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बैंकों से सबसे ज्यादा चंडीगढ़ के लोग परेशान, जानें किस तरह की हैं कम्प्लेन

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी लोकपाल योजना की सालाना रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान रिजर्व बैंक को बैंकों की करीब 3.50 लाख श‍िकायतें मिली हैं और इनमें 50 फीसदी से ज्यादा श‍िकायतें मेट्रो शहरों से मिली हैं. 

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मेट्रो शहरों से ज्यादा श‍िकायत (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मेट्रो शहरों से ज्यादा श‍िकायत (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रिजर्व बैंक ने लोकपाल की व्यवस्था की है
  • RBI जारी करता है श‍िकायतों के बारे में रिपोर्ट
  • 50 फीसदी से ज्यादा कम्प्लेन मेट्रो शहरों से

देश में बैंकों की सबसे ज्यादा श‍िकायतें मेट्रो शहरों से आ रही हैंं. इस तरह की श‍िकायतों के मामले में चंडीगढ़ शहर सबसे आगे है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी लोकपाल (Ombudsman) योजना की सालाना रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है. 

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गौरतलब है कि बैंकों, एनबीएफसी और न्यू एज ड‍िजिटल पेमेंट संस्थाओं पर रिजर्व बैंक कड़ी नजर रखता है. इस रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान रिजर्व बैंक को बैंकों की करीब 3.50 लाख श‍िकायतें मिली हैं और इनमें 50 फीसदी से ज्यादा श‍िकायतें मेट्रो शहरों से मिली हैं. 

सबसे ज्यादा शिकायत चंडीगढ़ से 

इस दौरान सबसे ज्यादा 31,594 श‍िकायतें चंडीगढ़ से मिली हैं. यानी देश की कुल श‍िकायतों में से अकेले चंडीगढ़ का हिस्सा करीब 10 फीसदी है. इसके बाद दूसरा स्थान भोपाल का है जहां से 14,510 श‍िकायतें मिली हैं. 

इन सेवाओं के बारे में ज्यादा श‍िकायतेंं

सबसे ज्यादा श‍िकायतें एटीएम, डेबिट कार्ड, मोबाइल बैंकिंग और इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के बारे में होती हैं. इसी तरह डायरेक्ट सेल्स और रिकवरी एजेंटों के बारे में श‍िकायत भी एक साल पहले के 629 के मुकाबले 2018-19 में बढ़कर 1,406 श‍िकायतों तक पहुंच गई है.

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श‍िकायतों में मेट्रो शहरों का हिस्सा तीन साल पहले के 26 फीसदी के मुकाबले 2019-20 में बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच गया है. लागत के हिसाब से औसत देखा जाए तो सबसे ज्यादा 8,088 रुपये की औसत लागत जम्मू क्षेत्र की है. इसके बाद 5,438 रुपये की प्रति श‍िकायत लागत कोलकाता ऑफिस की है.

हालांकि श‍िकायतों के निपटारे में पूरे देश की औसत लागत में कमी आ गई है. यह 2018-19 के 3,145 रुपये से घटकर 2019-20 में 2,412 रुपये ही रह गई. 

(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित) 

 

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