हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) को लेकर लोग कोरोना काल के बाद खासे जागरूक हुए हैं. वहीं इसे लेने वाले बीमाधारकों को राहत देते हुए बीमा नियामक इरडा (IRDAI) भी लगातार कदम उठाता जा रहा है. अब इरडा ने बड़ा फैसला लेते हुए जो मास्टर सर्कुलर जारी किया है, वो बीमाधारकों को मजबूत बनाने और इंश्योरेंस कंपनियों की मनमानी पर लगाम लगाने की दिशा में अहम है. बीमा नियामक ने 1 और 3 घंटे का नया रूल लागू किया है, जो कैशलैस इलाज (Cashless Insurance) में लोगों के बड़े काम आने वाला है. आइए पांच पॉइंट में समझते ये कैसे काम करेगा?
1- इलाज के लिए नहीं करना होगा इंतजार
इरडा द्वारा हेल्थ इंश्योरेंस में कैशलेस भुगतान के नियमों (Cashless Payment Rule) में किए गए ताजा फेरबदल से आम लोगों या बीमाधारकों को कई तरीके से फायदा होगा और इसमें सबसे बड़ा ये है कि इलाज टाइम पर शुरू हो जाएगा. दरअसल, कई मामलों में देखने को मिलता है कि मरीज के परिजनों को असप्ताल में इलाज की शुरुआत में Hospital के कहने पर तुरंत पैसे जुटाने की जरूरत पड़ती है और वो परेशान होते हैं, लेकिन अब ये समस्या नहीं आएगी. नए दिशा-निर्देशों के तहत बीमा कंपनियों के कैशलेस इलाज के लिए 1 घंटे अप्रूवल में देने से बीमाधारक को अस्पताल में जल्द से जल्द इलाज मिलना शुरू हो सकेगा.
2- तीन घंटे के भीतर होगा क्लेम सेटल
अब तक कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस के तहत इलाज कराने का बावजूद लोगों को क्लेम सेटलमेंट के लिए मशक्कत करनी पड़ती थी. लेकिन अब इस परेशानी से निजात मिल जाएगा. दरअसल, इंश्योरेंस रेग्युलेटर इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम से जुड़े नियमों में एक और बड़ा बदलाव ये किया है कि अब बीमा कंपनियों को हॉस्पिटल से जैसे ही मरीज के डिस्चार्ज की रिक्वेस्ट मिलेगा, उसके महज 3 घंटे के भीतर ही बीमा कंपनियों को अपना अप्रूवल देना जरूरी होगा. इसका मतलब है कि मरीज के डिस्चार्ज होने की रिक्वेस्ट के 3 घंटे में ही क्लेम सेटल या बिल सेटलमेंट हो जाएगा.
3- फटाफट देना होगा अप्रूवल
अगर किसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, तो अब तक इस स्थिति में कैशलेस इलाज को लेकर हॉस्पिटल एक रिक्वेस्ट जेनरेट करके संबंधिक बीमा कंपनी को भेजते हैं. इसके बाद बीमा कंपनी की ओर से अप्रूवल दिया जाता है और इसमें कभी कभी लंबा समय लगता है, लेकिन अब IRDAI ने नियमों में बदलाव करते हुए साफ किया है कि बीमा कंपनियों को ऐसी रिक्वेस्ट पर सिर्फ एक घंटे के भीतर ही फैसला करना होगा और इस रिक्वेस्ट पर अपना अप्रूवल या डिसअप्रूवल देना होगा.
4- कागजी कार्रवाई का झंझट ही खत्म
IRDAI के मास्टर सर्कुलर के मुताबिक, नए नियम के तहत अब बीमाधारक को तमाम तरीके की कागजी कार्रवाई से निजात मिल जाएगी. दरअसल, बीमा कंपनियों को इरडा ने निर्देश दिया है कि ग्राहकों को ऑनबोर्ड करने से लेकर पॉलिसी के रीन्युअल व अन्य सभी तरह की सर्विसेज के लिए End-2-End टेक्नीकल सॉल्युशंस मिलना चाहिए. इसके अलावा क्लेम सेटलमेंट के लिए अब बीमाधारक को किसी भी तरह का कोई डॉक्युमेंट सबमिट नहीं कराना होगा, बल्कि बीमा कंपनियां इन्हें संबंधित अस्पताल से खुद ही कलेक्ट करेंगी.
5- बीमाधारक के पास होगी पॉलिसी की एक-एक डिटेल
अब बीमा कंपनियां ग्राहक को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी बेचते समय किसी भी जरूरी बात को छिपा नहीं सकेंगी, उन्हें एक-एक जानकारी उनके साथ शेयर करनी होगी. IRDAI के सर्कुलर के मुताबिक, इंश्योरेंस कंपनियों को ग्राहकों को एक कस्टमर इंफॉर्मेशन शीट देनी होगी. इसमें बिल्कुल आसाना भाषा में उसे दी गई पॉलिसी के बारे में सभी जानकारी, जैसे ये कैशलेश है, बीमा राशि कितनी है, कवरेज की डिटेल, क्लेम के दौरान होने वाले डिडक्शन समेत बीमा कवरेज के अलावा भी संबंधित सभी जानकारियां शामिल होंगी.
3 साल में 43% बीमाधारकों ने उठाई परेशानी
गौरतलब है कि इससे पहले लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आया था कि बीते तीन सालों में 43 फीसदी बीमा पॉलिसीधारकों को अपने हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को सेटल करने में तमाम तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य बीमा का दावा करने की प्रक्रिया बहुत समय लेने वाली है, क्योंकि कई पॉलिसीधारक और उनके परिवार के सदस्य अस्पताल में भर्ती होने के आखिरी दिन अपने दावे को संसाधित करने की कोशिश में इधर-उधर भागते नजर आते हैं.