भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों से कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पतालों इत्यादि के साथ दरें तय करने के समझौते करने के लिए कहा है. इससे आपको क्या फायदा होगा जानें यहां.
कैसे हो समझौते
IRDAI ने अपने सर्कुलर में कहा कि साधारण और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को कोविड-19 के इलाज की दरें तय करने के समझौतों की कोशिश करनी चाहिए. यह समझौते वैसे ही होने चाहिए जैसे बीमा कंपनियों ने अन्य बीमारियों के इलाज की दरें तय करने के लिए किए हैं.
कैशलैस क्लेम में ग्राहक को क्या फायदा
IRDAI के सर्कुलर के मुताबिक किसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत ‘कैशलेस क्लेम’ बीमा कंपनी और हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर जैसे कि अस्पतालों के बीच तय हुई दरों पर होना चाहिए. उदाहरण के लिए किसी अस्पताल में कोविड-19 के इलाज का खर्च 5,000 रुपये है, लेकिन यदि ग्राहक का हेल्थ इंश्योरेंस उस अस्पताल में कैशलेस क्लेम की इजाजत देता है और बीमा कंपनी एवं अस्पताल के बीच इलाज के खर्च को लेकर 3,000 रुपये की दर का समझौता है तो कैशलेस क्लेम में यह खर्च 3,000 रुपये ही होगा.
राज्य, केंद्र शासित सरकारों के निर्णय का रखें ध्यान
IRDAI ने कंपनियों से कहा कि इस तरह के समझौते करने से पहले साधारण बीमा कंपनियों की रेफरेंस दर परिषद को ध्यान में रखना चाहिए. साथ ही राज्य सरकारों या केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन द्वारा कोविड-19 के इलाज की दरों पर भी गौर करना चाहिए.
रिंबर्समेंट क्लेम पॉलिसी के हिसाब से निपटें
पीटीआई की खबर के मुताबिक इसी के साथ IRDAI ने बीमा कंपनियों को बाद में भुगतान वाले दावों (रिंबर्समेंट क्लेम) का निपटान हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के हिसाब से करने के निर्देश भी दिए. उसने कंपनियों से पॉलिसी के नियम-शर्तों का सम्मान करने के लिए कहा.
इससे पहले IRDAI कोरोना वायरस महामारी के दौरान स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ‘कोरोना कवच’ और ‘कोरोना रक्षक’ भी ला चुकी है.