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नॉर्थ-ईस्ट में बाघों की डबल सेंचुरी

बाघों पर हाल में आई ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, असम में बाघों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि हुई है और 2010 में 143 से बढ़ कर यह संख्या 167 पर पहुंच गई है.

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बाघों पर हाल में आई ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, असम में बाघों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि हुई है और 2010 में 143 से बढ़ कर यह संख्या 167 पर पहुंच गई है. उत्तर पूर्वी पहाड़ियों और ब्रह्मपुत्र के बाढ़ वाले मैदानी इलाके में 2010 में 148 के मुकाबले बाघों की संख्या बढ़ कर 2014 में 201 हो गई है. अरुणाचल प्रदेश में 2006 में 14 बाघ थे जिसकी संख्या बढ़ कर अब 28 हो गई है. अरुणाचल प्रदेश में 2010 में सर्वेक्षण नहीं किया गया था.

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असम और अरुणाचल प्रदेश के अलावा स्थिति रिपोर्ट में शामिल अन्य क्षेत्रों में मिजोरम और उत्तरी बंगाल है.

क्षेत्र के सात बाघ अभ्यारण्य में असम के मानस, काजीरंगा और नामेरी, अरुणाचल प्रदेश के पाक्के और नामदफा, मिजोरम के दामपा और पश्चिम बंगाल के बुक्सा शामिल है. रिपोर्ट में बताया गया है कि असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में बाघों की संख्या सबसे अधिक 157 है जबकि अरुणाचल प्रदेश के नामदफा राष्ट्रीय पार्क में सबसे कम चार बाघ है.

20 जनवरी को एक साथ एक अन्य रिपोर्ट ‘कनेक्टिंग टाइगर पापुलेशन फॉर लांग टर्म कन्जर्वेशन’ में बताया गया है कि इलाके में बिल्ली प्रजातियों के जंतुओं की संख्या का ऐतिहासिक विकासवादी महत्व है क्योंकि दक्षिण पूर्वी एशियाई बाघ आबादी के साथ उनकी जीन आधारित साझेदारी है.

इस क्षेत्र में दो बाघ अभ्यारण्य ईकाई (टीसीयू) हैं, जिसमें से एक मानस बाघ अभ्यारण्य भूटान से लेकर पूर्वोत्तर में अरुणाचल तक फैला हुआ है. दूसरा असम का काजीरंगा अभ्यारणय है और यह मेघालय तक फैला हुआ है. आसपास के अन्य संरक्षित क्षेत्रों के साथ-साथ काजीरंगा बाघ अभ्यारण्य सहित क्षेत्र में बाघों की संख्या 125 है.

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यह कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों के रास्ते उत्तर पूर्वी भूखंड के दक्षिणी भागों से जुड़ा हुआ है जो बाघों की संख्या में वृद्धि के लिए एक प्रमुख स्रोत के तौर पर कार्य करता है. हालांकि ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी छोर पर व्यापक तौर पर खेती होने के कारण उत्तर में यह संपर्क टूट जाता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, काजीरंगा, ओरेंज नेशनल पार्क से मिला हुआ है और ब्रह्मपुत्र नदी के द्वीपों से जुड़ा हुआ है. नामेरी भी नदी गलियारों से जुड़ी हुयी है जो अरुणाचल प्रदेश के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में बाघों की संख्या बढ़ने में जीन प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण है. लक्षित संरक्षण के प्रयासों के लिए विभिन्न राष्ट्रीय पार्कों और वन्यजीव अभ्यारण्यों के बीच का ये संपर्क महत्वपूर्ण तत्व है.

मानस बाघ अभयारणय में कैमरे लगे हुए हैं और अनुमानत: प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में 1.8 बाघों का निवास है. यह क्षेत्र उच्च क्षमता वाला है और अवैध शिकार के नियंत्रण के कारण, विशेषकर दक्षिणी हिस्सों में बाघों की संख्या बढ़ने की काफी संभावना है. रिपोर्ट में बताया गया है कि असम का नामेरी, अरुणाचल प्रदेश के पाक्के से सटा हुआ है और यहां पर बाघों की कम संख्या, लगभग नौ है.

इसमें बताया गया है कि क्षेत्र में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना और उसकी संख्या को बनाये रखने की क्षमता है लेकिन अवैध शिकार और अन्य समस्याओं के कारण बाघों की संख्या कम बढ़ी है.

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इनपुटः भाषा

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