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पाकिस्तान बोल रहा था झूठ, IMF ने पकड़ा, कहा- गलत दावे से नहीं मिलेंगे पैसे!

Pakistan Economic Crisis : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के सामने जो शर्तें रखी थींं, उनमें प्रमुख ये थी कि दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके देश को अलग-अलग टैक्स के जरिए 170 अरब रुपये की वसूली करनी थी. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और वित्त मंत्री इशाक डार की ओर से इसे मानने के दावे किए गए थे.

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पाकिस्तान को आईएमएफ ने दिया जोर का झटका
पाकिस्तान को आईएमएफ ने दिया जोर का झटका

पाकिस्तान में आर्थिक हालात सुधरने के नाम नहीं ले रहे हैं, महंगाई (Pakistan Inflation) में पिसती जनता दाने-दाने को मोहताज है और दिवालिया (Default) होने की कगार पर पहुंचा देश दूसरों के सामने हाथ फैलाने को मजबूर है. इस संकट से निकलने के लिए उसकी पूरी आस अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर टिकी है, लेकिन अब उसने ऐसा काम कर दिया है कि IMF की ओर से भी उसे जोर का झटका लगा है. दरअसल, वैश्विक निकाय ने पाकिस्तान के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उसने मदद के लिए आईएमएफ की ओर से रखी गई सभी शर्तों को मानने की बात कही थी. 

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समीक्षा में झूठे निकले PAK सरकार के दावे
अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट (Financial Crisis) का सामना कर रहे पाकिस्तान की चाल आईएमएफ (IMF) ने पकड़ ली है और उसे बड़ा झटका दे दिया है. आईएमएफ ने कंगाली की कगार पर पहुंच चुके देश को आर्थिक मदद देने के लिए कुछ कड़ी शर्तें रखी थीं. इसके बाद मंहगाई के सामने आपने घुटने टेक चुकी पाकिस्तान की सरकार ने वैश्विक निकाय के सामने एक नहीं कई बार इस तरह के दावे किए कि उसने बेलआउट पैकेज की किस्त पाने के लिए सामने रखी गईं सभी शर्तों को पूरा कर दिया है.

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) और वित्त मंत्री इशाक डार (Ishaq Dar) की ओर से इस तरह के दावे किए गए थे, लेकिन द एक्सप्रेस ट्रिब्यून न्यूज पेपर के मुताबिक, आईएमएफ की ओर से शुक्रवार को बयान जारी कर कहा गया है कि उसने नौवीं समीक्षा के लिए जरूरी सभी औपचारिकताएं पूरी करने के पाकिस्तान सरकार के दावे को खारिज कर दिया है.    

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2019 में आईएमएफ- पाकिस्तान में हुआ था करार
पाकिस्तान का सरकारी खजाना लगभग खाली हो चुका है और देश में महंगाई का आंकड़ा एशिया में सबसे ऊपर पहुंच गया है. पैसों की तंगी से जूझ रहे देश ने तमाम देशों से मदद की गुहार लगाई है और साल 2019 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ हुए बेलआउट पैकेज के समझौते की पहली किस्त पाने के लिए गुहार लगाई है.

आईएमएफ ने पाकिस्तान को कुछ कड़ी शर्तों पर छह अरब डॉलर देने के लिए ये समझौता किया था. इसकी पहली किस्त 1.1 अरब डॉलर की है, जिसे रिलीज करने के लिए पाकिस्तान मांग कर रहा है. यह योजना कई बार बेपटरी हुई और पूरा भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है और अब एक बार फिर उसके झूठे दावों ने इसमें रोड़ा अटका दिया है. 

IMF ने रखी हैं ये कड़ी शर्तें
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के सामने जो शर्तें रखी हैं, उनमें तीन प्रमुख हैं. इनमें पहली शर्त ये है कि पाकिस्तान को अलग-अलग टैक्स के जरिए 170 अरब रुपये की वसूली करने के लिए कहा गया है. पाकिस्तान ने बीते दिनों देश में इसे लागू करने का भी दावा किया था. दूसरी बड़ी शर्त ये है कि पाकिस्तान को सामान के निर्यात में टैक्स में छूट देनी होगी.

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जबकि, तीसरी शर्त की बात करें तो किसी भी कीमत में उसके विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी नहीं होनी चाहिए. पाक यदि ये तीन शर्तें पूरी करता है तो ही इसे लोन मिलेगा. इसके बाद बीते कुछ समय से पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने बार-बार ये दावा किया कि इन शर्तों को माना गया है. लेकिन आईएमएफ की समीक्षा में ये दावे झूठ निकले.  

पाकिस्तान में बदहाली के ये हालात  
देश में बदहाली के ताजा हालातों की बात करें तो महंगाई दर अप्रैल में 36.4 फीसदी पर पहुंच चुकी है. जो दिवालिया हो चुके श्रीलंका से भी ज्यादा है. बीते महीने में दिवालिया श्रीलंका की महंगाई दर 35.3 फीसदी रह गई है. इस महंगाई के बीच देश की जनता खाने-पीने के साथ ही रोजमर्रा के जरूरी सामानों के लिए भी मोहताज है. देश में आटे का अकाल है और रोटी के लिए लोग जान गंवा रहे हैं.

बिजली, गैस और पानी तक की किल्लत गहरा गई है. आटा पाने के लिए कई लोगों की जान तक जा चुकी है. अब इन हालातों के बीच झूठ के जरिए मदद पाने की पाकिस्तान सरकार की चाल जनता की मुसीबत को और भी बढ़ाने वाली साबित हो सकती है. 

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