जल्द ही रेलगाड़ी के अंदर रेलवे के रेडियो की भी आवाज गूंजेगी. रेलवे अपनी सभी गाड़ियों और स्टेशनों पर एफएम रेडियो की तर्ज पर रेलवे का रेडियो चैनल लांच करने की तैयारी में है. खास बात ये है कि इसके लिए रेल मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास लाइसेंस के लिए अप्लाई नहीं करने जा रहा है. रेलवे के एक उच्च अधिकारी की माने तो इसकी जरूरत ही नहीं होगी क्योंकि रेलवे इंटरनेट आधारित रेडियो चैनल शुरू करने की योजना बना रहा है. इंटरनेट आधारित रेडियो के लिए अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ती है.
रेलवे के एक आला अफसर के मुताबिक चलती रेलगाड़ी में एफएम रेडियो का प्रसारण संभव नहीं है. ऐसे में सबसे टिकाऊ और कारगर तरीका है इंटरनेट पर आधारित रेडियो चैनल. रेलवे धीरे-धीरे सभी रेलवे स्टेशनों पर हाई स्पीड वाई-फाई सेवा देने की दिशा में बढ़ रहा है. ऐसे में रेलवे ने योजना बनाई है कि हर एक ट्रेन पर 6 घंटे तक के कंटेंट को डाउनलोड करके प्रसारित करने के लिए सर्वर लगाया जाएगा. इस सर्वर से रेडियो चैनल का प्रसारण होता रहेगा. जहां पर नेट सेवा मिलेगी वहां पर रेडियो चैनल सीधे इंटरनेट से प्रसारित होगा. खास बात ये है कि हर एक रेलवे जोन में वहां की भाषा में रेल रेडियो का प्रसारण किया जाएगा. यानी जैसा प्रदेश वैसी भाषा. रेडियो के प्रसारण के लिए गाड़ियों में जगह-जगह स्पीकर लगाए जाएंगे. जरूरत पड़ने पर रेल रेडियो पर आवश्यक एनाउंसमेंट भी किए जा सकेंगे.
रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में हर दिन तकरीबन 2.5 करोड़ लोग पैसेंजर-एक्सप्रेस गाड़ियों में सफर करते हैं. ऐसे में इतने यात्री तो रेल रेडियो के तयशुदा श्रोता होंगे ही. इस समय देश भर में तकरीबन 12 करोड़ लोग एफएम रेडियो के श्रोता माने जाते हैं. यहां पर रेडियो के लिए तकरीबन 2500 करोड़ रुपये का सालाना विज्ञापन का बाजार है. रेलवे को लगता है कि अपने यात्रियों के बलबूते वो 500 करोड़ रुपये विज्ञापन बाजार पर अपना कब्जा आसानी से जमा लेगी. लिहाजा रेल रेडियो का भविष्य उज्जवल माना जा रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि भारतीय रेलवे अपने रेडियो चैनल को चलाने के लिए निजी कंपनी को ठेका देगी. इसके लिए जल्द ही टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे.