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सहकारी बैंकों से जुड़े अध्यादेश को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, RBI को मिलेगा ये अधिकार

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सभी शहरी सहकारी बैंकों और बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक की निगरानी में लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी है.

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RBI की निगरानी में अब को-आॅपरेटिव बैंक
RBI की निगरानी में अब को-आॅपरेटिव बैंक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 8.6 करोड़ से अधिक जमाकर्ताओं को भरोसा मिलेगा
  • को-ऑपरेटिव बैंकों में 4.84 लाख करोड़ रुपया जमा

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सभी शहरी सहकारी बैंकों और बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक की निगरानी में लाने वाले बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दे दी है.

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आरबीआई की निगरानी का दायरा बढ़ेगा

एक आधिकारिक बयान में ये जानकारी दी गई. बयान के मुताबिक, ‘‘अध्यादेश का मकसद अन्य बैंकों के संबंध में आरबीआई के पास पहले से उपलब्ध शक्तियों को सहकारी बैंकों तक बढ़ाकर उनके कामकाज और निगरानी में सुधार और श्रेष्ठ बैंकिंग नियमन लागू करना है. इस फैसले के जरिए पेशेवर आचरण सुनिश्चित किया जाएगा और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा किया जाएगा.’’

इसमें कहा गया कि यह संशोधन राज्य सहकारी कानून के तहत राज्य सहकारी समिति पंजीयक की मौजूदा शक्तियों को प्रभावित नहीं करता है. बयान में यह भी कहा गया कि अध्यादेश बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 45 में भी संशोधन करता है, ताकि जनता, जमाकर्ताओं और बैंकिंग प्रणाली के हितों की रक्षा के लिए किसी भी बैंकिंग कंपनी के पुनर्गठन या विलय की योजना बनाई जा सके.

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ये पढ़ें—RBI की निगरानी में सभी को-ऑपरेटिव बैंक, मोदी कैबिनेट ने दी अध्यादेश को मंजूरी
 

बता दें कि भारत में 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 बहु-राज्यीय सहकारी बैंक हैं, जिनके पास 8.6 करोड़ जमाकर्ताओं की लगभग 4.85 लाख करोड़ रुपये की राशि जमा है. 

बजट में हुआ था ऐलान

इसी साल फरवरी में आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने को-ऑपरेटिव बैंक को आरबीआई की निगरानी में लाने का प्रस्ताव रखा था. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया था. इसका मतलब ये हुआ कि बैंक में जमा राशि डूब भी जाती है तो आपको 5 लाख तक की बीमा मिलेगी.

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