पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने मां-माटी-मानुष के नारे से आगे निकल चुकी हैं. भले ही देश भर में आम आदमी यूपीए के दो कार्यकाल में महंगाई से त्रस्त होने की शिकायत करता रहा हो लेकिन ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में ममता ने लोगों की मदद करने की ठान ली है.
तो यदि आप चिकन खाने के शौकीन है तो कोलकाता की ट्रेन पकड़ लीजिए और जब तक पंचायत चुनाव नहीं हो जाते दबाकर खाइए चिकन. क्योंकि इस बार ममता बनर्जी मुर्गा खाने वालों पर मेहरबान हो उठी हैं. फरमान जारी कर दिया है कि जिसने 150 रुपये किलो से ज्यादा का भाव बेचा उसकी खैर नहीं. राज्य में चिकन 180 रुपये से 200 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच थी.
खबरों के अनुसार राज्य में जरूरी चीजों की कीमतों पर नजर रखने वाली टास्कफोर्स की पिछले हफ्ते बैठक हुई, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चिकन की बढ़ती कीमातों से नाराज दिखीं. तब ममता ने आदेश दिया कि राज्य में चिकन 150 रुपये प्रति किलो से ज्यादा कीमत पर नहीं बेचा जाए.
टास्कफोर्स के एक प्रवक्ता ने बताया कि ये कीमतों कोलकाता नगर निगम के अंतर्गत आने वाले सभी बाजारों पर लागू होगा. ममता ने पॉल्ट्री के दामों में हो रही असामान्य वृद्धि की जांच के भी आदेश दिए.
ममता बनर्जी का ये फरमान ऊपर-ऊपर से ग्राहकों को जरूर लुभा रहा है लेकिन उन्हें अंदेशा भी हो रहा है कि अगर सस्ता चिकन बेचने का दबाव पड़ा तो व्यापारी अपनी लागत निकालने के लिए क्वालिटी से समझौता कर सकते हैं. दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि डेढ़ सौ रुपये तो उनकी लागत ही पड़ जाती है, ऐसे में वे व्यापार कैसे कर पाएंगे.
ममता पहले भी लोगों के हित में ऐसे लोकप्रिय फैसले लेती रहीं हैं जिससे आम लोग खुश तो होते हैं लेकिन ममता के कुछ फैसलों का मजाक भी बनता है. बंगाल में पंचायत चुनाव होने वाले हैं और जाहिर है कि मुर्गे वोट नहीं देते लेकिन मुर्गों की जान सस्ती करने से वोटर को खुश करने की खुशफहमी जरूर हो सकती है. वैसे ममता का ये अनोखा आइडिया किस हद तक लागू हो पाएगा, इसे लेकर भी लोगों के भीतर संदेह है. क्योंकि बाकी सरकारी घोषणाओं की जमीनी हकीकत सबको नजर आ रही है.
अब ममता का नया नारा मां-माटी-मानुष-मुर्गी क्या गुल खिलाता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन इतना तो तय है कि चिकन प्रेमियों को ममता ने अपने इस नारे से ही अच्छी सौगात दे दी है.