एक ओर दुनियाभर में बैंकिंग क्राइसिस (Bank Crisis) ने मंदी के खतरे को लेकर चिंता बढ़ा दी है. इस संकट के बीच अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने एक बार फिर ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है. US Fed ने बुधवार देर रात ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट या 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया है. ताजा इजाफे के बाद अब फेड रिजर्व की ब्याज दरें बढ़कर करीब 15 साल के हाई पर पहुंच गई हैं. फेड के इस कदम का असल गुरुवार को भारतीय बाजारों पर भी देखने को मिल सकता है.
5 फीसदी पर फेड इंटरेस्ट रेट
US Fed की ओर से ब्याज दरों में की गई ताजा बढ़ोतरी के बाद अब ये 4.75 फीसदी से बढ़कर 5 फीसदी हो गई हैं. सबसे गौर करने वाली बात ये है कि 2008 में लेहमैन ब्रदर्स के दिवालिया होने से ठीक पहले भी फेड इंटरेस्ट रेट इसी स्तर के करीब थे और ये बैंक डूबने के बाद पूरी दुनिया ने बड़ी आर्थिक मंदी का सामना किया था. ऐसा ही नजारा फिलहाल भी नजर आ रहा है, क्योंकि बीते दिनों ही अमेरिकी में सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक डूब चुके हैं और कई बैंकों पर डूबने का खतरा मंडरा रहा है.
यूरोप के बैंकों का भी बुरा हाल
सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि यूरोप के बैंक भी इस क्राइसिस की जद में आ गए हैं और सबसे बुरी हालत क्रेडिट सुईस बैंक की है. इसमें निवेशकों के अरबों रुपये बर्बाद हो गए हैं. हालांकि, इसे बचाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं और इसके लिए उस भारतीय फॉर्मूले पर काम भी किया जा रहा है, जो Yes Bank के संकट में आ जाने के दौरान साल 2020 में अपनाया गया था. अन्य बैंकों की बात करें तो अमेरिका में दो बैंकों के डूबने के बाद सबसे ज्यादा खतरे में फर्स्ट रिपब्लिक बैंक है.
मार्च 2022 से 9 बार बढ़ोतरी
अमेरिका में फरवरी 2023 में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, महंगाई दर 6.4 फीसदी पर है. हालांकि, इसमें कुछ महीनों में कमी आई है, लेकिन बीते साल 2022 में ये चार दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. महंगाई को काबू में करने के लिए फेड रिजर्व ने मार्च 2022 के बाद से एक के बाद एक 9 बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है और एक्सपर्ट्स बढ़ोतरी का ये सिलसिला अभी आगे भी कायम रहने की आशंका जता रहे हैं.
भारत पर ऐसे होगा असर
अमेरिका में होने वाली किसी भी हलचल का सीधा असर भारतीय बाजारों पर दिखाई देता है. फेड द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी इसमें शामिल है. US Interest Rate बढ़ने से एक ओर जहां इन्वेस्टर्स भारतीय शेयर बाजारों (Indian Stock Market) में निवेश करने के बजाय अमेरिकी बाजारों का रुख करने लगेंगे. तो इससे घरेलू बाजारों से विदेशी निवेशकों की निकासी और बढ़ जाएगी. FII के भारत से बाहर निकलने से बाजार में गिरावट का सिलसिला देखने को मिल सकता है.
इसके अलावा अमेरिका फेड के लगातार ब्याद दरों में इजाफा करने के बाद भारत के केंद्रीय बैंक RBI पर ब्याज दरों में इजाफा करने का दबाव बढ़ेगा. वहीं सबसे बड़ा असर आम आदमी पर देखने को मिल सकता है. अगर Dollar पहले से और मजबूत होता है तो फिर पहले से ही रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच चुकी भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) में और गिरावट आएगी और इससे देश में महंगाई बढ़ने का जोखिम भी बढ़ जाएगा.
आरबीआई भी बढ़ा सकता है Repo Rate
जहां एक ओर अमेरिका में लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जा रही है, तो भारत में भी ये सिलसिला जारी है. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि अप्रैल 2023 में होने वाली RBI MPC की बैठक में एक बार फिर से नीतिगत दरों (Repo Rate) में इजाफा किया जा सकता है. इस बार इसमें 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि देखने को मिल सकती है. अगर ऐसा होता है, तो फिर से सभी तरह का लोन महंगा हो जाएगा और लोगों को ईएमआई पर ज्यादा खर्च करना होगा.