कोई पति, पत्नी दोनों सरकारी कर्मचारी थे और उनकी दुर्भाग्यवश किसी वजह से मौत हो गई तो उनके बच्चों को अब अधिकतम 1.25 लाख रुपये महीने तक की पेंशन मिलेगी. सरकार ने सातवें वेतनमान आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों के अनुसार यह बदलाव किया है. पहले पेंशन की अधिकतम सीमा महज 45 हजार रुपये थी.
क्या है नियम
गौरतलब है कि केंद्रीय सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स 1972 के सब रूल (11) में कहा गया है कि यदि पति एवं पत्नी दोनों केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं और उनका निधन हो जाता है तो निर्भर बच्चों को दो पेंशन मिलेगी. पहले पेंशन की यह सीमा अधिकतम 45 हजार रुपये महीने थी और न्यूनतम सीमा 27 हजार रुपये थी. लेकिन इसमें भारी बढ़त करते हुए अब अधिकतम सीमा 1.25 लाख रुपये महीने तक कर दिया गया है.
इसके अलावा यह भी कहा गया है कि यदि कोई अकेला यानी पति या पत्नी में से कोई एक ही केंद्रीय कर्मचारी है और उसकी नौकरी के दौरान या रिटायरमेंट के बाद मौत हो जाती है, तो उसके जीवित पति या पत्नी को पेंशन मिलेगी.
क्यों हुआ बदलाव
ये बढ़ोतरी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को देखते हुए की गई है. अभी तक जो 45,000 रुपये की पेंशन सीमा थी वह छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर थी और उसमें अधिकतम सैलरी 90,000 मानते हुए उसके 30 से 50 फीसदी तक पेंशन दी जाती थी.
गौरतलब है कि सातवें वेतनमान आयोग के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों की अधिकतम सैलरी 2.5 लाख रुपये महीने कर दी गई है. इसी वजह से अब पेंशन एवं पेंशनर्स वेलफेयर विभाग ने अनाथ बच्चों को दो पेंशन देने की सीमा में भी बदलाव किया है. अब ऐसे बच्चों को न्यूनतम 75 हजार से अधिकतम 1.25 लाख रुपये तक का पेंशन दी जाएगी.