भारतीय एविएशन सेक्टर इन दिनों सुर्खियों में है और इसका कारण है बजट एयरलाइंस Go First की खराब माली हालत, जिसके चलते उसने एनसीएलटी (NCLT) में वॉलंटरी इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग (Voluntary Insolvancy Proceedings) के लिए आवेदन दिया है. भारतीय एविएशन सेक्टर में दिवालियापन का नया शिकार होने वाली गो फर्स्ट नई कंपनी है, लेकिन ऐसी कंपनियों की लिस्ट लंबी है. जो इस बात की ओर इशारा करती है, कि इस सेक्टर का इतिहास खासा उथल-पुथल भरा रहा है. ताजा मामले में खुद को दिवालिया घोषित करने वाली गो फर्स्ट के आधे से ज्यादा विमान ग्राउंडेड हैं और इसके लिए एयरलाइंस ने इंजन कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी (P&W) को दोषी ठहराया है.
हालांकि, भारतीय एविएशन सेक्टर ने निजी कंपनियों को अपना संचालन शुरू करने के लिए पर्याप्त अवसर मुहैया कराए हैं, लेकिन इनमें से कई वित्तीय रूप से संचालन को बनाए रखने में सक्षम नहीं रह सके. कई निजी एयरलाइनों ने आर्थिक संकट, इस क्षेत्र में बढ़ते कॉम्पिटीशन और परिचालन लागत में लगातार हो रहे इजाफे समेत कई अन्य कारणों से अपना बोरिया बिस्तर समेटने में ही भलाई समझी. यानी उन्होंने अपना परिचालन बंद कर दिया है. आइए इनमें से कुछ एयरलाइनों के बंद होने के कारणों के बारे में जानते हैं.
Jet Airways
जेट एयरवेज कभी भारत की सबसे बड़ी निजी एयरलाइंस थी, लेकिन अप्रैल 2019 में नकदी संकट के बाद इसकी उड़ानें बंद कर दी गईं. इसने अपने लेनदारों को लगभग 180 अरब रुपये (2.20 अरब डॉलर) का पेमेंट किया. पिछले साल मई में कॉमर्शियल उड़ानों को फिर से शुरू करने के लिए मंजूरी मिलने के बावजूद ये फिर से शुरू नहीं हो पाई है. इसके वर्तमान मालिकों, UAE के व्यवसायी मुरारी लाल जालान और लंदन (UK) स्थित कालरॉक कैपिटल के नेतृत्व वाले एक कंसोर्टियम और समाधान योजना पर कर्जदाताओं के बीच मतभेदों से मामला लंबा खिंच गया है.
Kingfisher Airlines
विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस ने शुरुआत के साथ ही इस सेक्टर में दमखम दिखाना शुरू कर दिया था और संचालन के कुछ सालों बाद ही कम लागत वाले वाहक एयर डेक्कन का अधिग्रहण कर लिया था. लेकिन इस विलय के बाद कई तिमाहियों तक एयरलाइन ने भारी नुकसान झेला और आखिरकार 2012 से उड़ानों पर ब्रेक लगा दिया. किंगफिशर पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) सहित अपने कर्जदाताओं का 90 अरब रुपये बकाया है. वहीं विजय माल्या लेनदारों से बचने के लिए यूके भाग गया.
Air Costa
नवंबर 2019 में, दिवालियापन अदालत ने दक्षिण भारत की कम लागत वाली एयरलाइन, एयर कोस्टा के लिए कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया का आदेश दिया. विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशक (DGCA) ने जून 2017 में एयरलाइंस के फ्लाइंग लाइसेंस को निलंबित कर दिया था, जिससे इसका संचालन आधिकारिक रूप से बंद हो गया.
ModiLuft
मोदीलुफ्त, भारत की पहली पोस्ट-डिरेग्यूलेशन एयरलाइनों में से एक थी, जिसे उद्योगपति एस.के मोदी द्वारा अप्रैल 1993 में लॉन्च किया गया था. इसे शुरू करने के लिए जर्मन कंपनी लुफ्थांसा के साथ तकनीकी साझेदारी की गई थी. हालांकि, 1996 में, दोनों कंपनियां अलग हो गईं, इस बीच ModiLuft ने आरोप लगाया कि लुफ्थांसा ने अपनी फंडिंग प्रतिबद्धता नहीं रखी. प्रमोटर ने यूके स्थित भूपेंद्र कंसागरा को हिस्सेदारी बेची, जिन्होंने इसे रॉयल एयरवेज का नाम दे दिया. एयरलाइंस कुछ समय के लिए निष्क्रिय रही, लेकिन लाइसेंस बरकरार रखा गया, अब यह स्पाइसजेट के रूप में काम करती है.
Vayudoot Airlines
भारत की क्षेत्रीय एयरलाइन वायुदूत, दरअसल इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया के बीच एक संयुक्त उद्यम था. वायुदूत की स्थापना 20 जनवरी 1981 को हुई थी और इसका हेडक्वार्टर नई दिल्ली के सफदरजंग हवाई अड्डे पर था. एयरलाइन ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में सेवाएं दीं. लेकिन व्यस्तता कम होने के कारण इस एयरलाइन को एक बड़े वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा और बाद में इसे 1997 में बंद कर दिया गया था.
Sahara Airlines
सहारा एयरलाइन की स्थापना पहली बार 20 सितंबर, 1991 को हुई थी और 2 साल बाद 3 दिसंबर, 1993 को इसका संचालन शुरू हुआ. दो बोइंग 737-200 विमानों ने सहारा एयरलाइंस के रूप में सेवाएं देनी शुरू की थीं. दूसरी बार इसे 2 अक्टूबर, 2000 को एयर सहारा के तौर पर री-ब्रांडेड किया गया. इसने भारत के घरेलू उड़ान बाजार के 12 फीसदी मार्केट को अपने नियंत्रण में ले लिया था. हालांकि, बाद में साल 2007 में एयरलाइन की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत से घटकर 8.5 फीसदी रह गई. मार्केट में दबदबा घटने के चलते और कर्ज का बोझ बढ़ने के बीच जेट एयरवेज ने 340 मिलियन डॉलर में सहारा का अधिग्रहण किया और इसका नाम बदलकर जेटलाइट कर दिया.
Paramount Airways
एम त्यागराजन द्वारा 2005 में एक All Business Clas Carrier के रूप में शुरू की गई पैरामाउंट एयरवेज एयरलाइन ने शुरुआत में शानदार प्रदर्शन किया. इसे पहले दक्षिण में शॉर्ट-हॉल रूट्स पर संचालित किया गया और उस बाजार के 26 फीसदी हिस्से पर इसने देखते ही देखते कब्जा जमा लिया. हालांकि, यह संचालन को बनाए नहीं रख सका और 2010 में इसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया. बड़ी मात्रा में बैंक ऋणों का भुगतान न करने के चलते सीबीआई द्वारा पैरामाउंट ग्रुप कार्यालय पर छापा मारा गया था.
Air Deccan
साल 2003 में जीआर गोपीनाथ द्वारा स्थापित, यह भारत की पहली कम लागत वाली एयरलाइन थी, जिसका किराया अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में 30-40 फीसदी तक कम था. बाद में, किंगफिशर एयरलाइंस के संस्थापक विजय माल्या ने एयरलाइन में रुचि दिखाई और 2007 में इसे खरीद लिया. इसे पहले Simplifly Deccan और बाद में Kingfisher Red के रूप में फिर से ब्रांड किया गया. एयर डेक्कन ने 2017 में दोबारा परिचालन शुरू जरूर किया, लेकिन अप्रैल 2020 में एयरलाइंस कोरोनो वायरस संकट का शिकार होने वाली पहली भारतीय विमानन कंपनी बन गई. इस दौरान यरलाइंस ने अपने परिचालन को अगले नोटिस तक बंद करने की घोषणा की और सभी कर्मचारियों को बिना वेतन के घर भेज दिया था.
ये एयरलाइन भी लंबी पारी खेलने में नाकाम
किसी न किसी वित्तीय परेशानी के चलते अपना संचालन बंद करने वाली एयरलाइंस की लिस्ट काफी लंबी है. इसमें 2007 में स्थापित और 2009 में बंद हुई MDLR Airlines, 2015 में शुरू हुई Air Pegasus, 1992 में परिचालन शुरू करने वाली East-West Airlines, 1991 में स्थापित नई दिल्ली की निजी एयरलाइन Archana Airways, 2013 में रेलिगेयर वॉयेज लिमिटेड द्वारा संचालित Air Mantra, 2007 में उड़ानें शुरू करने वाली Indus Air और 1993 में अस्तित्व में आई Damania Airways शामिल है.
(डॉली चिंगाखम की रिपोर्ट)