गेहूं निर्यात पर लगे बैन (Wheat Export Ban) के बावजूद भारत पिछले साल के अपने एक्सपोर्ट के आंकड़े को हासिल कर सकता है. संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी (United Nations' food agency) के अनुसार, भारत 2022-23 के दौरान 7 मिलियन टन गेहूं का निर्यात (Wheat Export) का आंकड़ा छू सकता है. ये भारत के पांच सालों के गेहूं निर्यात के औसत आंकड़े से अधिक है. सरकार ने घरेलू जरूरतों को पूरा करने और महंगाई पर काबू पाने के लिए मई में गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था.
खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के आंकड़े के अनुसार, ग्लोबल मार्केट (Global Market) में 2022-23 के लिए गेहूं को लेकर बड़ी अनिश्चितता बनी हुई है. रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच जारी युद्ध की वजह से कई देशों ने अपने अपनी व्यापार नीति में बदलाव किया है. खाद्य एजेंसी ने कहा कि गेहूं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें 2008 के बाद अब इतनी बढ़ी हैं. गेहूं की अंतरराष्ट्रीय कीमतें मार्केट के नजरिए को बहुत बड़ा आकार देंगी.
गेहूं की आपूर्ति पर संकट
खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक, गेहूं के कुछ प्रमुख नियार्तक देशों में कम उत्पादन की वजह से ग्लोबल उपलब्धता का संकट गहरा सकता है. इसके अलावा यूक्रेन, जो गेहूं के प्रमुख निर्यातकों में से एक है, वो रूस के साथ युद्ध लड़ रहा है. भारत ने भी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. इसकी वजह से 2022-23 के लिए आपूर्ति की चिताएं बढ़ी हैं.
भारत को मिला मौका
2022 में वैश्विक गेहूं उत्पादन में 2021 के मुकाबले गिरावट का अनुमान है. 2022-23 में यूक्रेन द्वारा गेहूं निर्यात में पिछले साल के मुकाबले लगभग 50 प्रतिशत (9 मिलियन टन) की गिरावट का अनुमान है. भारत ने पिछले साल गेहूं के ग्लोबल मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई थी. इसके बाद यूक्रेन द्वारा निर्यात में गिरावट ने भारत के लिए मिस्र और वियतनाम सहित नए देशों के साथ व्यापार को बढ़ाने के अवसर दिए.
पिछले साल का आंकड़ा
सरकार द्वारा लगाए गए बैन के बावजूद 2022-23 में भारत 7 मिलियन टन के निर्यात अनुमान को पूरा कर सकता है. भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 7 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया था. गेहूं के कुल निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत का निर्यात पिछले वित्त वर्ष के दौरान बांग्लादेश को किया गया था.
इस साल भारत में गेहूं के उत्पादन में गिरावट की उम्मीद है. 2022 में भारत में गेहूं का 106.41 मिलियन टन उत्पादन हुआ था, जो इस साल गिरककर 105.5 मिलियन टन हो सकता है. इस वर्ष की अनुमानित गिरावट की वजह मार्च और अप्रैल में बढ़े तापमान को बताया जा रहा है, इसकी वजह से गेहूं की फसलों को नुकसान हुआ है.
अब तक निर्यात
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि सरकार द्वारा बैन लगाए जाने बावजूद भारत अपने पिछले साल के निर्यात के आंकड़े को छू लेगा. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया था कि अप्रैल 2022 में भारत ने 14.5 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरोपीय संघ (EU) के गेहूं की कीमत लगभग 43 रुपये प्रति किलो है, जबकि भारतीय गेहूं 26 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है. दोनों के बीच कीमतों में 17 रुपये प्रति किलो का अंतर है. भारत को छोड़कर अन्य सभी देश लगभग 450 डॉलर से 480 डॉलर प्रति टन के हिसाब से गेहूं बेच रहे हैं.