उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में त्योहारों का मौसम अमन की उम्मीद लेकर आया है. कुछ दिनों पहले सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहे जिले में हिंदू और मुसलमान मिलकर दशहरे के लिए रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बना रहे हैं. इस उम्मीद के साथ कि दशहरे पर बुराइयों के साथ बीती बातें और गिले-शिकवे भी स्वाहा हो जाएंगे.
नेताओं का काम नहीं करेंगे
40 हिंदू-मुसलमान कलाकारों का एक ग्रुप महीने भर से पुतले बनाने के काम में लगा हुआ है. इनमें 22 हिंदू और 18 मुस्लिम कलाकार हैं. इनके बनाए पुतले कश्मीर घाटी, जम्मू के सारे जिलों औऱ लद्दाख भेजे जाएंगे. ये कलाकार चार पीढ़ियों से यही काम कर रहे हैं.
खास बात यह है कि इन कलाकारों ने किसी भी कीमत पर किसी नेता या पार्टी के लिए पुतला बनाने से साफ इनकार कर दिया.
हमसे सीखो भाई-चारा
मुजफ्फरनगर के मीरापुर के रहने वाले 36 साल के मोहम्मद गयासुद्दीन कहते हैं कि उनके जिले में पिछले दिनों जो कुछ हुआ, उससे उन्हें बहुत दुख है. लेकिन उन्हें इस बात का सुकून है कि उनके बनाए पुतले बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
25 साल के कलाकार राहुल कुमार कहते हैं कि लोगों को कलाकारों से सीखना चाहिए कि भाई-चारे से कैसे रहा जाता है.
इन सब कलाकारों का कहना है कि मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक दंगों का उन पर कोई असर नहीं पड़ा. वह साथ ही खाते हैं और देर रात तक पुतले बनाने में जुटे रहते हैं. उनका कहना है कि अगर उन्हें चुनावो के लिए राजनीतिक पार्टियो का काम मिलेगा तो वह काम बिल्कुल नही करेंगे.