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अब 'आम' पर भी लगेगा खास वाला टैक्स, 1 जनवरी से महंगी होंगी ये दो चीजें

GST on Textile: नए साल की शुरुआत से 1000 रुपये से कम दाम वाले कपड़ों पर जीएसटी (GST) की दर पांच फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगी. इसी तरह 1000 रुपये से कम के जूते भी महंगे हो जाएंगे, क्योंकि अब इनपर भी पांच फीसदी के बजाय 12 फीसद जीएसटी लगेगा.

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महंगे होने वाले हैं कपड़े-जूते
महंगे होने वाले हैं कपड़े-जूते
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एक जनवरी से कई सामानों पर बढ़ रही जीएसटी
  • गरीबों के कपड़े और जूते हो जाएंगे महंगे

इस बार नया साल खुशियां नहीं बल्कि महंगाई की मार लेकर आने वाला है. पहले ही महंगाई से हलकान गरीबों के लिए नए साल में कपड़े और जूते खरीदना महंगा होने जा रहा है. खासकर वैसे कपड़ों और जूतों पर जीएसटी (GST on Textile) एक जनवरी से बढ़ने वाली है, जो गरीबों के बजट में आती हैं.

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एक हजार से कम के कपड़ों-जूतों पर बढ़ा टैक्स

जीएसटी काउंसिल (GST Council) ने सितंबर में हुई आखिरी बैठक में कुछ सामानों पर कर की दर (GST Rate) बदलने का निर्णय लिया था. ये बदलाव एक जनवरी से अमल में आने जा रहे हैं. इसके चलते नए साल की शुरुआत से 1000 रुपये से कम दाम वाले कपड़ों पर जीएसटी (GST) की दर पांच फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगी. इसी तरह 1000 रुपये से कम के जूते भी महंगे हो जाएंगे, क्योंकि अब इनपर भी पांच फीसदी के बजाय 12 फीसद जीएसटी लगेगा.

सिलाकर कपड़े पहनना भी होगा महंगा

एक जनवरी से बुने हुए कपड़ों समेत हैण्डलूम के सारे प्रोडक्ट (Handloom Products) भी महंगे हो जाएंगे. इनके ऊपर भी अब पांच के बजाय 12 फीसदी जीएसटी लगेगा. इनके अलावा जीएसटी काउंसिल ने सिलाई में इस्तेमाल होने वाले धागों की कई वेराइटी पर भी कर बढ़ाने का फैसला किया है. इससे रेडीमेड कपड़ों (Readymade Garments) के साथ ही सिलाकर कपड़े पहनना महंगा हो जाएगा. यह गरीबों पर सीधा असर डालेगा.

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छोटे व्यवसायों को हो सकती है पूंजी की दिक्कत

जीएसटी काउंसिल के इस फैसले पर इंडस्ट्री ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी बढ़ाने के इस फैसले का असर छोटे व्यवसायों (MSME) पर भी देखने को मिलेगा, क्योंकि अब उन्हें अधिक वर्किंग कैपिटल (Working Capital) की जरूरत होगी. इससे आम लोगों पर भी बोझ पड़ेगा क्योंकि इस फैसले से उनका खर्च बढ़ जाएगा.

दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बावेजा ने कहा कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री पहले से रॉ मटीरियल्स की शॉर्टेज और हाई कॉस्ट से जूझ रही है. इस समय जीएसटी दरें बढ़ाने का यह निर्णय कहीं से तार्किक नहीं है. यह पहले से बेहाल टेक्सटाइल इंडस्ट्री के छोटे उपक्रमों की मुश्किलें बढ़ा देगा. अभी महंगाई से आम लोग त्रस्त हैं. अब उनके ऊपर बोझ और बढ़ जाएगा.

 

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