केंद्र सरकार (Central Government) ने देश से चावल के एक्सपोर्ट (Rice Export) को लेकर बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी (Export Duty) लगाने का फैसला किया है. साथ ही सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए टुकड़ा चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने आठ सितंबर 2022 को जारी अधिसूचना में कहा- 'टुकड़ा चावल के निर्यात की श्रेणी को 'मुक्त' से 'प्रतिबंधित' में संशोधित किया गया है. यह नोटिफिकेशन 9 सितंबर से प्रभावी हो गई है.
इन्हें मिलेगी एक्सपोर्ट के अनुमति
स्थांतरित पॉलिसी के संबंध में विदेश व्यापार नीति 2015-2020 के तहत प्रावधान इस नोटिफिकेशन पर लागू होंगे. साथ ही 9 से 15 सितंबर की अवधि के दौरान टुकड़ा चावल की कुछ खेपों को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी. नोटिफिकेशन के अनुसार, इस अवधि के दौरान एक्सपोर्ट के लिए केवल उसी खेप को अनुमति दी जाएगी, जिसका इस अधिसूचना से पहले जहाजों पर लोडिंग शुरू हो गई है.
सरकार ने क्यों लगाया शल्क?
इससे पहले सरकार ने उसना चावल को छोड़कर गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा दिया है. चालू खरीफ सीजन में धान फसल का रकबा काफी घट गया है. ऐसे में घरेलू सप्लाई को बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. देश के नागरिकों को चावल की कमी ना हो. इसलिए सरकार सप्लाई को बरकार रखने की पूरी कोशिश कर रही है. राजस्व विभाग के नोटिफिकेशन के अनुसार, धान के रूप में चावल और ब्राउन राइस पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लगाया गया है.
चावल निर्यात का आंकड़ा
देश के कुछ राज्यों में बारिश कम होने की वजह से धान का बुवाई क्षेत्र घटा है. चीन के बाद भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है. चावल के वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा 40 फीसदी है. भारत ने 2021-22 के वित्त वर्ष में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था. इसमें 39.4 लाख टन बासमती चावल था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में गैर-बासमती चावल का निर्यात 6.11 अरब डॉलर रहा. भारत ने 2021-22 के दौरान विश्व के 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया.
शिपमेंट पर असर पड़ेगा
भारत 150 से अधिक देशों को चावल का निर्यात करता है. भारत सरकार के इस फैसले से ग्लोबल मार्केट में इसके शिपमेंट पर असर पड़ेगा और इसकी वजह से चावल की कीमतों पर असर पड़ेगा. रायटर्स के अनुसार, भारत चावल का सबसे सस्ता आपूर्तिकर्ता रहा है. भारत ने नाइजीरिया, बेनिन और कैमरून जैसे अफ्रीकी देशों को गेहूं और मकई की कीमतों में तेजी से बचाया है. भारत ने गेहूं के निर्यात को पहले से ही प्रतिबंधित कर रखा है.