भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अचानक आज रेपो रेट (Repo Rate) में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है. इस बढ़ोतरी के साथ ही अब रेपो रेट 4 फीसदी से बढ़कर 4.40 फीसदी हो गया है. RBI ने यह अप्रत्याशित कदम अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के ठीक पहले किया है. फेड रिजर्व आज देर रात तक ब्याज दरों में का ऐलान कर सकता है.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि खुदरा महंगाई (Retail Inflation) में बढ़ोतरी की वजह से RBI को अचानक रेपो रेट में बदलाव का फैसला लेना पड़ा है. वहीं इस फैसले से शेयर बाजार को सबसे ज्यादा हैरान किया. बाजार आरबीआई के झटके से संभल नहीं पाया, और देखते-ही-देखते बिखर गया.
शेयर बाजार में भारी गिरावट
रेपो रेट में बढ़ोतरी के ऐलान से सेंसेक्स (Sensex) 1450 अंकों से ज्यादा गिर गया. वहीं निफ्टी (Nifty) में 400 अंकों से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. हालांकि कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1,306.96 अंक गिरकर 55,669 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 391.50 अंक लुढ़ककर 16,677.60 अंक पर बंद हुआ.
इस दौरान सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयर में अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) 6.77 फीसदी, अडानी पोर्ट (Adani Port) 5.11%, टाइटन (Titan) में 4 फीसदी, Zomato में 7.27%, अडानी ग्रीन में 5.62 फीसदी और DLF में 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
इससे पहले वैश्विक बाजारों की गिरावट के बीच बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) दोनों ने बुधवार को रेड जोन में कारोबार की शुरुआत की थी. सुबह 09:25 बजे सेंसेक्स मामूली 1.99 अंक के नुकसान के साथ 56,940 अंक के पास कारोबार कर रहा था. इसी तरह निफ्टी करीब 10 अंक गिरकर 17,060 अंक के पास ट्रेड कर रहा था.
लेकिन बढ़ती महंगाई, महामारी की नई लहर और ब्याज दरें बढ़ने की आशंका से बाजार पहले से ही डरा हुआ था. जैसे ही आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी का ऐलान किया, बाजार में बिकवाली हावी हो गया, और देखते ही देखते बाजार बिखर गया. दुनिया भर में महंगाई दशकों के हाई लेवल पर है.
रेपो रेट क्या है?
जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट बढ़ने का मतलब यह है कि बैंकों को आरबीआई की ओर से अब महंगे दर पर कर्ज मिलेगा. ऐसे में बैंक से ग्राहकों को मिलने वाले लोन भी महंगे हो सकते हैं.
रिवर्स रेपो रेट क्या है?
यह रेपो रेट से विपरीत है. कभी जब बैंकों के पास कामकाज के बाद बड़ी रकमें बची रह जाती हैं, वे उस रकम को रिजर्व बैंक में रख दिया करते हैं, जिस पर आरबीआई उन्हें ब्याज दिया करता है. अब रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज अदा करता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. यानी रिवर्स रेपो वह रेट है, जिस पर दूसरे बैंक रिजर्व बैंक को पैसा उधार देते हैं. दरअसल, रिवर्स रेपो रेट मार्केट में कैश फ्लो को नियंत्रित करने में काम आती है.
नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर)
देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है, जिसे कैश रिजर्व रेशो यानी नकद आरक्षित अनुपात (CRR) कहा जाता है. सीआरआर के जरिए आरबीआई बिना रिवर्स रेपो रेट में बदलाव किए मार्केट से कैशे के फ्लो को कम कर सकता है.