डीटीसी बसों के बेड़े में और बसें जोड़ने में केजरीवाल सरकार भले ही नाकाम रही हो, लेकिन अब सरकार फीडर बसों की नई योजना लेकर आने वाली है. ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट डीटीसी के जरिए फीडर बस चलाने की तैयारी कर रहा है. दलील ये है कि ये बसें उन इलाकों तक लोगों को सफर की सुविधा मुहैया कराएंगी, जहां अभी डीटीसी बसें नहीं पहुंच पाती हैं.
संकरे रूट के लिए 1000 हजार बसें
दिल्ली सरकार ऐसी 1000 हजार बसें लाने की तैयारी कर रही है. ये बसें मौजूदा लो फ्लोर बसों से छोटी होंगी और भीड़ भरे और संकरे रूट पर चलाई जा सकेंगी. दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस योजना की पुष्टि की है. उन्होंने कहा है कि सामान्य प्रक्रिया में करीब 8 महीने लगते हैं, लेकिन नई फीडर बसों की सुविधा दिल्ली वालों को जल्दी से जल्दी मिल सके, इस बात को ध्यान में रखकर फीडर बसों को खरीदने और उन्हें सड़क पर उतारने की योजना पर तेजी से काम किया जा रहा है.
जाम से निजात दिलाएंगी नई फीडर बसें
दिल्ली सरकार के मुताबिक फिलहाल दिल्ली की सड़कों पर लो फ्लोर एसी और नॉन एसी बसें दौड़ती हैं, लेकिन कई रूट ऐसे हैं, जहां बड़ी बसें नहीं पहुंच पातीं. ऐसे में न सिर्फ यात्रियों की परेशानी होती है, बल्कि बड़ी लो फ्लोर बसों की वजह से जाम भी लग जाता है. इसी समस्या को सुलझाने के लिए नई फीडर बसें काम आएगी.
अंदरूनी इलाकों तक पहुंचेगी सुविधा
इसके साथ ही अभी तक कम चौड़ी सड़कों की वजह से कई इलाके डीटीसी की सर्विस से महरूम है. छोटी बसें आने के बाद डीटीसी नए रूट भी तय कर सकती है. इनमें अंदरूनी इलाके भी शामिल होंगें. डीटीसी में सफर करने वाले लोग इस खबर से खुश हैं. अभी बसों में भीड़ होती है और अंदरूनी इलाकों तक कनेक्टिविटी भी नहीं है. ऐसे में यात्रियों को सरकार के इस फैसले से सफर आसान होने की कुछ उम्मीद बंधी हैं.
बीजेपी को सरकारी योजना पर भरोसा नहीं
बीजेपी को दिल्ली सरकार के दावे पर भरोसा नहीं है. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा है कि सरकार जब से सत्ता में आई है तब से कई बार बसें लाने का वादा कर चुकी है. इसके बावजूद एक बस नहीं आई है. ऐसे में सरकार के इस नए एलान पर भरोसा नहीं होता.
बसों के ब्रेकडाउन से भी मुसाफिरों को तकलीफ
एक सवाल इस बात को लेकर भी है कि पिछले डेढ़ साल से सरकार डीटीसी के बेड़े में नई बसें जोडने की बात करती रही है, लेकिन पिछले पांच साल से डीटीसी के पास कोई नई बसें नहीं आई. मौजूदा बसें पहले ही कम हैं और इनमें भी ब्रेकडाउन की समस्या की वजह से मुसाफिरों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अब एक और नई योजना कितने सिरे चढ़ पाएगी, ये बसों के सड़कों पर उतरने के बाद ही पता चलेगा.