सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान क्यों कहा जाता है, इसका सबसे बड़ा उदहारण हैं 26 साल की रश्मि. सचिन को 24 साल से सभी ने क्रिकेट खेलते हुए देखा है, लेकिन कई लोगों ने 40 साल की उम्र में उनकी ऊर्जा को देखकर अपने जीवन में बदलाव लाया और सफलता के झंडे गाड़ दिए.
पर्वतारोहक रश्मि साटम को 12 साल की उम्र में पहली बार मिर्गी का दौरा आया था, लेकिन अपने हौसले और इच्छा शक्ति के बदौलत रश्मि ने उन ऊंचाईयों को छुआ, जो एक आम इंसान के लिए काफी मुश्किल है.
रश्मि आज एक पर्वतारोहक है और उन्होंने हिमालय की कई ऊंची चोटियों पर चढ़ाई की है. इसके अलावा रश्मि ने कई कठिन रास्तों पर साइकिलिंग कर अपने बुंलंद हौसलों को जाहिर किया है.
एपीलेप्सी का पेशंट होते हुए बिना डरे बर्फीली पर्वतों की चढ़ाई करने वाली रश्मि हर रविवार तैयार होकर ट्रेकिंग करने निकल पड़ती है. रश्मि का कहना है कि उसके दोस्त परिवार उसे हमेशा हौसला देते रहे हैं. इसके साथ ही रश्मि की माने तो क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर जब 40 साल की उम्र तक कई बार चोटिल होने के बाद भी मैदान पर खेल सकते थे, तो मैं क्यों नहीं.
रश्मि के डॉक्टर निर्मल सूर्या भी इसे हैरतंगेज मानते हैं, लेकिन वह रश्मि को समय-समय पर दवा लेने की हिदायत देते हैं. रश्मि का आत्मविश्वास और हौसला उन सबके लिए एक सीख है, जो जिंदगी की छोटी-छोटी कठिनाइयों से हार मान लेते हैं.