कहते हैं जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं और काबिलियत के लिए किसी ड्रिगी-डिप्लोमा की जरूरत नहीं बस जुनून ही काफी है. ये कहावतें भारत के यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स में से एक जेरोधा (Zerodha) के फाउंडर और सीईओ नितिन कामथ (Nithin Kamath) के ऊपर बखूबी लागू होती है. नितिन ने कैसे बिना किसी बिजनेस स्कूल की पढ़ाई किए ही अपने बिजनेस को इतनी बुलंदियों पर पहुंचा दिया कि कई हॉवर्ड (Harvard) और आईआईएम (IIM) वाले भी फेल नजर आते हैं.
नितिन के पास नहीं था कोई Plan-B
देश के टॉप ब्रोकरेज हाउस जेरोधा के फाउंडर और CEO नितिन कामथ के पास कोई प्लान बी नहीं था. उनकी मानें तो अगर मैं भी दुनिया के बड़े बिजनेस स्कूल आईआईएम या फिर हार्वर्ड का छात्र होता, तो मुझे पता होता कि अगर एक काम नहीं करूंगा, तो दूसरी नौकरी तलाश लूंगा. लेकिन इसके साथ ही कामथ का कहना है कि बिजनेस स्कूल की शिक्षा एक पैराशूट जरूर है, लेकिन यह मुझे अपने सपनों को पूरा करने से रोकती है. जेरोधा आज एक टॉप ब्रोकरेज हाउस है और इसके करीब 40 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड यूजर्स हैं.
शेयर बाजार का एक्सपीरियंस आया काम
नितिन कामथ का मानना है कि इस स्टार्टअप (Start-up) ने आज जो भी सफलता पाई है, उसमें भाई निखिल कामथ (Nikhil Kamath) के साथ जेरोधा की शुरुआत से पहले शेयर बाजार (Stock Market) बिताए गए 10-12 सालों का बड़ा रोल है. गौरतलब है कि जेरोधा, आज देश में 100 से अधिक यूनिकॉर्न में से एक है और भारत की स्टार्ट-अप कहानियों में एक महत्वपूर्ण किरदार अदा करती है. बता दें भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है.
KV Kamath ने भी की सराहना
हाल ही में ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म Zerodha की नेशनल बैंक फॉर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के प्रेसिडेंट केवी कामथ ने भी सराहना की थी. अनुभवी बैंकर ने एक कार्यक्रम में बूटस्ट्रैप्ड और कैश-फ्लो पॉजिटिव वेंचर होने के लिए जेरोधा को बधाई देते हुए इसे कारोबार के लिए एक अच्छा मॉडल करार दिया था. जेरोधा एक फाइनेंसियल सर्विस कंपनी है. ये शेयर मार्केट में स्टॉक की खरीद-बिक्री करती है और म्यूचुअल फंड में ट्रांजेक्शन के लिए एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है
दिलचस्प है नितिम कामथ का सफर
नितिन कामथ ने 90 के दशक में ही Share Bazar में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी थी. वे अपनी मां के ऑफलाइन ट्रेडिंग अकाउंट से पैसे भी निवेश करने लगे थे. इसके बाद उन्होंने कॉल सेंटर में भी काम किया. कम उम्र में ही शेयरों की अच्छी समझ ने उन्हें अपना लक्ष्य स्थापित करने में मदद की. 2005 में उन्होंने अपना एडवाइजरी बिजनेस भी शुरू किया था. इसके कुछ समय बाद NSE ने फ्री ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था, जहां से नितिन कामत को जीरोधा की शुरुआत का आइडिया मिला.
2010 में जेरोधा की शुरुआत
नितिन कामथ अक्सर Social Media पर लोगों को कई टॉपिक पर अवेयर करते रहते थे, जो अभी भी लगातार जारी है. खासकर स्टॉक मार्केट की उठा-पठक और इन्वेस्टमेंट करने को लेकर वह अपनी जानकारियां सोशल मीडिया पर डालते रहते हैं. साल 2010 में नितिन कामथ ने अपने छोटे भाई निखिल कामथ के साथ मिलकर ब्रोकरेज फर्म जेरोधा की नींव रखी थी. इसके बाद दोनों भाइयों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2020 में फोर्ब्स ने इन दोनों भाइयों को भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में भी शामिल किया था.
छात्रों का रहता है नौकरी पर फोकस
एक ओर जहां देश में स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है और नितिन कामथ जैसे कारोबारी मिसाल पेश कर रहे हैं. विशेषज्ञों का भी मानना है कि देश को सैकड़ों हजारों उद्यमियों की जरूरत है. इंडियन एंजेल नेटवर्क की को-फाउंडर और IAN फंड की फाउंडिंग पार्टनर पद्मजा रूपारेल का कहना है कि हमारे देश के 90 फीसदी छात्र अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद मोटी सैलरी वाली जॉब पाने पर ज्यादा फोकस करते हैं. वाधवानी फाउंडेशन के वाधवानी एंटरप्रेन्योर के कार्यकारी उपाध्यक्ष राजीव वारियर का कहना है कि हम एक नौकरी-उन्मुख अर्थव्यवस्था में हैं, न कि स्टार्ट-अप अर्थव्यवस्था में.