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करना है म्यूचुअल फंड में निवेश? कैसे बनाएं पोर्टफोलियो? 5 मिनट में पूरी जानकारी

जब से पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में आई, लोगों का अपनी जिंदगी के प्रति नजरिया बदल गया है. पहले लोग निवेश और अपने भविष्य को सुरक्षित करने को लेकर इतनी गंभीरता से नहीं लेते थे. जितना अब इन दो सालों में लेने लगे हैं.

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म्यूचुअल फंड में निवेश के तरीके
म्यूचुअल फंड में निवेश के तरीके
स्टोरी हाइलाइट्स
  • निवेश से पहले अपना वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करें
  • SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में लगा सकते हैं पैसे

जब से पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में आई, लोगों का अपनी जिंदगी के प्रति नजरिया बदल गया है. पहले लोग निवेश और अपने भविष्य को सुरक्षित करने को लेकर इतनी गंभीरता से नहीं लेते थे. जितना अब इन दो सालों में लेने लगे हैं. लोगों को अब अपने परिवार के लिए सुरक्षित निवेश जिसमें रिटर्न ज्यादा होने पर ज्यादा भरोसा होने लगा है. जिसका परिणाम है कि दो सालों में रिटेल निवेशकों की इक्विटी बाजार में हिस्सेदारी बढ़ गई है. 

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ऐसे कई निवेशक हैं जिनकी निवेश के प्रति गंभीरता भी पहले से कई ज्यादा हो गई है. ऐसे में अगर आप भी करना चाहते हैं अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइड, और म्यूचुअल फंड में 5 से 10 साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं तो जानिए SIP के जरिए कैसे आप म्यूचुअल फंड में लगा सकते हैं पैसे, और पा सकते हैं बेहतर रिटर्न.

कैसे करें म्यूचुअल फंड में निवेश:

नए निवेशक जो पहली बार म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करने जा रहे हैं उन्हें ये जानना बहुत जरूरी है कि वो निवेश किस मकसद से कर रहें और कितने साल के लिए कर रहे हैं ताकि उन्हें एक अच्छा रिटर्न मिल सके. बैंक एफडी से कई बेहतर और सुरक्षित होता है एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना. जिसके जरिए आप 100 रुपये से 500 रुपये तक की राशि से शुरुआत कर सकते हैं. SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कई तरीके होते हैं, जिसके जरिए आप अपना म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो बना सकते हैं.

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म्युचुअल फंड में आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश आप दो तरीके से कर सकते हैं एक तो SIP जिसे सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान कहते हैं और दूसरा है एकमुश्त (Lump sum).

हालांकि, बाजार के रिस्क का असर म्यूचुअल फंड में भी होता है. लेकिन फिर भी लंबी अवधि के निवेशकों को इसमें निवेश से कंपाउंडिंग का फायदा काफी अच्छा होता है. अपने पोर्टफोलियो (Portfolio) में म्यूचुअल फंड जोड़ने से पहले ये जरूर तय करें कि आपका लक्ष्य क्या है और आप किस लिए निवेश करना चाहते हैं.

जैसे कि क्या आप बच्चों की पढ़ाई, शादी, घर बनाने के लक्ष्य या फिर अपने रिटायरमेंट के लिए निवेश करना चाहते हैं तो फिर उसी हिसाब से उस तरह के फंड में निवेश करना बेहतर विकल्प माना गया है. म्यूचुअल फंड में निवेश आप अपने डिमैट अकाउंट या फिर किसी एजेंट के जरिए भी खुलवा सकते हैं. अगर डिमैट से डायरेक्ट फंड में निवेश करते हैं तो कमीशन कम या ना के बराबर लगता है. लेकिन, अगर आपने किसी एजेंट के जरिए फंड में निवेश किया तो उसे रेगुलर फंड कहा जाता है, जिसमें आपको अपने एजेंट को भी कमीशन देना पड़ता है जो आपको अकाउंट या फंड इनकम से खुद कट जाता है. इसकी वजह से एक्सपेंस रेश्यो बढ़ जाता है. यही सलाह दी जाती है कि अगर आपको म्युचुअल फंड की पूरी जानकारी न हो तो आप हमेशा रेगुलर फंड में निवेश करना ही सही विकल्प होता है.

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म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले फंड का चयन

बैंक बाजार के सीईओ, आदिल शेट्टी के मुताबिक ‘म्यूचुअल फंड में निवेश अब पहले की तरह मुश्किल नहीं रह गया है. हालांकि, नए निवेशकों के लिए ये थोड़ा कंफ्यूजन जरूर हो सकता है. इसलिए शुरू करने का सबसे साधारण तरीका है कि आप अपने निवेश करने के लक्ष्य को तय करें और उसके बाद निवेश करें. पहले ये जानने की कोशिश करें कि ये निवेश छोटी अवधि, मध्यम अवधि या लंबी अवधि में से किसी एक निवेश विकल्प के लिए है.अगर आप निवेशक हैं तो आपको छोटे से शुरुआत करके लंबी अवधि तक के लिए निवेशित रहने की सलाह है. ये आपको अपने बड़े कॉर्पस को बनाने में मदद करेगा. साथ ही, बाजार में हो रहे किसी भी तरह के नुकसान से बचाएगा. इसलिए जरूरी है कि आप छोटी रकम से एसआईपी में शुरुआत करें और किसी ब्लू चिप कंपनी या लार्ज कैप फंड्स में निवेश करें.’

कैसे तय करें की कौन से फंड में निवेश करना है:

म्यूचुअल फंड या वेल्थ मैनेजमेंट कंपनियां अपना पैसा शेयर बाजार में ही लगाती हैं. और मार्केट के उतार-चढ़ाव के मुताबिक ही आपके म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में पॉइंट्स जुड़ते हैं. बाजार में तेजी का असर फंड्स में भी पड़ता है. इसलिए हमेशा अपनी जरूरत के हिसाब से निवेश करें. आप रिस्क कितना ले सकते हैं, कितने समय के लिए निवेश कर सकते हैं, अगर नौकरी करते हैं तो क्या टैक्स बचाने के लिए आपको टैक्स सेविंग फंड में निवेश करना है, या फिर आपको एक साथ किसी तय लक्ष्य के लिए एकमुश्त पैसा लगाना है. इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही निवेश करना सही रहता है. स्मॉलकैप, ब्लूचिप, मिडकैप, मल्टीकैप के साथ-साथ डेट फंड में निवेश किया जा सकता है. फंड के असेट साइज को देखें स्टैंडर्ड डेविएशन, शार्पी रेशियो, बीटा जैसे महत्वपूर्ण बातों पर भी ध्यान दे सकते हैं.

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SIP कराने के फायदे:

सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान करने के कई फायदे हैं. शेयर बाजार में हो रहे जोखिम को कम करने वाले निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प है. हर महीने 100-500 रुपये से शुरुआत करके कोई भी SIP करा सकता है. साथ ही, कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है और लंबी अवधि के लोगों को ज्यादा रिटर्न मिलता है.

हर महीने एक तय राशि आप SIP के जरिए निवेश कर सकते हैं. उसका फायदा ये होगा कि जब शेयर बाजार में रिटर्न बढ़ेगा तो आप टॉप अप के जरिए अपनी किश्त भी बढ़ा सकते हैं. साथ ही, अगर बाजार में गिरावट आ गई है और आपको लगे कि आप ऐसे में SIP में पैसे जमा नहीं कर सकते तो आपके पास अपने SIP को पॉज करने का भी ऑप्शन मौजूद होता है. आपने अगर रेगुलर प्लान लिया है तो आपको अपने एजेंट द्वारा दिए गए एक फॉर्म को भरना पड़ता है जिसके जरिए आप कुछ महीनों के लिए एसआईपी पॉज करा सकते हैं और अगर आपने डायरेक्ट एसआईपी लिया है तो आप उस एसआईपी या वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी के वेबसाइट पर जाकर पॉज ऑप्शन सेलेक्ट कर सकते हैं.

आज की तारीख में कई ऐसे ऐप हैं-CAMS, Paytm, Groww, Zerodha जैसे कई ऐप हैं जिनके जरिए आप कभी भी एसआईपी में निवेश कर सकते हैं और निवेश किए पैसे भी निकाल सकते हैं. बशर्ते कि वो वेल्थ क्रिएशन डायरेक्ट एसआईपी में निवेश हो. ध्यान रहे कि, अगर ELSS यानी की इक्विवटि लिंक्ड सेविंग स्कीम है तो तीन साल से पहले पैसे निकाल नहीं सकते.

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बैंक से ऑटो डेबिट ऑप्शन कराना फायदेमंद होता है. बैंक से पैसे हर महीने कटने से ये फायदा होता है कि हर महिने पैसे तय समय पर कटते रहते हैं. उसके लिए आपको बार-बार एसआईपी के लिए बैंक नहीं जाना पड़ता.

आदिल शेट्टी कहते हैं कि 'ELSS और लार्ज कैप फंड्स दोनों ही माध्यम से लंबी अवधि के लिए एक अच्छा निवेश विकल्प है. ELSS फंड्स में निवेश थोड़ा जोखिम भरा होता है क्योंकि उसमे आपका जमा पैसा तीन साल के लिए लॉक हो जाता है. लेकिन, रिटर्न काफी अच्छा मिलता है. वहीं, लार्ज कैप फंड्स जो होते हैं उनमें रिस्क भी कम होता है और बिना किसी लॉक-इन के रिटर्न भी अच्छा मिलता है. ये बहुत जरूरी है कि आप अच्छे से रिसर्च करें और तय करें कि आपको कहां निवेश करना चाहिए. निवेश हमेशा पावर ऑफ कंपाउंडिंग की वजह से बढ़ता है जिसके लिए लगातार किए गए निवेश और लंबी अवधि के लिए निवेश बहुत जरूरी है. हमेशा पहले ये तय करें कि आप कि स्थिति क्या है और किस लिए निवेश कर रहें हैं उसके बाद ही निवेश करें.’

मैनेजमेंट कंसलटेंट, समीर कपूर के मुताबिक-पिछले कुछ सालों से म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में अच्छी ग्रोथ देखी जा रही है जिसका कारण है SIP के जरिए नए निवेशकों का निवेश करना. हालांकि, कई तरह के फंड हाउसेज द्वारा सौ से ज्यादा स्कीम्स बाजार में मौजूद हैं. इसलिए, निवेशकों के लिए बहुत जरूरी है खासकर नए निवेशकों के लिए कि वो कुछ बातों को ध्यान में रखकर ही अपने म्यूचुअल फंड को तैयार करें. सबसे पहला कदम है कि अपने फाइनेंशियल गोल, बजट और समय सीमा को तय करें. इन सब बातों को पहले प्लान कर ले कि आप कितना पैसा म्यूचुअल फंड में लगाना चाहते हैं तभी निवेश करने में आसानी होगी.’

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सभी स्कीम्स के बारे अच्छे से पढ़ें और उन्हें बाकी फंड्स के साथ कंपेयर करें. ताकि हर तरह के स्कीम की जानकारी प्राप्त हो सके. इतने ज्यादा स्कीम्स का चुनाव निवेशक को हमेशा उनके लगातार हो रहे अच्छे परफॉर्मेंस, फंड मैनेजर के बारे में पूरी जानकारी, एक्सपेंस रेश्यो, पोर्टफोलियो कंपोनेंट्स और एसेट अंडर मैनेजमेंट के द्वारा किया जाना चाहिए.’

जो लोग पहली बार म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहें हैं उनके लिए हमेशा SIP के जरिए निवेश करना ही सबसे सही विकल्प माना जाता है. SIP की मदद से आप अपने निवेश को समय-समय पर बढ़ा सकते हैं और रिस्क को कम करते हुए लंबी अवधि के लिए अच्छी कॉर्पस बना सकते हैं. आप चाहें तो अपनी एसआईपी की रकम को अपनी जरूरत के हिसाब से समय-समय पर बढ़ा सकते हैं.

धीरे-धीरे निवेश को बढ़ाने की जरूरत

फायदे का सौदा?

ELSS फंड्स के जरिए पांच सालों में आपको 15 फीसदी से ज्यादा तक का CAGR मिलता है. जबकि बैंक एफडी से 5.5-6.5 फीसदी ही मिलता है. ज्यादातर छोटी सेविंग विकल्पों से 7.5 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न नहीं मिलता. इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश बाकी किसी भी निवेश विकल्प से कई बेहतर और सुरक्षित विकल्प माना गया है.

पैसाबाजार.कॉम के डायरेक्टर साहिल अरोड़ा के मुताबिक- किसी भी निवेशक के लिए म्यूचुअल फंड को चुनने की प्रक्रिया से पहले अपने एसेट एलोकेशन प्लानिंग को फिक्स करना सबसे ज्यादा जरूरी है. एसेट एलोकेशन की प्लानिंग को तय करने के बाद ही आप ये तय कर पाएंगे कि कितना पैसा बाकी एसेट क्लासेस जैसे कि इक्विटी फंड्स, डेट फंड्स या गोल्ड फंड्स में लगाना चाहिए.’’

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अगर आप पांच से दस साल के लिए निवेश करना चाहते हैं तो इक्विटी एसेट क्लास में मार्जिन के तौर पर लंबी अवधि में फिक्स्ड एसेट क्लास में आउटपरफॉर्म करने की संभावना ज्यादा मानी गई है. इसलिए, निवेशक जिन्हें बड़ा इन्वेस्टमेंट कॉर्पस चाहिए और जो 5 साल या उससे ज्यादा समय के लिए निवेश करना चाहते हैं उनके लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश सबसे सही विकल्प है.

साथ ही, साहिल कहते हैं कि- ‘जिनका रिस्क एपेटाइट सबसे लो है वो हाइब्रिड फंड कैटेगरी जैसे कि बैलेंस्ड एडवांटेज फंड, एग्रेसिव हाइब्रिड फंड, बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड्स या मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंड में निवेश कर सकते हैं और चुनिंदा एसेट एलोकेशन स्ट्रेटेजी में ज्यादा रिटर्न के साथ कम रिस्क वाले फंड्स में निवेश करना भी एक अच्छी सलाह है.’

समीर कहते हैं कि ‘इक्विटी ओरिएंटेड स्कीम निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प नहीं. हमें लगता है कि इंडेक्स फंड नए निवेशकों के लिए सबसे बेहतर विकल्प है. इंडेक्स फंड में निवेश के जरिए आप निफ्टी, सेंसेक्स के परफॉर्मेंस को ट्रैक कर सकते हैं और बेहतर निवेश स्कीम का चुनाव कर सकते हैं.’

हमेशा अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करना ही सही रहता है क्योंकि उसके जरिए आप विभिन्न एसेट क्लास और निवेश के स्टाइल के बारे भी जानते हैं और उसे डाइवर्सिफाई करते हैं.

कुछ बेस्ट स्कीम्स की जानकारी: SOURCE *समीर कपूर*

बेहतर रिटर्न वाले फंड
बेहतर रिटर्न वाले फंड

देखा जाए तो म्यूचुअल फंड में निवेश किसी भी अन्य निवेश विकल्प जैसे कि एफडी, गोल्ड, रियल एस्टेट से बेहतर माना जाता है. लेकिन, किसी भी नए निवेशक के लिए उनसे जुड़े मार्केट रिस्क को ध्यान से जानना और समझना बहुत जरूरी है. साथ ही, किसी भी तरह के निवेश से पहले अपने निवेश सलाहकार की जानकारी जरूर लें और जितना हो सके खुद से रिसर्च भी करें. 

 

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