Card Tokenisation: रिजर्व बैंक (RBI) ने कार्ड से ऑनलाइन पेमेंट (Online Payment) में किए गए हालिया बदलाव की समयसीमा छह महीने के लिए बढ़ा दी है. पहले कार्ड-ऑन-फाइल (CoF) टोकनाइजेशन (Tokenisation) 31 दिसंबर से ही अनिवार्य हो रहा था. अब इसके लिए छह महीने का और समय दिया गया है. इससे लोग अभी अगले छह महीने तक पुराने तरीके से ही ऑनलाइन पेमेंट कर पाएंगे.
आरबीआई ने सर्कुलर में दी ये जानकारी
आरबीआई ने एक सर्कुलर (RBI Circular) में बताया कि टोकनाइजेशन को लेकर कई सुझाव मिले थे. इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए कॉर्ड-ऑन-फाइल डेटा स्टोर करने की समयसीमा 31 दिसंबर 2021 से बढ़ाकर 30 जून 2022 करने का फैसला लिया गया है. अब पेमेंट कंपनियों को 30 जून 2022 के बाद लोगों के क्रेडिट कार्ड (Credit Card) और डेबिट कार्ड (Debit Card) का डेटा मिटाना होगा.
डिजिटल पेमेंट कंपनियां कर रही थीं मांग
कई डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) कंपनियां रिजर्व बैंक से इस समयसीमा को बढ़ाने की मांग कर रही थीं. कंपनियों का तर्क था कि वे अभी ऐसा नहीं पर पाई हैं. इतने कम समय में नई व्यवस्था लागू करने से व्यापार प्रभावित हो सकता है. कंपनियां कह रही थीं कि इस बदलाव को लागू करने में अभी कई ऑपरेशनल दिक्कतें आ रही हैं.
क्या है यह टोकनाइजेशन
नई व्यवस्था के तहत रिजर्व बैंक ने पेमेंट कंपनियों को ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड का डेटा स्टोर करने से मना किया है. पेमेंट कंपनियों को अब कार्ड के बदले एक वैकल्पिक कोड देना होगा, जिसे टोकन (Token) नाम दिया गया है. ये टोकन यूनिक होंगे और कई कार्ड के लिए एक ही टोकन से काम चल जाएगा. यह लागू हो जाने के बाद ऑनलाइन पेमेंट के लिए सीधे कार्ड का इस्तेमाल न कर यूनिक टोकन यूज करना होगा.
टोकन सिस्टम से कम हो जाएंगे फ्रॉड के मामले
रिजर्व बैंक का मानना है कि कार्ड के बदले टोकन से पेमेंट की व्यवस्था लागू होने से फ्रॉड (Fraud) के मामले कम होंगे. अभी ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की जानकारियां लीक हो जाने से उनके साथ फ्रॉड होने का रिस्क बढ़ जाता है. नई व्यवस्था से फ्रॉड के ऐसे मामलों में कमी आने का अनुमान है.