अभी तक आपने सुना होगा कि कच्चे तेल से पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) तैयार किए जाते हैं. लेकिन अब एक नई खोज के बाद कचरे से पेट्रोल-डीजल बनाए जा रहे हैं. इस प्रयोग से एक दो लीटर नहीं, रोजाना 600 से 700 लीटर पेट्रोल और डीजल तैयार हो रहे हैं.
दरअसल, यह कमाल अफ्रीकी देश जाम्बिया (Zambia) ने किया है. यहां पुराने टायरों और प्लास्टिक के कंटेनरों से पेट्रोल-डीजल बनाए जा रहे हैं. जाम्बिया के सेंट्रल अफ्रीकन रिन्यूएबल एनर्जी कार्पोरेशन द्वारा रोजाना 1.5 टन कचरे से 600-700 लीटर डीजल और पेट्रोल प्रोडक्शन किया जा रहा है.
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस्तेमाल
कंपनी का उदेश्य है कि देश में पेट्रोल और डीजल के आयात को कम करना है. जाम्बिया में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कचरे से पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) का निर्माण किया जा रहा है. इस पहल एक तो पेट्रोल-डीजल के आयात कम होंगे और देश में प्लास्टिक और रबर के कचरों में कमी आएगी.
कैसे बनाए जाते हैं पेट्रोल-डीजल
रबर वाले टायर और प्लास्टिक के डब्बों को काटकर बड़ी-बड़ी भट्टियों में डाला जाता है. उच्च तापमान पर इन्हें रिएक्टर में जलाया जाता है और कुछ उत्प्रेरक मिलाकर पेट्रोलियम ईंधन तैयार किया जाता है. जाम्बिया की कंपनी सेंट्रल अफ्रीकन रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन के चीफ एक्जीक्यूटिव मुलेंगा का कहना है कि अगर हम अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करते हैं तो देश में 30 फीसदी तक ईंधन की जरूरत को पूरी कर पाएंगे.
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पौने दो करोड़ की आबादी वाले इस देश में ईंधन का आयात करने पर हर साल 1.4 अरब डॉलर खर्च हो रहे हैं. जाम्बिया में रोजाना 14 करोड़ लीटर तेल की खपत हो रही है.
दुनिया के लिए नई पहल
दुनिया के कई देशों में बढ़ता कचरा पर्यावरण के लिए कई तरह से खतरा बढ़ा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में करीब 8.3 अरब टन प्लास्टिक मौजूद है. अगर इस तरह इनका इस्तेमाल पेट्रोल और डीजल बनाने में किया जाता है तो दुनियाभर से कचरा हटेगा. इसके साथ ही ईंधन भी मिलने का रास्ता साफ होगा.
अगर यह प्रयोग सफल रहा तो भारत जैसे देश में जहां प्लास्टिक कचरे का अंबार है, वहां पेट्रोल और डीजल आसानी से तैयार किए जा सकते हैं.