भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल में Account Aggregator के लिए लाइसेंस दिया है. इससे ग्राहकों को लोन, इंश्योरेंस और म्यूचुअल फंड इत्यादि के लिए बार-बार KYC कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी. वहीं ये Account Aggregator बेस्ट प्लान से लेकर अच्छी डेटा सिक्योरिटी देने में भी मदद करेंगे.
क्या है Account Aggregator नेटवर्क
Account Aggregator एक तरह का इंटरमीडिएटरी या एक्सचेंज प्लेटफॉर्म है. Account Aggregator नेटवर्क बैंकों के डेटा को बीमा, म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय संस्थानों के साथ साझा करने का काम करेगा. इनके पास बैंक या इन संस्थानों के सिस्टम से डेटा एक्सेस की भी अनुमति होगी.
डेटा शेयरिंग के लिए जरूरी ग्राहक की रजामंदी
देश के 8 प्रमुख बैंकों ने Account Aggregator नेटवर्क के साथ ग्राहकों के डेटा को साझा करने की योजना बनाई है. इससे बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को नये ग्राहक पाने में भी मदद मिलेगी. हालांकि ग्राहकों का डेटा साझा करने के लिए बैंक या वित्तीय संस्थान को उनकी रजामंदी लेनी होगी.
इन बैंकों में SBI, HDFC Bank, ICICI Bank, Kotak Mahindra Bank, Axis Bank, Indusind Bank, Federal Bank और IDFC First Bank शामिल हैं.
Account Aggregator का काम
Account Aggregator प्लेटफॉर्म का मुख्य काम किसी एक ग्राहक के सभी वित्तीय डेटा को एक जगह इकट्ठा करना होगा. वह ग्राहक के डेटा कस्टोडियन के तौर पर काम करेगा. उदाहरण के लिए यदि कोई बैंक या वित्तीय संस्थान अपना डेटा Account Aggregator के साथ शेयर कर रहा है, तो Account Aggregator के पास इनके सिस्टम से इस डेटा को एक्सेस करने की अनुमति होगी. वहीं ग्राहकों को इससे अपनी सारी वित्तीय जानकारी को एक ही जगह मिल सकेगी.
बार-बार KYC की जरूरत नहीं
अगर आपका बैंक या वित्तीय संस्थान Account Aggregator के साथ डेटा साझा कर रहा है, तो फिर आपको इसके कई फायदे होंगे, क्योंकि इससे कंपनियों के लिए आपस में डेटा शेयरिंग आसान हो जाएगी.
ये सभी संस्थान ऐप के माध्यम से Account Aggregator नेटवर्क से जुड़े रहेंगे. ऐसे में अगर आपको नया लोन चाहिए या कोई बीमा पॉलिसी तो आपको KYC के लिए किसी तरह के दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आपको सिर्फ Account Aggregator को डेटा साझा करने की रज़ामंदी देनी होगी और वो आपके KYC डेटा को डिजिटल तरीके से आपके बैंक से कलेक्ट कर लोन या बीमा कंपनी देने वाले संस्थान तक भेज देगा.
सुरक्षित होगी डेटा शेयरिंग
डिजिटल होती दुनिया में सबसे बड़ी चिंता डेटा की सुरक्षा और प्राइवेसी की है. तो Account Aggregator के मामले में आपको डेटा सुरक्षा पूरी तरह से मिलेगी. RBI ने इसके लिए कड़े डेटा प्राइवेसी गाइडलाइन तैयार किए हैं. वहीं Account Aggregator के साथ बैंक जो डेटा शेयर करेंगे वो पूरी तरह से इंक्रिप्टेड होगा, यानी इसमें कोई सेंधमारी नहीं हो सकेगी.
डेटा पर रहेगा ग्राहक का नियंत्रण
इतना ही नहीं एक ग्राहक के तौर पर आपके पास आपके डेटा का पूरा नियंत्रण रहेगा. आप अपना कौन सा डेटा, कितने समय के लिए साझा करना चाहते हैं. बैंक या वित्तीय संस्थान कितनी देर तक Account Aggregator के माध्यम से इस डेटा तक एक्सेस कर सकते हैं, ये सब आप तय करेंगे. वहीं आप सिर्फ लोन का डेटा शेयर करना चाहते हैं या क्रेडिट कार्ड का भी, ये आपको ही तय करना होगा.
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