भारतीय चाय उत्पादकों (Indian Tea Producers) की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. इंटरनेशनल और घरेलू दोनों मार्केट द्वारा भारतीय चाय (Indian Tea Return) की खेप को लौटाने के बाद इसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. चाय की पत्तियों में कीटनाशकों और रसायनों (Pesticides and Chemicals) की मात्रा अधिक पाए जाने के कारण खरीदारों ने इसे लेने से इनकार कर दिया था. अब चाय की कीमतों (Tea Price) में 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट ने उत्पादकों की टेंशन बढ़ा दी है.
एक महीने में 27 रुपये की गिरावट
पिछले एक महीने में चाय की पत्तियों का भाव में 27 रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है और इसकी कीमत 214 प्रति किलोग्राम से गिरकर 187.06 प्रति किलोग्राम हो गई है. चाय उद्योग (Tea Industries) इस बास से चिंतित है कि कहीं इसकी वजह से दूसरे सीजन के दौरान चाय की कीमतें और ना कम हो जाएं. इसपर किसी भी तरह का असर चाय उद्योग को प्रभावित कर सकता है. देश में बेची जाने वाली सभी चाय भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मानदंडों के अनुरूप होनी चाहिए.
लौटा दी गई थी चाय
हाल ही में चाय व्यापारियों ने अपनी खरीद को रद्द कर दिया था, क्योंकि पत्तियों में कीटनाशकों और रसायनों की मात्रा तय से अधिक पाई गई थी. 'बिजनेस लाइन के अनुसार' कोलकाता नीलामी में लगभग 39 हजार किलो चाय खरीदारों द्वारा लौटा दी गई थी. कीमतों की बात करें तो इसमें साल-दर-साल लगभग 40 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है. पिछले साल चाय चाय 226.77 रुपयेप्रति किलोग्राम के रेट से बिका था, मगर इस साल इसकी औसत कीमत 186.41 रुपयेप्रति किलोग्राम है.
मांग में गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, चाय की कीमतों में गिरावाट का कीटनाशकों और रसायनों के मुद्दे से कुछ खास लेना-देना नहीं है. इंटरनेशनल मार्केट में भारतीय चाय की डिमांड कम रही है. मुख्य रूप से केन्या की चाय की कम कीमतों के कराण भारतीय चाय की मांग में गिरावट आई है. अगर चाय में अधिक कीटनाशक और रसायन के मुद्दे की वजह से निर्यात में कमी आई , तो घरेलू बाजार में भी चाय की कीमतें गिरेंगी. श्रीलंका (Sri Lanka) में आए आर्थिक संकट के चलते इंटरनेशनल मार्केट में भारतीय चाय उद्योग के पास अपने कारोबार को बढ़ाने का बड़ा मौका था, लेलिमिट से अधिक कीटनाशकों और रसायनों के इस्तेमाल ने बड़ा झटका दिया है.
बढ़ा है कीटनाशक का इस्तेमाल
खबरों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से चाय की पत्तियों पर कीटों का हमला बढ़ गया है. इसकी वजह से चाय बागानों (Tea Gardens) में कीटनाशकों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हुई है, ताकी चाय की पत्तियो को कीटों से बचाया जा सके. अक्सर कीटनाशक का प्रयोग समाप्त होने के बाद ही पत्तियों को तोड़ लिया जाता है. इसकी वजह चाय की पत्तियों पर से कीटनाशक के अंश रह जाते हैं. आमतौर पर कीटनाशक के छिड़काव के लगभग 10 से 20 दिनों के बाद पत्तियों को तोड़ा जाता है. यदि इसका पालन नहीं किया जाता है, तो उनमें ज्यादा कीटनाशक होने की आशंका होती है. भारतीय चाय बोर्ड (Indian Tea Board) ने 25 मई को सभी उत्पादकों और ब्रोकरों को एक निर्देश जारी निगरानी की बात कही थी, ताकी नीलामी के दौरान FSSAI के तय मानकों को पूरा किया जा सके.