
पाकिस्तान अब तक के अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट (Pakistan Economic Crisis) से जूझ रहा है. आवाम को रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए कई गुना अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है और सरकार इस संकट से उबरने के लिए इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की राह देख रही है. वेंटिलेटर पर पड़ी पाकिस्तान की इकोनॉमी को ऑक्सीजन अब कर्ज से ही मिल सकता है, क्योंकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार पास इकोनॉमी की उखड़ती सांस को काबू में करने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है. हर रोज बद से बदतर हो रहे हालात के बीच पिछले दिनों पाकिस्तान के सांख्यिकी ब्यूरो ने चाय से जुड़ा एक आंकड़ा जारी किया. उस आंकड़े पर नजर डालें, तो अगर पाकिस्तान दो साल तक चाय पीना बंद कर दे, तो वो उतनी रकम बचा लेगा जितनी उसे IMF से फिलहाल दरकार है.
कमाई का एक तिहाई चाय पर खर्च
पिछले एक दशक में पाकिस्तान में चाय की कीमतें तीन गुना बढ़ी हैं. पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, चाय लोगों के बटुए पर अधिक चोट कर रही है. पाकिस्तान में एक कप चाय की औसत कीमत 50 रुपये होती है. अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन तीन कप चाय का सेवन करता है, तो यह कीमत बढ़कर 4,500 रुपये प्रति माह हो जाती है. एक ऐसे देश में जहां न्यूनतम मजदूरी 15,000 रुपये है, वहां एक व्यक्ति अपनी आय का 30 फीसदी हिस्सा महीने में चाय पीने पर खर्च कर सकता है.
इंपोर्ट पर आधा बिलियन डॉलर का खर्च
पाकिस्तान दुनिया में चाय का सबसे बड़ा आयातक है. ये प्रति वर्ष करीब आधा बिलियन डॉलर चाय की रकम इंपोर्ट पर खर्च करता है. अगर इस राशि के नजरिए से देखें, तो यदी पूरा पाकिस्तान दो साल के लिए चाय पीना बंद कर देता है, तो बचाई गई राशि मोटे तौर पर IMF के बेलआउट पैकेज के आखिरी किश्त के बराबर होगी. कई एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पाकिस्तान को उधार के पैसे का इस्तेमाल चाय आयात करने की बजाय इसे उगाने पर विचार करना चाहिए. इससे इसकी कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.
एक समय चाय का उत्पादक था पाकिस्तान
एक समय था जब पाकिस्तान चाय का थोक उत्पादक और निर्यातक था, लेकिन 1971 में देश के विभाजन ने उसे चाय के लिए हमेशा के लिए आयात पर निर्भर बना दिया है. दरअसल, साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश अस्तित्व में आया था. पाकिस्तान की न्यूज वेबसाइट पर छपी एक खबर के अनुसार, देश में चाय की पत्तियां उगाने के लिए कुछ हिस्सों में उपयुक्त जमीन है. लेकिन इसके बावजूद स्थानीय किसानों की दिलचस्पी सबसे अधिक आयात होने वाले प्रोडक्ट की खेती में नहीं है. इसके पीछे की वजह शुरुआती अधिक निवेश है. इसके बाद चाय की पत्तियों को तैयार होने में पांच से छह साल लग जाते हैं. इस वजह से किसानों की दिलचस्पी इसकी खेती में कम है.
महंगी होती जाएगी चाय की चुस्की
पाकिस्तान सबसे अधिक चाय का आयात केन्या से करता है. प्रत्येक ब्रांड स्पेशल टेस्ट के लिए इसमें मिलावट करते हैं. इसके बाद फिर चाय की मार्केटिंग पर भी कंपनियां बड़ी रकम खर्च करती हैं. पाकिस्तान में जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती जाएगी दूध, क्रीमर और चीनी की कीमतों में भी इजाफा होता जाएगा. इस वजह से लोगों की चाय और महंगी होती जाएगी. पाकिस्तान में महंगाई दर 35 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है और सरकार का खजाना लगभग खाली हो चुका है.
कर्ज के बोझ तले दबा पाकिस्तान
साल 2019 में किए गए 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट समझौते के हिस्से के रूप में पाकिस्तान आईएमएफ से 1.1 अरब डॉलर के जरूरी फंड को रिलीज करने की गुहार लगा रहा है. पाकिस्तान अब तक पूरी दुनिया से अरबों रुपये का कर्ज ले चुका है. देश के ऊपर कुल कर्ज और देनदारी 60 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये से अधिक है. यह देश की जीडीपी का 89 फीसदी है. इस कर्ज में करीब 35 फीसदी हिस्सा केवल चीन का है, इसमें चीन के सरकारी वाणिज्यिक बैंकों का कर्ज भी शामिल है.