scorecardresearch
 

PF से पेंशन के मामले में आज आ सकता है सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, लाखों लोगों को राहत का इंंतजार  

सुप्रीम कोर्ट ने अगर ईपीएफओ के खिलाफ हुए केरल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट फैसले को बरकरार रखा तो लाखों पेंशनर्स की पेंशन में भारी इजाफा हो सकता है.  न्यायमूर्ति यू ललित की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ 18 जनवरी यानी सोमवार को याचिकाओं पर विचार करेगी.

Advertisement
X
पेंशन पर सुुुुुुुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (फाइल फोटो)
पेंशन पर सुुुुुुुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पीएफ से मिलने वाली पेंशन का मामला
  • सुुुुुुप्रीम कोर्ट में आज है अहम सुनवाई
  • लाखों पेंशनधारकों को है फैसले का इंतजार

पीएफ से मिलने वाले पेंशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ श्रम और रोजगार मंत्रालय और EPFO की तरफ से दायर पुनर्विचार याचिका पर आज सुनवाई है. सुप्रीम कोर्ट ने अगर ईपीएफओ के खिलाफ हुए फैसले को बरकरार रखा तो लाखों पेंशनर्स की पेंशन में भारी इजाफा हो सकता है. 

Advertisement

 न्यायमूर्ति यू ललित की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ 18 जनवरी यानी सोमवार को याचिकाओं पर विचार करेगी. इससे पहले केरल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ पेंशनरों के पक्ष में फैसला सुनाया है.

क्या है मामला 

सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. 1 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) की मासिक पेंशन पर केरल हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. श्रम मंत्रालय ने तब EPFO की तरफ से दायर समीक्षा याचिका के बावजूद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी.

12 जुलाई 2019 को, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करने का आदेश दिया. हालांकि, इस संबंध में आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस बीच, संसदीय स्थायी समिति ने अक्टूबर 2019 में इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा.

Advertisement

फैसला आया तो बदल जाएगा पेंशन का स्ट्रक्चर 

अगर सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले को आगे बढ़ाता है, तो EPFO से मिलने वाले पेंशन के स्ट्रक्चर में भारी बदलाव हो सकता है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा EPFO ग्राहकों के PF खाते के संबंध में है. इस संबंध में, श्रम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कैबिनेट समिति को इस संबंध में कुछ सुझाव दिए हैं. इन अधिकारियों का विचार था कि EPFO को जारी रखने और फंड को ज्यादा प्रासंगिक बनाने के लिए, संरचनात्मक परिवर्तन किए जाने की जरूरत है.

अभी कैसे मिलती है पेंशन 

अभी कर्मचारी भविष्य निधि में कर्मचारी के वेतन (मूल वेतन+महंगाई भत्ता) का 12 फीसदी कर्मचारी की तरफ से और 12 फीसदी एम्प्लॉयर की तरफ से जमा होता है. एम्प्लॉयर जो 12 फीसदी जमा करता है, उसका 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS ) को जाता है. किसी कर्मचारी के पेंशन की गणना इस प्रकार की जाती है- 

औसत वेतनXनौकरी की अवध‍ि/70 

यानी अगर किसी का मासिक औसत वेतन (अंतिम पांच साल के वेतन का औसत)  10 हजार रुपये है और नौकरी की अवध‍ि 30 साल है तो उसे सिर्फ हर महीने 4,285  रुपये की ही पेंशन मिलेगी. 

 इसे देखें: आजतक LIVE TV 

साल 2014 में अहम बदलाव 

लेकिन साल 2014 में ईपीएफओ ने तय किया है कि अध‍िकतम 15 हजार रुपये तक के वेतन पर ही पेंशन की गणना की जाएगी. यानी कर्मचारी को इस तरह से अध‍िकतम 7500 रुपये महीने की पेंशन ही मिल सकती है. अगर नौकरी की अधि‍कतम अवधि 35 साल मानें तो.

Advertisement

अगर किसी कर्मचारी का वेतन ज्यादा है और वह ज्यादा पेंशन चाहता है तो उसे इसके लिए रिक्वेस्ट देना होगा और पीएफ में 1.16% का अतिरिक्त योगदान देना होगा. इसके अलावा पेंशन की गणना के लिए पांच साल के औसत वेतन को मासिक सैलरी मानने का नियम बनाया गया, जबकि पहले यह एक साल था. इससे कर्मचारियों की पेंशन काफी कम हो गई. 

केरल हाईकोर्ट का अहम फैसला 

साल 2019 में केरल हाईकोर्ट ने ईपीएफओ के इस बदलाव को रद्द करते हुए कहा कि पेंशन में वेतन की गणना की पुरानी व्यवस्था यानी एक साल के औसत वेतन को ही लागू रखनी चाहिए. इसी साल केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ईपीएफओ की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया.

 केरल हाईकोर्ट ने पूरी सैलरी पर पेंशन देने का भी आदेश दिया था यानी 15 हजार के अध‍िकतम वेतन की शर्त को खत्म किया जाए. इसके अलावा केरल हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि औसत वेतन की गणना अंतिम एक साल के वेतन के आधार पर न कि पांच साल के आधार पर.

पांच साल के आधार पर गणना करने से कर्मचारियों की पेंशन काफी कम हो गयी थी. लेकिन श्रम मंत्रालय और ईपीएफओ का कहना था कि यह संभव नहीं है और अगर ऐसा हुआ तो EPFO की वित्त व्यवस्था चरमरा जाएगी. आज इन सभी मसलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तस्वीर साफ हो जाएगी. 

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement