नौकरीपेशा लोग अपने भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाने के लिए कई तरह के फंड में निवेश करते हैं. इनमें से एक है पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF). पीपीएफ में आपकी निवेश की राशि सुरक्षित तो रहती ही है, साथ ही बढ़िया रिटर्न भी मिलता है. ज्यादातर लोग नौकरी के दौरान ही PPF में निवेश करना शुरू कर देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मैच्योरिटी से पहले ही अगर किसी पीपीएफ अकाउंट होल्डर की मृत्यु हो जाती है, तो खाते में जमा राशि किसे दी जाती है और इसके लिए क्या नियम तय किए गए हैं.
कितना है ब्याज?
पीपीएफ अकाउंट (PPF Account) 15 साल में मैच्योर होता है, लेकिन इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. इसकी दूसरी सबसे अच्छी बात है कि रिटर्न चक्रवृद्धि ब्याज के हिसाब से मिलता है. मतलब ये कि आप जितना अधिक समय देंगे, आपका पैसा उतनी ज्यादा रफ्तार से बढ़ेगा. पीपीएफ खाताधारक हेल्थ और एजुकेशन जैसी इमरजेंसी पर पैसा निकाल सकते हैं. पीपीएफ अकाउंट पर सरकार की ओर से 7 से 8 फीसदी का ब्याज (PPF Interest Rate) दिया जाता है. फिलहाल 7.1 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है.
मिलता है लोन
पब्लिक प्रोविडेंट फंड लंबा लॉक-इन पीरियड वाला टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट स्कीम है.- इसका लॉक-इन पीरियड पांच साल का है. छह साल के बाद निवेशक इस फंड से पैसे की निकासी कर सकता है. तीसरे साल से इस स्कीम पर लोन लेने की सुविधा मिलती है. यानी तीन साल के निवेश के बाद आप अपनी जमा रकम पर लोन ले सकते हैं.
किसे मिलेगा जमा पैसा?
अब अगर मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने पीपीएफ में निवेश की शुरुआत की और आठ साल के निवेश के बाद उसकी मृत्यु हो जाती है. ऐसे में पीपीएफ खाते में जमा राशि उसके नॉमिनी को मिल जाएगा. ऐसी स्थिति में मैच्योरिटी पूरा होने का कोई नियम नहीं होता है. खाताधारक की मृत्यु के बाद पूरा पैसा नॉमिनी को सौंप दिया जाता और अकाउंट को बंद कर दिया जाता है.
क्लेम सेटलमेंट के नियम
नियम के अनुसार, डेथ क्लेम का सेटेलमेंट कई आधार पर किया जा सकता है. अगर क्लेम की राशि पांच लाख रुपये तक है, तो सेटलमेंट नॉमिनेशन, कानूनी सबूत या बिना कानूनी प्रूफ के संबंधित अथॉरिटी के विवेक के आधार पर हो सकता है. वहीं, पांच लाख रुपये से अधिक की रकम के लिए कानूनी प्रूफ की जरूरत पड़ती है. प्रूफ नहीं होने की स्थिति में कोर्ट से सक्सेशन सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना होता है.