सुमित डरा हुआ है, शेयर बाजार (Share Market) में 6 महीने की गिरावट ने सुमित की सोच बदल दी है. दरअसल, 6 महीने पहले सुमित केवल मल्टीबैगर स्टॉक्स खोज रहा था, क्योंकि उस समय बाजार में सबकुछ सही चल रहा था, इस दौरान उसने जो भी शेयर खरीदा, उससे थोड़ी बहुत कमाई हो गई. फिर सुमित ने कुछ ऐसे शेयरों पर दांव लगा दिया, जो फंडामेंटली मजबूत नहीं थे. अब सुमित कहना है कि ऐसे शेयरों ने तो पोर्टफोलियो का सत्यानाश कर दिया.
दरअसल, इस गिरावट में फंडामेंटली मजबूत शेयर करीब 40 फीसदी तक टूटे हैं. लेकिन कुछ कमजोर शेयर्स, जिनके भाव गिरकर आधे से भी कम हो गए हैं. ऐसे में सुमित जैसे देश में लाखों लोग हैं, जो पिछले कुछ वर्षों से शेयर बाजार में हाथ आजमा रहे थे, जिनकी दो-तीन साल की कमाई, कुछ महीनों में ही उड़ गई.
कमजोर शेयर कर रहे हैं परेशान
हालांकि इस हफ्ते शेयर बाजार में मामूली रिकवरी देखने को मिली है, इंडेक्स में करीब 2 फीसदी की तेजी दर्ज की गई. खासकर स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में निचले स्तर सुधार के संकेत मिल रहे हैं, इस दौरान फंडामेंटली मजबूत शेयरों में 10 फीसदी तक बढ़ोतरी आई है. लेकिन कुछ ऐसे शेयर भी हैं, जो अभी भी बिल्कुल ठंडे पड़े हैं. अब सुमित की समस्या ये है कि उसके पोर्टफोलियो में कुछ शेयर तो अभी भी गिर रहे हैं, जबकि बाजार में थोड़ी खरीदारी लौटी है.
बता दें, सुमित शेयर बाजार में नया है, लेकिन उसे पता है कि बाजार की गिरावट में मजबूत शेयर भी गिरते हैं. लेकिन जब स्थिति सुधरती है, तो सबसे पहले वही शेयर भागते हैं, जो फंडामेंटली मजबूत होते हैं. सुमित के पोर्टफोलियो में कई फंडामेंटली मजबूत शेयर हैं, जो अब रिकवरी के मोड में हैं. परंतु सुमित उन शेयरों को देखकर घबरा रहा है, जो 50 से 60 फीसद तक गिर चुके हैं, और अब जब बाजार रिकवरी के मूड में है तो भी वो ठंडे पड़े हैं, सुमित का सवाल है कि क्या ऐसे शेयर अब अपने ऑलटाइम को कभी क्रॉस नहीं करेगा? सुमित का कहना है कि वो तो ऐसे शेयर खरीदकर आर्थिक तौर बर्बाद हो गया है.
करोड़ों निवेशकों की यही समस्या
बता दें, ऐसी समस्या से केवल सुमित ही नहीं, देश के करोड़ों निवेशक जूझ रहे हैं. खासकर वैसे लोग जो कोविड के बाद बाजार में जुड़े हैं. पिछले 6 महीने की गिरावट से कमाई पर तो ग्रहण लगा ही, कैपिटल भी घट गया है. यानी मुनाफे के साथ-साथ कुछ मूलधन भी साफ हो गया है. दरअसल, करोड़ों ऐसे निवेशक हैं, जिनके पोर्टफोलियो में कुछ ऐसे शेयर्स हैं, जो फंडामेंटली मजबूत नहीं हैं, जिसके भाव बाजार की रैली में बढ़ गए थे, लेकिन अब वो निवेशकों को डरा रहा है.
अब सुमित जैसे निवेशक ये जानना चाहते हैं कि जो शेयर फंडामेंटली मजबूत नहीं हैं, उसके साथ क्या करें? क्योंकि उसमें भारी नुकसान हो रखा है, और वो अब भी नहीं चल रहे हैं, तो फिर पोर्टफोलियो उसे क्यों रखें, और कब तक रखें? अगर इस गिरावट के बीच ऐसे शेयर को बेचते हैं तो भारी नुकसान हो जाएगा, और नहीं बेचते हैं तो आगे कब ये शेयर बढ़ेंगे, ये पता नहीं है.
अगर आपके पोर्टफोलियो में भी ऐसे मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर हैं, जो 50 फीसदी से ज्यादा टूट चुके हैं, और फंडामेंटली मजबूत नहीं हैं, किसी के कहने पर ले लिया था, और अब उसे पोर्टफोलियो में देखा नहीं जा रहा है. खासकर नए रिटेल निवेशक ऐसे स्टॉक्स में फंसे हुए हैं. जानकारों की मानें तो बाजार में अभी भी दबाव है, और अगले कुछ महीनों तक रह सकता है.
ऐसे बाहर निकलें कमजोर स्टॉक्स से
जानकारों के मुताबिक अगर सुमित की तरह आप भी कमजोर स्टॉक्स लेकर फंस गए हैं, तो ये पोर्टफोलियो के लिए खराब है. लेकिन जल्दबाजी में बेचने से और नुकसान हो सकता है. इसलिए सबसे पहले एक लिस्ट बनाएं कि आपके पोर्टफोलियो में कितने मजबूत और कितने कमजोर स्टॉक्स हैं, फिर कमजोर स्टॉक्स को नुकसान के आधार पर देखें, जो कौन ज्यादा नुकसान दे रहा है और किसमें थोड़ा कम नुकसान हो रहा है.
एक बात तो तय है बाजार हमेशा नीचे नहीं रहता है, भले वक्त ज्यादा लग जाएगा, लेकिन ऊपर जाना तय होता है. ऐसे में कुछ महीनों का इंतजार करें और जैसे-जैसे बाजार में सुधार आए, कमजोर स्टॉक्स से निकलते जाएं, उस पैसे से नया शेयर खरीदने से बचें, पोर्टफोलियो में जो मजबूत शेयर हैं, उसी को और जोड़ लें. कोशिश ये करें पोर्टफोलियो डायवर्सीफाई हो, यानी उसमें ब्लूचिप कंपनियां, मिडकैप और स्मॉलकैप हों.
एक नए निवेशक को सबसे ज्यादा लॉर्जकैप में निवेश करना चाहिए. उदाहरण के लिए 50 से 60 फीसदी निवेश लॉर्जकैप में रखें, करीब 30 फीसदी मिडकैप में और बाकी 20 फीसदी स्मॉलकैप शेयरों में लगा सकते हैं. मिडकैप और स्मॉल कैप शेयरों के चयन में एक्सपर्ट्स की मदद ले सकते हैं, ताकि किसी कमजोर शेयर में फंसकर अपनी गाढ़ी कमाई न गंवा दें.
गौरतलब है कि शेयर बाजार ने पिछले 6 महीनों से निवेशकों को खूब रुलाया है. ऐसा कोई नहीं था, जो ये कहे उसे नुकसान नहीं हुआ. खासकर फरवरी के महीने में कोहराम मच गया था. मार्च का आगाज भी तगड़ी गिरावट के साथ हुआ, लेकिन थोड़ी रिकवरी आई है. निफ्टी अभी भी ऑलटाइम हाई से करीब 15 फीसदी नीचे है. स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स तो 20 फीसदी से ज्यादा लुढ़क चुके हैं. (सुमित एक काल्पनिक नाम है)
(नोट: शेयर बाजार में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)