भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अप्रत्याशित तरीके से रेपो रेट (Repo Rate) और कैश रिजर्व रेशियो (CRR) बढ़ाने का बुधवार को ऐलान किया. इस ऐलान के बाद अब रेपो रेट 4 फीसदी से बढ़कर 4.40 फीसदी हो गया है. इसी तरह सीआरआर अब 4 फीसदी से बढ़कर 4.50 फीसदी हो गया है. रिजर्व बैंक का यह कदम महंगाई कम करने पर फोकस्ड है. हालांकि रेपो रेट बढ़ने से होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan) सभी की ईएमआई (EMI) भी बढ़ने वाली है. आइए जानते हैं कि रिजर्व बैंक के इस फैसले से आपकी ईएमआई कितनी बढ़ने वाली है और इस बोझ को कम करने के क्या उपाय हैं...
एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक्ड होते हैं ये लोन
रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने से सबसे पहले होम लोन पर असर पड़ने वाला है. अभी बैंकों के होम लोन एमसीएलआर (MCLR) और आरएलएलआर (RLLR) से लिंक्ड होते हैं. रिजर्व बैंक ने 2019 में सभी बैंकों को कहा था कि वे नए होम लोन्स को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करें, क्योंकि बैंक आरबीआई के रेपो रेट घटाने का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे थे. इसी तरह बैंकों को सभी प्रकार के रिटेल लोन और पर्सनल लोन को भी किसी एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करने को कहा गया था. इसके लिए बैंकों को आरबीआई रेपो रेट, 3 या 6 महीने के सरकारी ट्रेजरी बिल के रेट या फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (FBIL) के द्वारा प्रकाशित किसी भी अन्य बेंचमार्क मार्केट इंटेरेस्ट रेट का विकल्प दिया गया था. पुराने कर्जदारों को भी ये सुविधा दी गई थी कि वे अपने कर्ज को बेंचमार्क लिंक्ड रेट में ट्रांसफर कर लें या पुरानी व्यवस्था में बने रहे.
रेपो रेट बढ़ने से इतनी बढ़ जाएगी ईएमआई
रेपो रेट बढ़ने से लोन की ईएमआई कितनी बढ़ने वाली है, इसे उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए कि आपने 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है. लोन का समय 20 साल है और ब्याज की दर 6.7 फीसदी है. इस स्थिति में आपकी मंथली ईएमआई करीब 1,200 रुपये बढ़ जाएगी. इसी तरह मान लीजिए कि आपका होम लोन 75 लाख रुपये का है और टेन्योर 20 साल व मौजूदा ब्याज दर 6.7 फीसदी है, तो इस सूरत में आपके ऊपर हर महीने 1,800 रुपये का बोझ बढ़ने वाला है.
होम लोन, प्रॉपर्टी लोन पर होगा ज्यादा असर
एंड्रोमेडा और अपना पैसा के सीईओ वी स्वामीनाथन बताते हैं, 'भारत व पूरी दुनिया में महंगाई का काफी प्रेशर था. इसके कारण पॉलिसीमेकर्स के ऊपर रेट बढ़ाने का दबाव था. अब इस फैसले से वैसे सारे लोन महंगे होने वाले हैं, जो रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) पर बेस्ड हैं. खासकर होम लोन और प्रॉपर्टी पर लिया गया लोन महंगा होने वाला है. अन्य कर्जों की ईएमआई भी बढ़ने वाली है, क्योंकि इस फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत से ही ज्यादातर बैंक एमसीएलआर को बढ़ाने लगे हैं.'
पहले ही ब्याज दरें बढ़ा चुके हैं ये बैंक
देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई पहले ही एमसीएलआर को 0.10 फीसदी बढ़ाने का ऐलान कर चुका है. यह बदलाव 15 अप्रैल से अमल में आएगा और इसके बाद एसबीआई का एमसीएलआर 6.65 फीसदी से बढ़कर 6.75 फीसदी हो जाएगा. बैंक ऑफ बड़ौदा और एक्सिस बैंक भी एमसीएलआर को 0.05 फीसदी बढ़ा चुके हैं. हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन ने भी अपने बेंचमार्क रिटेल प्राइम लेंडिंग रेट को 0.05 फीसदी बढ़ा दिया है. अब आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के बाद सारे बैंक तेजी से बेंचमार्क रेट को बढ़ाएंगे और महंगे कैपिटल कॉस्ट का बोझ ग्राहकों को ट्रांसफर करेंगे.
इन दो तरीकों से कम कर सकते हैं ईएमआई
अब सवाल ये उठता है कि अचानक आई इस मुसीबत को कैसे कम करें. होम लोन जैसे लंबे समय के कर्जों के मामले में ईएमआई कम करने के लिए ग्राहकों के पास 2 विकल्प हैं. ग्राहक या तो लोन का टेन्योर और बढ़वा सकता है, या प्री-पेमेंट कर सकता है. बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी की मानें तो टेन्योर बढ़ाने से बेहतर विकल्प प्री-पेमेंट करना है. वह कहते हैं, 'आम तौर पर लोग ईएमआई कम करने के लिए टेन्योर बढ़ाते हैं. यह ऑप्शन चुनेंगे तो आपको अब उसी कर्ज के लिए अधिक समय तक किस्तों का भुगतान करना पड़ेगा. इसमें आप पहले से भी ज्यादा ब्याज भरने पर मजबूर होंगे. होम लोन जैसे लंबे समय के कर्ज प्रीपेमेंट की सुविधा देते हैं. अगर आप हर साल पूरे बकाये कर्ज का 5 फीसदी भी प्रीपेमेंट करें या एक भी ईएमआई के बराबर रकम पहले ही भर दें, तो इस तरह से न सिर्फ ईएमआई कम होगी बल्कि आप ठीक-ठाक बचत भी कर पाएंगे.'