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कोरोना संकट से उबारने किए आर्थिक पैकेज 'नाकाफी': संसदीय समिति

उद्योग से संबंधित संसद की स्थाई समिति ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) क्षेत्र पड़े असर के संबंध में अपनी रिपोर्ट में कहा कि महामारी की पहली लहर के बाद आई दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था को, और खासतौर से एमएसएमई क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाया.

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सरकार से और कदम उठाने की अपील
सरकार से और कदम उठाने की अपील
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था को खास नुकसान
  • नकदी संकट को दूर करने के लिए कदम उठाने की जरूरत
  • 25% MSME कर्ज अदायगी में कर सकते हैं चूक

एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महामारी से पीड़ित अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज अपर्याप्त है. उद्योग से संबंधित संसद की स्थाई समिति ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) क्षेत्र पड़े असर के संबंध में अपनी रिपोर्ट में कहा कि महामारी की पहली लहर के बाद आई दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था को, और खासतौर से एमएसएमई क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाया. 

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रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने पाया कि महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज अपर्याप्त है, क्योंकि अपनाए गए उपाय ऋण की पेशकश और दीर्घकालिक उपाय के संबंध में अधिक थे और तत्काल राहत के तौर पर मांग पैदा करने के लिए नकदी प्रवाह में सुधार जैसे उपायों पर कम जोर दिया गया. 

एक बड़ा आर्थिक पैकेज की जरूरत

समिति ने सिफारिश की है कि सरकार को एमएसएमई सहित अर्थव्यवस्था को महामारी के प्रकोप से उबरने और मांग, निवेश, निर्यात और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए तुरंत एक बड़ा आर्थिक पैकेज लाना चाहिए. समिति के समक्ष विभिन्न MSME संघों ने कहा है कि व्यापार में तेज गिरावट के कारण ज्यादातर एमएसएमई को बड़े नकदी संकट का सामना करना पड़ा.

मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार इन संगठनों ने समिति को बताया, 'अनुमान है कि लगभग 25 फीसदी एमएसएमई कर्ज अदायगी में चूक कर सकते हैं, क्योंकि कई एमएसएमई को बैंकों से कार्यशील पूंजी निकालना मुश्किल हो रहा है.'

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समिति ने सिफारिश की है कि कोविड-19 महामारी के कारण छोटे उद्योगों के अस्तित्व को बचाना जरूरी है और इसके लिए सरकार को उन्हें तत्काल जरूरी नकदी सहायता देनी चाहिए. 


 

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