने पैसेंजर कार डिविजन क्यों शुरू किया? अगर मैं ये सौदा करता हूं तो ये तुम्हारे ऊपर बड़ा एहसान होगा.'  

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फोर्ड चेयरमैन ने उड़ाया था मजाक
फोर्ड चेयरमैन ने उड़ाया था मजाक

फोर्ड चेयरमैन के ये शब्द रतन टाटा के दिन में तीर की तरह लगे. लेकिन उनके चेहरे पर ये भाव नहीं आए और उन्होंने शालीनता से बिल फोर्ड की बात सुनने के बाद मन ही मन बड़ा फैसला कर लिया. अमेरिका में अपमानित होने के बाद Ratan Tata ने कार डिविजन को बेचने का निर्णय टाल दिया और Bill Ford को ऐसा सबक सिखाया, जिसकी उसने कल्पना नहीं की थी. 

नौ साल बाद ऐसे लिया बदला  
अपने अपमान के बाद भी रतन टाटा शांत रहे और उन्होंने कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं की. उसी रात वे मुबंई के लिए वापस लौट आए. उन्होंने इस अपमान को लेकर कभी किसी से कोई जिक्र नहीं किया, बल्कि अपना पूरा ध्यान कंपनी के कार डिविजन को बुलंदियों पर पहुंचाने में लगा दिया. उनकी मेहनत रंग लाई और करीब नौ साल बाद यानी 2008 में उनकी टाटा मोटर्स दुनिया भर के मार्केट में छा चुकी थी और कंपनी की कारें वेस्ट सेलिंग कैटेगरी में सबसे ऊपर आ गई थीं. 

Bill Ford को आना पड़ा मुंबई
एक ओर जहां TATA Motors रतन टाटा के नेतृत्व में आसमान की बुलंदियां छू रही थी. तो वहीं इस अवधि में बिल फोर्ड के नेतृत्व वाली Ford Motors की हालत पतली हो चुकी थी. डूबती फोर्ड कंपनी को उबारने के लिए रतन टाटा आगे आए, लेकिन उनका ये कदम अपने उस अपमान का बदला लेने का एक जोरदार तरीका था, जो फोर्ड चेयरमैन ने किया था.

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दरअसल, जब फोर्ड बड़े नुकसान में थी तो 2008 में ही टाटा चेयरमैन रतन टाटा ने चेयरमैन को उनकी कंपनी की सबसे लोकप्रिय जैगुआर और लैंड रोवर ब्रांड को खरीदने का ऑफर दे डाला. इस सौदे के लिए रतन टाटा को अमेरिका नहीं जाना पड़ा, बल्कि उनका अपमान करने वाले बिल फोर्ड को खुद अपनी पूरी टीम के साथ मुंबई आना पड़ा. 

रतन टाटा
रतन टाटा

फोर्ड चेयरमैन के बदल गए सुर
मुंबई में रतन टाटा के ऑफर को एक्सेप्ट करते हुए Bill Ford के सुर ही बदल गए थे. टाटा मोटर्स की कार डिविजन के सौदे के समय उन्होंने जो रतन टाटा के लिए कहा था, ठीक वही उन्होंने अपने लिए दोहराया. फोर्ड चेयरमैन ने मीटिंग के दौरान रतन टाटा को Thank You बोला और कहा 'आप जैगुआर और लैंड रोवर सीरीज को खरीदकर हमपर बड़ा एहसान कर रहे हैं.' आज जैगुआर और लैंड रोवर कारें टाटा मोटर्स की सबसे सक्सेसफुल सेलिंग मॉडल्स में एक हैं.

Ratan Tata की ये बातें उन्हें बनाती हैं खास

1- 'काम ही पूजा है'
रतन टाटा के लिए काम करने का मतबल पूजा करना है. उनका कहना है कि काम तभी बेहतर होगा, जब आप उसकी इज्जत करेंगे.

2- सभी से प्यार भरा व्यवहार
Ratan Tata की सबसे बड़ी खासियत है उनका शांत और सौम्य स्वभाव. वे कंपनी के छोटे से छोटे कर्मचारी तक से बड़े प्यार से मिलते हैं, उनकी जरूरतों को समझते हैं और उनकी दर मदद करते हैं.

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3- सफलता का मतलब 
दिग्गज उद्योगपति के मुताबिक, अगर आपको किसी काम में सफलता पाना है, तो उस काम की शुरुआत भले ही आप अकेले कर रहे हों, लेकिन उसे बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए लोगों का साथ जरूरी है. साथ मिलकर ही दूर तक चल सकते हैं. 


 

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