अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करेंगे.
महत्वपूर्ण नीतिगत दरों पर फैसला करते समय राजन विभिन्न कारकों मसलन निचली मुद्रास्फीति, औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती, सामान्य से कम मानसून और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों बढ़ोतरी के फैसले को टालने आदि को ध्यान में रखेंगे. चीन में सुस्ती के भारत पर असर को कम करने के लिए रिजर्व बैंक गवर्नर पर वित्त मंत्रालय के अलावा उद्योग का भी ब्याज दरों में कटौती के लिए दबाव है.
ज्यादातर बैंकरों की राय है कि मुद्रास्फीति में कमी तथा अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा यथास्थिति कायम रखने से रिजर्व बैंक के लिए रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 7 प्रतिशत पर लाने की गुंजाइश बनी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी पिछले सप्ताह कहा था कि अब ब्याज दरें नीचे आनी चाहिए.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा कि उसे उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक रेपो दरों में चौथाई फीसद की कटौती कर इसे सात प्रतिशत पर लाएगा. भारतीय स्टेट बैंक की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि आगामी महीनों में खाद्य वस्तुओं के दाम चढ़ने की संभावना नहीं है, ऐसे में ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनती है.
तिवारी ने कहा कि रेपो दर में 29 सितंबर को 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है. हालांकि बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त नकदी है इसलिए सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में बदलाव नहीं होगा.