अक्सर लोग कहते हैं कि एक दिन अपना टाइम भी आएगा. कुछ लोगों के साथ जब कुछ अच्छा होता है तो उन्हें लगता है कि अब उनका टाइम आ गया है. लेकिन क्या भारतीय शेयर बाजार का टाइम आ गया है, या कहें भारतीय निवेशकों का टाइम आ गया है?
दरसअल, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 के मंच से देश के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) ने कहा कि भारत का टाइम आ गया है. भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) के बिग बुल की मानें तो लोग कहते हैं 'अपना टाइम आएगा...' लेकिन मैं कहता हूं, 'अपना टाइम आ गया है.' आखिर राकेश झुनझुनवाला ने क्यों कहा कि अपना टाइम आ गया है?
दरअसल शेयर बाजार के परिदृश्य से देखें को पिछले कुछ वर्षों में बड़े बदलाव हुए हैं. आइए जानते हैं 5 ऐसे बदलाव या बेहतर संकेत के बारे में जिसको आधार मानकर राकेश झुनझुनवाला जैसे दिग्गज इंवेस्टर कह रहे हैं कि अब इंतजार का वक्त खत्म हो गया है और अपना टाइम आ गया है.
1. इकोनॉमी (Economy) में रफ्तार: सरकार का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर है. सरकार का इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्लान है. इससे नागरिक और व्यावसायिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी. इसके अलावा जीडीपी में तेज रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं. सरकार दावा कर रही है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ डबल डिजिट रह सकती है. वहीं RBI ने FY22 में GDP ग्रोथ का लक्ष्य 9.5% रखा है.
2. रिटेल निवेशकों (Retail Investor) का बढ़ता विश्वास: एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब 4 करोड़ डीमैट अकाउंट खुल चुके हैं. पिछले दो साल में सबसे ज्यादा रिटेल निवेशक शेयर बाजार से जुड़े हैं. अगर अमेरिका की बात की जाए तो यहां करीब 35 फीसदी लोग शेयर बाजार से जुड़े हैं. जबकि भारत में आबादी के हिसाब से महज 3 फीसदी लोग शेयर बाजार में जुड़े हैं. ऐसे में भारत में ग्रोथ की संभावना है, क्योंकि भारत में करीब 90 करोड़ वयस्क हैं. और धीरे-धीरे लोगों में शेयर बाजार को लेकर रुचि बढ़ रही है.
3. कंपनियों का बेहतर प्रदर्शन: सरकार का FDI पर फोकस है. जब विदेश निवेश आएगा, तभी हर सेक्टर में तरक्की संभव है. विदेशी कंपनियों को लुभाने के लिए केंद्र सरकार ने साल-2019 में कॉरपोरेट टैक्स में बड़ी कटौती का ऐलान किया था. पहले से रजिस्टर्ड कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दी गई हैं. जबकि नई रजिस्टर्ड होने वाली मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को सिर्फ 15 फीसदी टैक्स देना होगा. विदेशी कंपनियां पहले भारत में ज्यादा टैक्स का हवाला देकर निवेश से बचती थीं.
4. शेयर बाजार रिकॉर्ड हाई पर: निफ्टी ने 18000 के स्तर को छु लिया है. लेकिन इसके बावजूद राकेश झुनझुनवाला कहते हैं कि मैं अभी भी भारतीय बाजार को लेकर बुलिश हूं. उनका कहना है कि इस तेजी के पीछे कंपनियों की ग्रोथ की कहानी है. देश की बड़ी कंपनियों की बैलेंस बुक और मजबूत हुई है. कोरोना संकट के दौरान आईटी कंपनियों में खूब ग्रोथ हुई. कोरोना की पहली लहर के दौरान निफ्टी मार्च-2020 में गिरकर 7300 अंक पहुंच गई थी, लेकिन वही निफ्टी अब 18 हजार अंक को टच करने में कामयाब है. इसके पीछे कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन बड़ी वजह है.
5. पांच ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य: मोदी सरकार ने साल 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर का आकार देने का लक्ष्य रखा है. हालांकि कोरोना संकट की वजह से यह लक्ष्य थोड़ा मुश्किल हो गया है. लेकिन अभी भी सरकार इसपर तेजी से काम कर रही है. भले इस लक्ष्य को पाने में कुछ और साल लग जाएं, लेकिन संभव है कि लक्ष्य जरूर हासिल होगा. राकेश झुनझुनवाला की मानें तो कोरोना एक फ्लू है, कैंसर नहीं. इसलिए आगे बाजार में बड़ी गिरावट की संभावना बहुत कम है.