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पाकिस्तान में अब क्या बचा है? केले 450 रुपये दर्जन, सेब 400 रुपये किलो... रमजान में रोजा कैसे तोड़ें लोग?

Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान में महंगाई दर 35 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है और सरकार का खजाना लगभग खाली हो चुका है. Pakistan Rupee हर दिन नया निचला स्तर छूने का रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. फिलहाल, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ये 288 के स्तर पर पहुंच चुका है और जनता रोटी के लिए तरस रही है.

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पाकिस्तान में महंगाई दर 35 फीसदी के ऊपर पहुंची
पाकिस्तान में महंगाई दर 35 फीसदी के ऊपर पहुंची

अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan Economic Crisis) में रमजान का महीना भी रोजेदारों पर भारी पड़ रहा है. देश में महंगाई (Inflation) का जो तांडव जारी है, उसके चलते उन्हें फलों के भी लाले पड़े हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो उनका रोजा तोड़ना भी मुश्किल होता जा रहा है. ताजा हालातों की बात करें तो एक दर्जन केले 420 रुपये में मिल रहे हैं, संतरा 180 रुपये किलो मिल रहा है. इसके अलावा दूसरे फल और सब्जियां भी महंगाई की आग में पक रही हैं. प्याज लोगों के आंसू निकाल रही है, तो टमाटर और लाल होता जा रहा है. आटे के लिए तो लोग अपनी जान तक गवां रहे हैं. सरकार की नाकामी और प्राकृतिक आपदाओं ने यहां ऐसा कोहराम मचाया है, जिससे जिन्ना का मुल्क हाल-फिलहाल उबरता नजर नहीं आ रहा है. 

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हर दिन बिगड़ रहे देश के हालात
Pakistan में हर बीतते दिन के साथ हालात और भी बुरे होते जा रहे हैं. आलू, प्याज, टमाटर.... सेब, केला, संतरा या फिर आटा, दाल, चावल और दूध समेत अन्य रोजमर्रा के जरूरी सामान लोगों की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं. महंगाई दर 35 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है और सरकार का खजाना लगभग खाली हो चुका है. ऐसी स्थिति में शहबाज शरीफ सरकार सामानों का आयात कर पाने में भी नाकाम है और उसे पर्याप्त मदद भी कहीं से नहीं मिल पा रही है. पाकिस्तानी करेंसी की वैल्यू लगातार गिर रही है और Pakistan Rupee हर दिन नया निचला स्तर छूने का रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. फिलहाल, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ये 288 के स्तर पर पहुंच चुका है. 

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रमजान में केला-सेब पहुंच से बाहर 
देश में केला 420 रुपये प्रति दर्जन बिक रहा है, तो वहीं सेब का दाम भी 400 रुपये प्रति किलोग्राम के आस-पास पहुंच चुका है. अन्य फलों की बात करें तो संतरा 180 रुपये से 350 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है. सिर्फ फलों पर ही नहीं हर रोज किचन में इस्तेमाल होने वाली सब्जियां खरीदने में लोगों के जेब खाली होती जा रही है. पाकिस्तान में प्याज की कीमत 200 रुपये के करीब चल रही है, तो एक किलो टमाटर का दाम अलग-अलग शहरों में 124 रुपये से लेकर 250 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है. आलू भी कई शहरों में 100 रुपये किलो के करीब बिक रहा है.    

आटे के लिए लोग गवां रहे जान
आर्थिक बदहाल पाकिस्तान में फाइनेंशियल क्राइसिस शुरू होने के कुछ ही समय बाद आटे का अकाल पड़ गया था और अब ये विकराल रूप ले चुका है. आटे का दाम 170 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच चुका है और कीमत इस स्तर पर पहुंचने के चलते लोगों की थाली से रोटी गायब होती जा रही है. सोशल मीडिया पर आटे के लिए लूटपाट, मारपीट और जान पर खेलते लोगों के कई वीडियो भी वायरल हो रहे हैं. इन्हें देखने के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग पेट की आग बुझाने के लिए अपनी जान देने और दूसरों की जान लेने पर अमादा है. बीते दो सप्ताह में देश के अलग-अलग राज्यों में मुफ्त आटा पाने के चक्कर में हुई झड़पों में करीब दो दर्जन लोगों की जान जा चुकी है. 

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महंगाई का नजारा दिखाते आंकड़े
दूध        154.84 रुपये प्रति लीटर
ब्रेड        108.50 रुपये (500 ग्राम)    
चावल      221.58 रुपये प्रति किलो
आटा       170 रुपये प्रति किलो 
अंडा        258 रुपये (12 पीस)
चिकन      559-832 रुपये प्रति किलो

क्या देश में फिर से लौटा 'लकड़ी युग'?
कंगाल पाकिस्तान में न गैस, न आटा और न बिजली....ऐसे हालात देखकर कहना गलत न होगा कि आर्थिक बदहाल जिन्ना के मुल्क में लकड़ी युग फिर लौटकर आ गया है. गेंहू की किल्लत से जूझ रहे देश में एलपीजी की कमी ने लोगों को चूल्हे पर खाना पकाने को फिर से मजबूर कर दिया है. बीते दिनों प्लास्टिक के बैग्स में गैस स्टोर करने के कई वीडियो और तस्वीरें सुर्खियां बनी थीं. बिजली का हाल ये है कि आए दिन देश के शहर अंधेरे में जडूबे नजर आते हैं. सरकार ने बिजली बचाने के लिए कई ऐलान भी किए हैं, जिनमें बाजारों-मॉल्स को जल्दी बंद करने, सरकारी मीटिंग्स दिन के उजाले में करने समेत कई घोषणाएं शामिल हैं. 

लंबा होता जा रहा मदद का इंतजार
अब बात करें पाकिस्तान के इन बिगड़े आर्थिक हालातों में मददगार देशों की, तो बीते दिनों चीन ने 70 करोड़ डॉलर का कर्ज देने का ऐलान किया था, लेकिन इन परिस्थितियों में ये मदद ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही नजर आ रही है. पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाले बेलआउट पैकेज की किस्त का इंतजार कर रहा है, जो लगातार लंबा होता जा रहा है. साल 2019 में किए गए 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट समझौते के हिस्से के रूप में पाकिस्तान आईएमएफ से 1.1 अरब डॉलर के जरूरी फंड को रिलीज करने की गुहार लगा रहा है, इसे अभी तक मंजूरी नही मिल सकी है. 

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एक साल में क्या से क्या हो गया?
बीते सालभर में ही पाकिस्तान की स्थिति इस कदर बदतर हो गई कि देश की जनता ने सपने में भी नहीं सोचा होगा. देश का सरकारी खजाना तो लंबे समय से सरकार की अनदेखी के चलते खत्म होता जा रहा था और दूसरी ओर देश पर कर्ज बढ़ता जा रहा था. पाकिस्तान अब तक पूरी दुनिया से अरबों रुपये का कर्ज ले चुका है. देश के ऊपर कुल कर्ज और देनदारी 60 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये से अधिक है. यह देश की जीडीपी का 89 फीसदी है.

वहीं इस कर्ज में करीब 35 फीसदी हिस्सा केवल चीन का है, इसमें चीन के सरकारी वाणिज्यिक बैंकों का कर्ज भी शामिल है. पाकिस्तान पर चीन का 30 अरब डॉलर का कर्ज बकाया है, जो फरवरी 2022 में 25.1 अरब डॉलर था. सरकार को आने वाले जून महीने में ही 3 अरब डॉलर का भुगतान करना है, जो होता नहीं दिख रहा है. 


 

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