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मोबाइल बिल टाइम से जमा नहीं करने पर भी क्या खराब हो जाती है CIBIL रेटिंग? दूर कर लें सारे भ्रम

CIBIL credit rating: सिबिल रेटिंग सुधारने के लिए आपको सलाह दी जाती है कि आप अपने सभी ईएमआई का भुगतान समय से करें. हालांकि इस बारे में तमाम गलत धारणाएं भी बनी हुई हैं कि आपके किस तरह के ट्रांजैक्शन से सिबिल रेटिंग प्रभावित होती है.

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CIBIL की रेटिंग पर रखें नजर (फाइल फोटो: Getty Images)
CIBIL की रेटिंग पर रखें नजर (फाइल फोटो: Getty Images)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लोन के मामले में अहम है CIBIL रेटिंग
  • बैकों, वित्तीय संस्थाओं की होती है नजर

यूपी के नोएडा में रहने वाले आकाश आनंद हाल में अपनी सिबिल रेटिंग (CIBIL Rating) देखकर काफी चौंक गए. उनकी पिछले महीनों में सिबिल रेटिंग घटकर 600 से नीचे हो गई थी और वह समझ नहीं पा रहे थे कि इसकी वजह क्या है. वे सोचने लगे...उन्हें लगा कि अपने मोबाइल का बिल पिछले कुछ महीने से समय से नहीं जमा कर पा रहे, शायद इसी वजह से रेटिंग खराब हो गई. क्या ऐसा हो सकता है? आइए एक्सपर्ट की मदद से इस बारे में सारे भ्रम दूर कर लेते हैं.

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CIBIL के द्वारा तय क्रेडिट स्कोर आपकी कर्ज लेने या उसे चुकाने की क्षमता का एक महत्वपूर्ण सूचकांक होता है. आप जब भी किसी बैंक, संस्था से कर्ज लेने जाते हैं, नए क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं, तो वह आपकी सिबिल रेटिंग को जरूर चेक करता है. इस रेटिंग के आधार पर यह भी तय होता है कि आप जो लोन ले रहे हैं, उसकी ब्याज दर क्या होगी. 

सिबिल रेटिंग सुधारने के लिए जानकार बार-बार आपको सलाह देते हैं कि आप अपने सभी क्रेडिट कार्ड बिल और लोन ईएमआई का भुगतान समय से करें. हालांकि इस बात को लेकर तमाम गलत धारणाएं भी बनी हुई हैं कि आपके किस तरह के ट्रांजैक्शन से आपकी सिबिल रेटिंग प्रभावित होती है. 

क्या होती है सिबिल रेटिंग? 

सबसे पहले तो आपको यह जानना चाहिए कि सिबिल रेटिंग क्या होती है. भारत में वैसे तो रिजर्व बैंक ने क्रेडिट यानी कर्ज के बारे में जानकारी देने और उनकी रेटिंग करने के लिए चार एजेंसियों को मान्यता दी है, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (CIBIL) ही है. CIBIL के अलावा तीन अन्य कंपनियां हैं- Experian, Equifax और Highmark.

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लेकिन किसी भी तरह के लोन के लिए सबसे लोक‍प्रिय CIBIL रेटिंग ही है. यह लोगों के कर्ज इतिहास, रेटिंग और रिपोर्ट के आधार पर उन्हें 300 से 900 तक की रेटिंग देती है. जिसकी रेटिंग 900 के जितना ही करीब होगी उसे उतना ही बेहतर माना जाएगा. आमतौर पर 700 से ऊपर की रेटिंग को ही बहुत अच्छा माना जाता है. इस रेटिंग को देखकर बैंक आपको होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन देते हैं, आपका नया क्रेडिट कार्ड बनता है. इससे बैंकों को यह पता चलता है कि आप कर्ज देने के लिए कितने मुफीद व्यक्ति हैं. 

इन चीजों से आपकी रेटिंग प्रभावित नहीं होती 

एक्सपर्ट साफतौर से यह‍ बताते हैं कि आपकी सैलरी कितनी है, आप कहां रहते हैं, आप अपने मकान का रेंट समय से चुकाते हैं या नहीं, आप किस तरह की कंपनी या ऑफिस में काम करते हैं, आपका बैंक बैलेंस कितना है, आप बीमा पर कितना प्रीमियम देते हैं, आप फोन, इंटरनेट जैसे यूटिलिटी बिल का समय से भुगतान करते हैं या नहीं, डेबिट कार्ड से कितना खर्च करते हैं? इन सबका आपकी CIBIL रेटिंग पर कोई फर्क नहीं पड़ता. इससे आपकी रेटिंग में न तो कोई सुधार नहीं होता और न ही उसमें कोई कमी आती है. 

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सर्टिफाइड फाइनेंश‍ियल प्लानर CFP) पंकज मठपाल कहते हैं, 'सिबिल की रेटिंग असल में कर्ज खाते की रेटिंग होती है. आपने किसी तरह का भी कर्ज लिया है, जैसे क्रेडिट कार्ड से, पर्सनल लोन या होम लोन, तो उसकी ईएमआई आप कितनी मुस्तैदी से चुकाते हैं, कितना चुकाते हैं. इन सबके आधार पर सिबिल रेट तय करता है. किसी मोबाइल बिल या यूटिलिटी बिल के भुगतान में डिफॉल्ट करने से सिबिल की रेटिंग नहीं खराब होती. यह सिर्फ भ्रम है. अगर आपका लोन यानी कर्ज का कोई खाता है तो यह उसकी ही रेटिंग तय करता है.' 

सही रेटिंग के लिए करने होंगे ये उपाय 

आपकी सिबिल की रेटिंग सही हो इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. यही नहीं, आप कुछ उपाय कर अपनी खराब रेटिंग में सुधार भी ला सकते हैं. 
  
ईएमआई का समय से भुगतान

अपने CIBIL स्कोर को ऊंचाई पर बनाए रखने का सबसे पहला और अच्छा तरीका यह है कि आप अपने कर्ज संबंधी सभी ईएमआई (EMI) या बिल का भुगतान समय से करें. चाहे वह क्रेडिट कार्ड का बिल हो या किसी अन्य लोन की ईएमआई. पेमेंट हिस्ट्री आपके सिबिल स्कोर में सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर होता है.

यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बिलों या ईएमआई का भुगतान समय से करें. बिलों के भुगतान में देरी या बिलों के लेट पेमेंट से आपकी सिबिल रेटिंग खराब हो सकती है. इसलिए आप अपने ईएमआई या बिल भुगतान के लिए मोबाइल में रिमाइंडर लगा लें. एक विकल्प यह भी है कि आप क्रेडिट कार्ड या ईएमआई के भुगतान के लिए हर महीने की निर्धारित डेट पर ऑटो-डेबिट की सुविधा ले लें. 

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सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन का संतुलन 

आपको अपने कर्ज खाते में सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन के बीच संतुलन कायम रखना चाहिए. होम लोन, ऑटो लोन आदि को सिक्योर्ड लोन माना जाता है, जबकि क्रेडिट कार्ड और पर्सलन लोन को अनसिक्योर्ड लोन. इस बात का ध्यान रखें कि कोई एक भी बहुत ज्यादा न हो जाए और न ही किसी का बकाया बहुत ज्यादा हो. एक साथ कई अनसिक्योर्ड लोन लेने से आपकी सिबिल रेटिंग डाउन हो जाती है. 

बहुत ज्यादा क्रेडिट कार्ड लेने से बचें 

एक साथ कई क्रेडिट कार्ड लेने का कोई फायदा नहीं है. आपको हर चीज क्रेडिट कार्ड से खर्च करने की जगह दूसरे विकल्प भी तलाशना चाहिए. अक्सर लोग क्रेडिट कार्ड से सीमा से बाहर खर्च कर देते हैं और फिर समय से उसका भुगतान नहीं कर पाते. एक साथ कई क्रेडिट कार्ड या लोन अप्लाई करने को हार्ड इंक्वायरी की श्रेणी में माना जाता है और इससे आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है. 

आपको कोश‍िश यह करना चाहिए कि पुराने क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़वा कर उसे इस्तेमाल करते रहें. पुराने कार्ड बंद कर उनकी जगह नए कार्ड लेने का तरीका ठीक नहीं. इससे आपकी सिबिल रेटिंग खराब होती है. ज्यादा समय तक कोई कार्ड चलते रहने का मतलब यह होता है कि आपकी क्रेडिट हिस्ट्री लंबी होती है और इसका आपकी रेटिंग पर पॉजिटिव असर पड़ता है. 

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आपका जॉइंट अकाउंट होल्डर भी समय से भुगतान करे 

यदि किसी व्यक्ति के साथ आपका संयुक्त बैंक खाता है, या आप किसी के लोन पर गारंटर बने हैं, या आप को-साइनर हैं तो आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वह व्यक्ति समय से अपने लोन ईएमआई का भुगतान करे, नहीं तो आपकी भी सिबिल रेटिंग खराब हो सकती है. 

कर्ज लिमिट का हाई यूटिलाइजेशन न हो

आप यदि अपना CIBIL स्कोर सुधारना चाहते हैं तो आपको लो क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो बनाकर रखना होगा. इसका मतलब यह है कि आप अपनी क्रेडिट लिमिट क्षमता के पूरे इस्तेमाल से बचें. आप ज्यादा क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो रखेंगे तो आपकी रेटिंग अपने आप कम हो जाएगी. 


 

 

 

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