देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) ने हाल ही में कीर्तिमान रचते हुए एक लाख करोड़ रुपये के रेवेन्यू को पार कर लिया है. ऐसा करने वाली ये भारत की पहली कंपनी बनी है. कंपनी की इस सफलता के पीछ चेयरमैन आर सी भार्गव (R C Bhargava) की अहम भूमिका रही है. मारुति के साथ जुड़कर उन्होंने अपनी मेहनत और काबिलियत की दम पर इसे बुलंदियों पर पहुंचाने का काम किया. लेकिन क्या आप जानते हैं आर सी भार्गव मारुति सुजुकी के साथ जुड़ने से पहले एक आईएएस अधिकारी (IAS Officer) थे? कंपनी के साथ उनके चार दशक के सफर की कहानी बड़ी दिलचस्प है.
एक बड़ा फैसला और बदल गई किस्मत
देश में भले ही स्टार्टअप्स (Startups) की बाढ़ आई हो और ऑटो समेत हर सेक्टर में नई-नई कंपनियां ओपन हो रही हैं. बड़े-बड़े संस्थानों से पढ़ाई करने वाले और देश ही नहीं विदेशों में मोटी सैलरी पर नौकरी करने वाले लोग भी जॉब को छोड़कर देश में बिजनेस (Business) करने को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. ये जज्बा सिर्फ अभी दिखाई नहीं दे रहा है, बल्कि चार दशक पहले भी दिखता था. मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव भी ऐसी ही शख्सियतों में शामिल है, अच्छी और रुतबे वाली नौकरी छोड़ एक प्राइवेट कंपनी के साथ जुड़कर अपनी किस्मत बदल दी.
1956 बैच के आईएएस अधिकारी हैं भार्गव
आर सी भार्गव UPSC टॉप करके 1956 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं. कई साल IAS की नौकरी करने के बाद एक पड़ाव ऐसा आया कि उन्होंने बेहद बड़ा फैसला ले लिया. दरअसल, 80 के दशक में इस सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और देश की दिग्गज ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी के साथ अपना सफर शुरू कर दिया. प्रशासनिक अधिकारी की नौकरी छोड़कर मारुति सुजुकी में शामिल हुए भार्गव को उस समय करीब 2250 रुपये वेतन मिलता था. इसके बाद कंपनी ने उनके योगदान से नई ऊंचाइयों को छूना शुरू किया और समय के साथ मारुति सुजुकी में आर सी भार्गव का दबदबा भी बुलंदियों पर पहुंचने लगा.
कंपनी में ऐसे बढ़ता गया कद और रुतबा
रिपोर्ट्स की मानें तो 1981 में आर सी भार्गव मारुति में शामिल हुए. वे दरअसल, वह प्रशासनिक सेवा से एक साल की प्रतिनियुक्ति पर कंपनी में पहुंचे थे. लेकिन, जब सरकार ने इस प्रतिनियुक्ति को बढ़ाने से इनकार कर दिया, तो आर सी भार्गव ने एक बड़ा फैसला लिया और IAS की नौकरी छोड़ मारुति के साथ आगे बढ़ना स्वीकार किया. उनका ये फैसला न केवल उनकी, बल्कि मारुति सुजुकी की किस्मत बदलना वाला भी साबित हुआ. एक कर्मचारी के रूप में जुड़े आर सी भार्गव को जल्द ही मारूति सुजुकी ज्वाइंट वेंचर का फुल टाइम डायरेक्टर बना दिया गया. इसके बाद वे 1985 में एमडी बने और 1997 में उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया.
मारुति को बुलंदियों पर पहुंचाया
48 साल की उम्र में मारुति सुजुकी के साथ जुड़े आर सी भार्गव अब 88 साल के हो चुके हैं और अभी भी कंपनी के चेयरमैन बने हुए हैं. आर सी भार्गव का वार्षिक वेतन लगभग 1.5 करोड़ रुपये है. जापानी कंपनी के मालिक ओसामु सुजुकी ने खुद एक इंटरव्यू के दौरान आर सी भार्गव की काबिलियत के बारे में बड़ी बात कही थी. करीब 8 साल पहले 2015 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अगर हमारी कंपनी में आर सी भार्गव नहीं होते, तो ये इतनी सफल नहीं होती. आज मारुति सुजुकी इंडिया एक लाख करोड़ रुपये के रेवेन्यू को पार करने वाली कंपनी बन चुकी है. जबकि कंपनी का मार्केट कैप 2.60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है.