मालदीव ((Maldives) दशकों से भारत का एक भरोसेमंद पड़ोसी रहा है. लेकिन मालदीव में चीन समर्थित सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत के साथ रिश्तों में काफी तनाव आ गया है, और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप (Lakshadweep) यात्रा पर मालदीव के मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणी ने आग में घी डालने का काम किया है. क्योंकि इससे नुकसान मालदीव का ही होना है.
दरअसल, मालदीव की अर्थव्यवस्था में भारत का बड़ा योगदान है और कई चीजों के लिए वो पूरी तरह से भारत पर निर्भर है. मालदीव और भारत के बीच पिछले वर्ष 500 मिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार भी हुआ था. इस वर्ष भी यह लगातार बढ़ भी रहा है. मालदीव और भारत के बीच तीन दशक पहले ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है. इस एग्रीमेंट के तहत मालदीव भारत से उन वस्तुओं का आयात करता है, जो दूसरे देशों को निर्यात नहीं होता है. इसके अलावा मालदीव के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में भी भारत का पैसा लगा है.
इन चीजों के लिए भारत पर निर्भर है मालदीव
मालदीव खाने के लिए भारत पर ही निर्भर है. चावल, आटा, मसाले, फल-सब्जियां, चीनी, पोल्ट्री प्रोडक्ट्स के लिए मालदीव की निर्भरता भारत पर टिकी है. इसके अलावा प्लास्टिक और लकड़ी के समान भी भारत से मंगाता है. यही नहीं, यह द्वीप भारत से मुख्य रूप से स्क्रैप धातु आयात करता है. इसके अलावा इंजीनियरिंग गुड्स, औद्योगिक उत्पाद जैसे फार्मास्यूटिकल्स, रडार उपकरण, रॉक बोल्डर और सीमेंट के लिए भारत पर निर्भर है.
इसके अलावा मालदीव को भारत कई बड़े आर्थिक अनुदान भी दे चुका है, जिसमें माले में हुकुरु मिस्की का रिनोवेशन, उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाएं (एचआईसीडीपी) और अन्य द्विपक्षीय परियोजनाएं शामिल हैं. भारत बिना किसी स्वार्थ मालदीव को कर्ज देकर मदद कर रहा था.
भारत के आगे कहीं नहीं ठहरता है मालदीव
फिलहाल भारत की इकोनॉमी करीब 3.75 ट्रिलियन डॉलर की है. जबकि मालदीव की इकोनॉमी करीब 6.5 बिलियन डॉलर की है. इसलिए आर्थिक तौर दोनों देशों के बीच कोई मुकाबला नहीं है. क्योंकि मालदीव की जितनी जीडीपी है, उससे 10 गुना ज्यादा भारतीय हर साल विदेश घूमने पर खर्च कर देते हैं. भारतीय हर साल विदेश घूमने पर करीब 65 बिलियन डॉलर खर्च कर देते हैं.
बता दें, मालदीव की इकोनॉमी टूरिज्म पर निर्भर है. यहां की जीडीपी में करीब 28% हिस्सा टूरिज्म का है. जबकि फॉरेन एक्सचेंज में भी करीब 60 फीसदी योगदान टूरिज्म सेक्टर का है. साल 2023 में भारत ने मालदीव से जहां 41.02 करोड़ डॉलर का निर्यात किया था, वहीं 61.9 लाख डॉलर का आयात किया था. 2022 में निर्यात का आंकड़ा 49.54 करोड़ डॉलर था, जबकि आयात का आंकड़ा 61.9 लाख डॉलर था.
भारतीयों के लिए बेस्ट टूरिस्ट स्पॉट
ऐसे में अगर भारत मुंह फेरता है तो मालदीव को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. क्योंकि आज की तारीख में भारतीयों के लिए मालदीव एक बेस्ट टूरिस्ट स्पॉट है. वर्ष 2023 में भारत से 2,09,198 लोग मालदीव घूमने पहुंचे थे. अगर भारतीय यहां जाना बंद कर दें तो फिर मालदीव के लिए आर्थिक संकट गहरा सकता है. इससे पहले साल 2022 में 2.41 लाख, 2021 में 2.91 लाख और 2020 में कोरोना महामारी के दौरान भी 63000 भारतीय मालदीव घूमने के लिए गए थे.
दिसंबर- 2023 तक इस द्वीप पर कुल 17 लाख 57 हजार 939 टूरिस्ट आए थे. इनमें से सबसे ज्यादा टूरिस्टों की संख्या भारतीयों की थी. भारतीयों के बाद सबसे ज्यादा रूस और चीन के लोग पहुंचे थे. ऐसे में मालदीव के लिए पर्यटन उद्योग बेहद जरूरी है. साल 2021 में इस द्वीप को पर्यटन से लगभग 3.49 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रेवेन्यू मिला था.मालदीव का मुख्य आय का जरिये टूरिज्म है, वहां कोई भारत जैसा टैक्स सिस्टम नहीं है.
चीन की साजिश में फंसा मालदीव
पिछले कुछ वर्षों में मालदीव ने चीन से भारी कर्ज लिया है. आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल मालदीव की जीडीपी करीब 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की है. जबकि मालदीव के बजट का करीब 10 फीसदी हिस्सा चीन का कर्ज चुकाने में चला जाता है. चीन मालदीव में व्यापक स्तर पर निवेश कर रहा है, जिसमें बुनियादी ढांचे, व्यापार और ऊर्जा क्षेत्रों पर उसकी पकड़ बढ़ गई है.
हिंद महासागर के द्वीप पर स्थित मालदीव की आबादी में 98 फीसदी मुस्लिम है. बाकी 2 प्रतिशत अन्य धर्म हैं, यहां की कुल आबादी करीब 5 लाख है. मालदीव करीब 1200 द्वीपों का एक समूह है. ज्यादातर द्वीपों में कोई नहीं रहता है. मालदीव का क्षेत्रफल 300 वर्ग किलोमीटर है. यानी आकार में ये दिल्ली का 5वां हिस्सा है.