15 अगस्त को आजादी के 77वें स्वतंत्रता दिवस को लेकर कारोबार जगत भी खासा उत्साहित है. ख़ासकर पीएम की 'हर घर तिरंगा' अभियान की अपील के बाद झंडों की बिक्री में आयी तेज़ी ने तो छोटे व्यापारियों को ज़्यादा ही खुश होने मौक़ा दे दिया है. पिछले हफ़्ते के आख़िर में पीएम ने सोशल मीडिया पर अपनी डीपी को बदलकर तिरंगा लगाया. प्रधानमंत्री ने लोगों से भी ऐसा करने की और तिरंगे के साथ सेल्फी भेजने की अपील की. इसका असर ऐसा हुआ है कि तिरंगे की बिक्री में 60-70 परसेंट तक का इजाफा हो गया है. कुछ जगहों पर तो तिरंगे की बिक्री में 90 परसेंट तक उछाल आया है.
पीएम मोदी की अपील ने बढ़ाई तिरंगे की मांग
पीएम की अपील के बाद लोगों ने तो झंडों की ख़रीदारी बढ़ायी ही है इसके साथ ही काफ़ी लोग थोक में झंडे लेकर भी बांटते हैं जो अब बड़ी संख्या में मार्केट में आ रहे हैं. इससे झंडे बनाने वाले कारीगर और दुकानदारों का फायदा होगा. झंडे के साथ-साथ तिरंगा कलर के कई छोटे-बड़े आइटम्स की भी देशभर में अच्छी डिमांड है जो 15 अगस्त तक और बढ़ने का अनुमान है. वैसे तो तिरंगा कलर के कई आइटम्स की बाज़ार में डिमांड है लेकिन झंडों के ख़रीदार सबसे ज़्यादा हैं.
ग्राहक भी अपने मनपसंद साइज के बढ़िया कपड़ों के झंडे की ही सबसे ज्यादा डिमांड कर रहे हैं, ये झंडे थोक बाजार में 20 से लेकर 30 रुपये तक मिल रहे हैं. वैसे बाजार में 500 रुपये तक के झंडे भी बल्क में उपलब्ध हैं.
3 शिफ्ट में काम कर रहे हैं कारीगर!
स्वतंत्रता दिवस के लिए स्कूल वगैरह में भी कई कार्यक्रम होते हैं, जिसमें बच्चे गुब्बारे, छोटे-छोटे झंडे, बैज, हैंड बैंड, टोपी जैसी चीज़ों को लेकर जाते हैं जिससे इन आइटम्स की भी बंपर बिक्री हो रही है. वहीं झंडा कारोबारियों का कहना है कि पीएम की अपील के बाद तिरंगे की मांग में हुई बढ़ोतरी से अब कारीगरों को तीन शिफ्टों में काम कराना पड़ रहा है.
देश में तो हर जगह झंडों की मांग बढ़ी ही है मैन्युफैक्चरर्स के पास अब विदेशों तक से झंडे की डिमांड आ रही है. देश के अलग अलग हिस्सों में तिरंगे की मांग तेजी से बढ़ने से दुकानों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और स्थानीय बाजारों में तिरंगे की जमकर बिक्री हो रही है.
2022 में 500 करोड़ के झंडे बिके
झंडों की बिक्री बढ़ाने में 2022 में सरकार की इसके निर्माण के नियमों में दी गई ढील का भी बड़ा रोल था. दरअसल, सरकार ने दिसंबर 2021 में फ्लैग कोड में बदलाव करके पॉलिएस्टर और मशीनों से झंडे बनाने की अनुमति दी थी. इससे देशभर में झंडों को आसानी से मुहैया कराया जाने लगा जबकि पहले भारतीय तिरंगा केवल खादी या कपड़े से बनाने की ही अनुमति थी. तिरंगे के उत्पादन को बढ़ाने में वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत की मुहिम ने भी महत्वपूर्ण रोल निभाया है.
साल 2022 में भी पीएम ने हर घर तिरंगा अभियान की अपील की थी, जिससे उस साल 500 करोड़ का झंडा बिक्री का कारोबार देश में हुआ था. उस दौरान करीब 30 करोड़ तिरंगा झंडा तैयार किए गए थे जिससे 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिला था जबकि इसके पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज की सालाना बिक्री करीब 150-200 करोड़ रुपये तक ही सीमित रहती थी. तिरंगा निर्माण में ज्यादा योगदान MSME सेक्टर का रहता है.